लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय में पहली बार अमेरिकी छात्रों ने उर्दू व फारसी विषयों में पढ़ने की रुचि दिखाई है. इसे देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय अपने यहां पहली बार ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान ऐसे छात्रों के लिए फारसी और उर्दू विषय में डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की तैयारी कर रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन डिप्लोमा कोर्स को विदेशी छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. ज्ञात हो कि बीते कुछ समय से विभिन्न देशों के छात्रों ने लखनऊ विश्वविद्यालय पढ़ने के लिए दिखा रहे है. ऐसे में विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों के मांग के अनुसार कोर्स तैयार कर रहा है. जिससे अधिक से अधिक छात्रों को प्रवेश दिया जा सके.
6 सप्ताह का डिप्लोमा कोर्स तैयार: लखनऊ विश्वविद्यालय ने विदेशी छात्रों के लिए फारसी और उर्दू में ग्रीष्मकालीन डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है. इस कोर्स 6 सप्ताह के ग्रीष्मकालीन कोर्स को नई दिल्ली के अमेरिकी संस्थान और लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ रहे अमेरिकी छात्रों के लिए फ़ारसी विभाग व उर्दू विभाग के सहयोग से तैयार किया गया है. यह डिप्लोमा कोर्स एनईपी-2020 के अनुरूप तैयार किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य विशिष्ट व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भाषा शिक्षा के दायरे को बढ़ना है.
भाषा, संस्कृति और संचार में 6 सप्ताह का कोर्स प्रवेश लेने वाले छात्रों को पहले इन तीनों चीजों में प्रशिक्षण दिया जाएगा. ताकि उन्हें भाषा के साथ-साथ उससे जुड़ी संस्कृति का भी ज्ञान हो सके. विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि यह कोर्स अगले माह मई से शुरू हो जाएगा. यह डिप्लोमा कोर्स इन विभागों की तरफ से शुरू किए जाने वाला अपनी तरह का यह पहला कोर्स होगा. इसके अलावा विश्वविद्यालय विभिन्न विदेशी छात्रों की जरुरत के अनुरूप विशेष रूप से और विभागों में नए कोर्स डिज़ाइन करा रहा है.
विदेशी छात्रों की लगातार बढ़ रही रुचि: लखनऊ विश्वविद्यालय की डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर पूनम टंडन का कहना है कि विदेशी छात्रों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है. कुलपति आलोक कुमार राय ने बताया की हम वैज्ञानिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक ज्ञान और परंपरा को विश्व पटल पर ले जाने की कोशिश कर रहे है. इस तरह की कोशिशों से लखनऊ विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय पटल पर विशेष पहचान दिलाने के साथ ही वर्ल्ड रैंकिंग में भी अपनी स्थिति में सुधार करने का मौका मिलेगा. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आईएसए के निदेशक प्रो.आरपी सिंह ने बताया कि भाषा और संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर विभिन्न लघु कार्यक्रमों पर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के द्वारा विदेशी छात्रों के आवेदन मिलना शुरू हो गए हैं.
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