लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी करने की चाह रखने वाले अभ्यर्थियों के लिए एक अच्छी खबर है. यहां पीएचडी की सीटों में इजाफा होने जा रहा है. असल में, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से यूजी पाठ्यक्रम का संचालन करने वाले कॉलेजों के शिक्षकों को भी पीएचडी कराने की अनुमति दे दी गई है. शनिवार को ही विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में कार्यपरिषद की बैठक संपन्न हुई. इसमें केवल स्नातक की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों के शिक्षकों को पीएचडी कराने का प्रस्ताव रखा. इस पर विचार विमर्श के बाद परिषद ने अपनी मुहर लगा दी है. अब यह प्रस्ताव राज्यपाल के यहां जाएगा. उनकी स्वीकृत मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा. हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षकों के बीच नाराजगी है. उनका कहना है कि यह यूजीसी के नियमों को खुला उल्लघंन है.
64 महाविद्यालयों को कोर्स चलाने की अनुमति
कार्य परिषद ने शनिवार को 64 महाविद्यालयों में चलने वाले स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्सो को स्थाई व अस्थाई सम्बद्धता प्रदान की. इसमें लखनऊ और अन्य चार जिलों के महाविद्यालय शामिल हैं.
सम्बद्धता पाने वाले लखनऊ के प्रमुख कॉलेज
रजत पीजी कॉलेज को बीएलएड की स्थाई सम्बद्धता
इरम गल्र्स कॉलेज को बीए मनोविज्ञान व भूगोल और एमए अंग्रेजी की अस्थाई सम्बद्धता
यूनिटी कॉलेज को एमकाम की अस्थाई सम्बद्धता
वासुदेव डिग्री कॉलेज को एमए शिक्षा शास्त्र की अस्थाई सम्बद्धता
डॉ. आशा स्मृति महाविद्यालय को बैचलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस की अस्थाई सम्बद्धता
यशराज कॉलेज को बीएड की स्थाई सम्बद्धता
बैठक में लिए गए अहम फैसले
कार्य परिषद ने विवि के उन कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देने के प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृत दी, जिनका निधन कोरोना महामारी से हुआ है. नौेकरी पाने वालों में आयुष मिश्रा, नीरा देवी, मृदुल मोहन शर्मा, आसिफ खान और हीरा नागर शामिल हैं.
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