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लखनऊ विश्वविद्यालय ने जारी किया दिशा-निर्देश, जनप्रतिनिधियों की शिकायतें सुनें अधिकारी - यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ

लखनऊ में सांसद, विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधियों को यह शिकायत थी कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) प्रशासन की ओर से एक फरमान जारी कर विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को जनप्रतिनिधियों (public representative ) की बात को सुनने और उसका समाधान निकालने के निर्देश दिए गए हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : Nov 20, 2021, 6:39 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सांसद, विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधियों (public representative) को यह शिकायत थी कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) प्रशासन की ओर से शनिवार को एक फरमान जारी किया गया. इसमें, विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सांसद, विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधियों की बात को सुनने और उसका समाधान निकालने के निर्देश दिए गए हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई, रायबरेली और लखनऊ के कॉलेजों के प्राचार्य को भी इन आदेशों का पालन करना होगा. हाालंकि, चुनाव नजदीक आने पर अचानक इस तरह के फरमान की जरूरत क्यों पड़ी ? इस पर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह की ओर से शनिवार को सभी अधिकारियों कर्मचारियों को दिशा -निर्देश जारी किया गया. पत्र में संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा और मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के पत्रों का हवाला दिया गया है.

अधिकारीगण और कर्मचारीगण प्रत्येक दशा में संसद सदस्य एवं राज्य विधान मण्डल के सदस्यों के प्रति शिष्टाचार और अनुमन्य प्रोटोकाल एवं सौजन्य प्रदर्शन का अनुपालन सुनिश्चित करेगें. इसके अलावा अपनी तैनाती के जनपद के संसदीय विधान सभा क्षेत्र के सभी संसद सदस्य, लोकसभा, राज्यसभा एवं राज्य विधान मण्डल के सदस्यगण के फोन नं. अपने कार्यालय और मोबईल में सेव करेंगे.

इसे भी पढ़ेः लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे उत्तराखंड के सीएम, बोले-राजनीति का ककहरा यहीं से सीखा



जनप्रतिनिधियों के फोन आने पर तत्काल काल रिसीव करेंगे. साथ ही बैठक में होने या अनुपलब्ध होने पर कॉल की जानकारी होने के उपरान्त प्राथमिकता पर सम्बन्धित जनप्रतिनिधि को कॉल बैक करेंगे. उनके द्वारा जनसामान्य की समस्याओं के निराकरण हेतु दिये गये सुझावों और अनुरोधों का निस्ताकरण नियमानुसार प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करेंगे.

उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से ही, सांसदों, विधायकों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों की ओर से अधिकारियों को उनकी बात ना सुने जाने की शिकायतें की जाती रही हैं. भाजपा के कई विधायकों ने तो कई बार मीडिया के सामने ही अपना दर्द बयां किया है.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सांसद, विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधियों (public representative) को यह शिकायत थी कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) प्रशासन की ओर से शनिवार को एक फरमान जारी किया गया. इसमें, विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सांसद, विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधियों की बात को सुनने और उसका समाधान निकालने के निर्देश दिए गए हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई, रायबरेली और लखनऊ के कॉलेजों के प्राचार्य को भी इन आदेशों का पालन करना होगा. हाालंकि, चुनाव नजदीक आने पर अचानक इस तरह के फरमान की जरूरत क्यों पड़ी ? इस पर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह की ओर से शनिवार को सभी अधिकारियों कर्मचारियों को दिशा -निर्देश जारी किया गया. पत्र में संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा और मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के पत्रों का हवाला दिया गया है.

अधिकारीगण और कर्मचारीगण प्रत्येक दशा में संसद सदस्य एवं राज्य विधान मण्डल के सदस्यों के प्रति शिष्टाचार और अनुमन्य प्रोटोकाल एवं सौजन्य प्रदर्शन का अनुपालन सुनिश्चित करेगें. इसके अलावा अपनी तैनाती के जनपद के संसदीय विधान सभा क्षेत्र के सभी संसद सदस्य, लोकसभा, राज्यसभा एवं राज्य विधान मण्डल के सदस्यगण के फोन नं. अपने कार्यालय और मोबईल में सेव करेंगे.

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जनप्रतिनिधियों के फोन आने पर तत्काल काल रिसीव करेंगे. साथ ही बैठक में होने या अनुपलब्ध होने पर कॉल की जानकारी होने के उपरान्त प्राथमिकता पर सम्बन्धित जनप्रतिनिधि को कॉल बैक करेंगे. उनके द्वारा जनसामान्य की समस्याओं के निराकरण हेतु दिये गये सुझावों और अनुरोधों का निस्ताकरण नियमानुसार प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करेंगे.

उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से ही, सांसदों, विधायकों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों की ओर से अधिकारियों को उनकी बात ना सुने जाने की शिकायतें की जाती रही हैं. भाजपा के कई विधायकों ने तो कई बार मीडिया के सामने ही अपना दर्द बयां किया है.

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