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लखनऊः एसटीपी से शोधित पानी को दोबारा इस्तेमाल में लाएगा नगर-निगम

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले शोधित पानी को दोबारा इस्तेमाल के लिए लाया जाएगा. इससे जहां भूगर्भ जलदोहन में कमी आएगी, वहीं सुगमता से पानी भी उपलब्ध होगा. इसके लिए लखनऊ नगर निगम ने कार्य योजना तैयार की है, जिसके तहत शोषित पानी को बेचकर नगर-निगम कमाई भी करेगा.

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सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
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Published : Oct 10, 2020, 10:15 PM IST

लखनऊः सीवरेज ट्रीटमेंट का पानी अब उपयोग में लाने की तैयारी की जा रही है. इसको लेकर राजधानी के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि गोमती नगर के भरवारा में 345 एमएलडी का एसटीपी और दौलतगंज में 56 एमएलडी का एसटीपी है. फिलहाल वहां का शोधित पानी नदी में छोड़ा जाता है. वहीं अब भवन निर्माण कार्य और धूल आदि को लेकर सड़कों पर किए जाने वाले छिड़काव में इस शोधित पानी का इस्तेमाल किए जाने की योजना बनाई जा रही है, जिसको लेकर करीब सप्ताह भर में कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इससे पहले प्रति टैंकर पानी की कीमत भी तय की जाएगी.

नगर आयुक्त ने बताया कि नगर निगम के पार्कों में भी यही पानी उपयोग में लाया जाएगा, जिसके लिए पहले दस टैंकर लगाए जाएंगे. शहरवासी जरूरत के हिसाब से टैंकर मंगा सकेंगे. साथ ही इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनाकर नंबर भी जारी किया जाएगा. हालांकि इसके लिए अभी कीमत तय नहीं की गई है, लेकिन कीमत को कम से कम रखे जाने पर विचार किया जा रहा है. नगर आयुक्त के मुताबिक इस पानी का इस्तेमाल सड़क पर छिड़काव के लिए भी किया जाएगा. दरअसल एनजीटी ने स्पष्ट आदेश दिया था कि सड़कों पर पानी डालने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीटेड वॉटर का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन इस आदेश की अवहेलना होती दिख रही है. अभी टैंकरों में पीने का पानी इस्तेमाल कर छिड़काव किया जाता है.

दरअसल आंकड़ों के मुताबिक शहर में हर साल अक्टूबर के बाद प्रदूषण का ग्राफ बढ़ जाता है, जिसको लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण संबंधित अथॉरिटी को दिशा-निर्देश जारी करती रहती है. लखनऊ में उड़ रही धूल वायु प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. सड़क के किनारे और डिवाइडर पर भी धूल जमी रहती है, जिससे हल्की हवा में ये धूल उड़कर वातावरण को प्रदूषित करती है और यही धूल पेड़ों के पत्तों पर भी जमा हो जाती है.

ऐसे में एनजीटी ने कहा था कि संबंधित अथॉरिटी पानी का छिड़काव ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करे, ताकि धूल न उड़े. एनजीटी ने पानी का छिड़काव करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी इस्तेमाल करने के आदेश पिछले साल जारी किए थे.

लखनऊः सीवरेज ट्रीटमेंट का पानी अब उपयोग में लाने की तैयारी की जा रही है. इसको लेकर राजधानी के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि गोमती नगर के भरवारा में 345 एमएलडी का एसटीपी और दौलतगंज में 56 एमएलडी का एसटीपी है. फिलहाल वहां का शोधित पानी नदी में छोड़ा जाता है. वहीं अब भवन निर्माण कार्य और धूल आदि को लेकर सड़कों पर किए जाने वाले छिड़काव में इस शोधित पानी का इस्तेमाल किए जाने की योजना बनाई जा रही है, जिसको लेकर करीब सप्ताह भर में कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इससे पहले प्रति टैंकर पानी की कीमत भी तय की जाएगी.

नगर आयुक्त ने बताया कि नगर निगम के पार्कों में भी यही पानी उपयोग में लाया जाएगा, जिसके लिए पहले दस टैंकर लगाए जाएंगे. शहरवासी जरूरत के हिसाब से टैंकर मंगा सकेंगे. साथ ही इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनाकर नंबर भी जारी किया जाएगा. हालांकि इसके लिए अभी कीमत तय नहीं की गई है, लेकिन कीमत को कम से कम रखे जाने पर विचार किया जा रहा है. नगर आयुक्त के मुताबिक इस पानी का इस्तेमाल सड़क पर छिड़काव के लिए भी किया जाएगा. दरअसल एनजीटी ने स्पष्ट आदेश दिया था कि सड़कों पर पानी डालने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीटेड वॉटर का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन इस आदेश की अवहेलना होती दिख रही है. अभी टैंकरों में पीने का पानी इस्तेमाल कर छिड़काव किया जाता है.

दरअसल आंकड़ों के मुताबिक शहर में हर साल अक्टूबर के बाद प्रदूषण का ग्राफ बढ़ जाता है, जिसको लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण संबंधित अथॉरिटी को दिशा-निर्देश जारी करती रहती है. लखनऊ में उड़ रही धूल वायु प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. सड़क के किनारे और डिवाइडर पर भी धूल जमी रहती है, जिससे हल्की हवा में ये धूल उड़कर वातावरण को प्रदूषित करती है और यही धूल पेड़ों के पत्तों पर भी जमा हो जाती है.

ऐसे में एनजीटी ने कहा था कि संबंधित अथॉरिटी पानी का छिड़काव ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करे, ताकि धूल न उड़े. एनजीटी ने पानी का छिड़काव करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी इस्तेमाल करने के आदेश पिछले साल जारी किए थे.

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