लखनऊ: राजधानी में कमलेश तिवारी हत्याकांड में जिस तरीके से घटना को अंजाम दिया गया, पुलिस विचार कर रही है कि कहीं किसी मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों के चलते तो हत्या नहीं हुई. वहीं कमलेश तिवारी के समर्थक भी मुस्लिम विरोधी नारेबाजी कर रहे हैं. कमलेश तिवारी की पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें उलेमाओं द्वारा सिर कलम करने के बदले इनाम देने की बात का जिक्र करते हुए उलेमाओं पर आरोप लगाए गए हैं.
घटना के बाद जब कमलेश तिवारी के पुत्र ऋषि तिवारी से बातचीत की गई तो ऋषि ने भी अपने बयान में उलेमाओं का जिक्र किया और अपने पिता की हत्या का जिम्मेदार उलेमाओं को ही माना. वहीं मुस्लिमों के खिलाफ भी ऋषि ने बयान दिया. प्रदर्शन के दौरान ईटीवी भारत ने कमलेश तिवारी के दोस्त राकेश से बात की. कमलेश तिवारी हिंदुओं के मुद्दों को लेकर फेसबुक पर लिखा करते थे. ऐसे में कई मुस्लिम संगठन उनसे काफी नाराज चल रहे थे और उन्हें फेसबुक पर लगातार धमकियां मिल रही थीं. कई धमकियां तो उन्हें फोन पर भी दी गईं. इसको लेकर लगातार सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए मांग की जा रही थी, लेकिन उनकी मांग को गंभीरता से नहीं लिया गया.
दो दिन पहले भी कमलेश तिवारी ने ट्वीट करके अपनी जान को खतरा बताया था. चर्चाएं हैं कि एटीएस ने भी लखनऊ पुलिस को इनपुट भेजा था कि कमलेश तिवारी की जान को खतरा है, लेकिन लखनऊ पुलिस ने इस पर खास ध्यान नहीं दिया और सुरक्षा में लापरवाही बरती गई.
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कमलेश तिवारी की हत्या के बाद जिस तरह से लखनऊ में हिंदू-मुस्लिम को लेकर एक माहौल बना है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर यह नौबत क्यों आई कि एक हिंदू की मौत पर पूरे मुस्लिम समाज को कटघरे में खड़ा किया गया. ऐसे में इस बात की खूब चर्चाएं हो रही हैं कि आखिर फेसबुक पर इस तरीके की आपत्तिजनक टिप्पणियां क्यों की जाती हैं और यह सिर्फ एक तरफ से नहीं है. फेसबुक पर बड़े पैमाने पर ऐसे फेसबुक अकाउंट और पेज मिल जाएंगे जो दूसरे धर्म के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट करते हैं.
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ऐसे में साइबर सेल के लोग इन कम्युनल अकाउंट और पेज पर निगरानी क्यों नहीं रखते. ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं लागू की जाती कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए, जिससे समाज को नकारात्मक दिशा में जाने से रोका जा सके. लखनऊ पुलिस जहां लॉ एण्ड ऑर्डर को बनाए रखने में नाकामयाब नजर आ रही है. वहीं सोशल मीडिया पर होने वाली कम्युनल एक्टिविटीज पर भी लगाम लगाने में लखनऊ पुलिस पूरी तरीके से फेल है.