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लखनऊ नगर निगम ने अमौसी में 23 बीघे सरकारी जमीन कब्जे से कराई मुक्त - Illegal plotting of government land in Lucknow

लखनऊ में भू-माफिया सरकारी जमीन की अवैध प्लाटिंग (Illegal plotting of government land in Lucknow) कर बेच रहे थे. लखनऊ नगर निगम ने अमौसी में 23 बीघे सरकारी जमीन कब्जे से मुक्त कराई.

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Published : May 8, 2023, 7:39 AM IST

लखनऊ: अमौसी में नगर निगम की करीब 23 बीघे सरकारी जमीन पर अवैध रूप से प्लाटिंग कर दी. बाउंड्री कर जमीन को बेच दिया गया. अवैध कब्जे के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत रविवार को बड़ी कार्रवाई की गई. सरोजनीनगर तहसील के अंतर्गत ग्राम अमौसी में अवैध कब्जे व पक्के निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया. भूमि को कब्जा मुक्त करा लिया गया. लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) में निहित भूमि, जिसका क्षेत्रफल 5.735 हेक्टेयर/23 बीघे व बाजार मूल्य लगभग 58 करोड़ रुपये है. इस पर अवैध कब्जा कर प्लाटिंग करके विक्रय कर दिया गया था.

खरीदारों की ओर से भूखंडों पर बाउड्रीवाल, नीव का निर्माण एवं टीन शेड आदि बनाकर अवैध निर्माण करा लिया गया था. लखनऊ में सरकारी जमीन की अवैध प्लाटिंग (Illegal plotting of government land in Lucknow) को लेकर शिकायकर्ताओं की ओर से बताया गया कि सुरेश रावत, नबीन शर्मा व हरीश यादव आदि द्वारा उक्त अवैध प्लाटिंग कर बेच दिया. जिनके ऊपर कार्रवाई के लिए सरोजनीनगर थाना को निर्देशित किया गया. सीमा विस्तार के बाद 88 गांवों की काफी जमीन भी निगम क्षेत्र में शामिल हो गयी है. इनकी ग्राम समाज की जमीन नगर निगम को मिल गई है.

प्रॉपर्टी डीलरों और भूमाफिया ने इन पर कब्जा कर अवैध प्लॉटिंग करते हुए बेच दिया. प्रॉपर्टी डीलर करोड़ों रुपए कमा कर किनारे हो गए हैं, जबकि लोग अब परेशान घूम रहे हैं. रविवार को नगर निगम दस्ते ने एसडीएम अलंकार अग्निहोत्री व उप नगर आयुक्त संगीता कुमारी के नेतृत्व में अमौसी में अवैध प्लॉटिंग ध्वस्त कराई. खाली कराई गई जमीन की कीमत करीब 15 करोड़ है. नगर निगम ने यहां बाउंड्रीवाल, नींव और कार्यालय आदि तोड़ दिए.

कुछ लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन नगर निगम की टीम की सख्ती पर पीछे हट गए. इस जमीन पर नगर निगम अपनी बाउंड्री करवाकर बोर्ड भी लगाएगा. नगर निगम कार्रवाई में ध्वस्तीकरण के बाद प्रॉपर्टी डीलरों, भू माफिया पर एफआईआर नहीं करवा रहा है. कई जगह जमीनों पर भूमाफिया प्लॉटिंग कर उसे बेच चुका है. मगर भू माफिया पर मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया. इस वजह से वह लगातार नगर निगम की जमीनें बेच कर करोड़ों कमा रहे हैं और निगम का संपत्ति विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

ये भी पढ़ें- यूपी निकाय चुनाव: दूसरे चरण के मतदान को लेकर निर्वाचन आयुक्त ने अफसरों को दिए ये निर्देश

लखनऊ: अमौसी में नगर निगम की करीब 23 बीघे सरकारी जमीन पर अवैध रूप से प्लाटिंग कर दी. बाउंड्री कर जमीन को बेच दिया गया. अवैध कब्जे के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत रविवार को बड़ी कार्रवाई की गई. सरोजनीनगर तहसील के अंतर्गत ग्राम अमौसी में अवैध कब्जे व पक्के निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया. भूमि को कब्जा मुक्त करा लिया गया. लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) में निहित भूमि, जिसका क्षेत्रफल 5.735 हेक्टेयर/23 बीघे व बाजार मूल्य लगभग 58 करोड़ रुपये है. इस पर अवैध कब्जा कर प्लाटिंग करके विक्रय कर दिया गया था.

खरीदारों की ओर से भूखंडों पर बाउड्रीवाल, नीव का निर्माण एवं टीन शेड आदि बनाकर अवैध निर्माण करा लिया गया था. लखनऊ में सरकारी जमीन की अवैध प्लाटिंग (Illegal plotting of government land in Lucknow) को लेकर शिकायकर्ताओं की ओर से बताया गया कि सुरेश रावत, नबीन शर्मा व हरीश यादव आदि द्वारा उक्त अवैध प्लाटिंग कर बेच दिया. जिनके ऊपर कार्रवाई के लिए सरोजनीनगर थाना को निर्देशित किया गया. सीमा विस्तार के बाद 88 गांवों की काफी जमीन भी निगम क्षेत्र में शामिल हो गयी है. इनकी ग्राम समाज की जमीन नगर निगम को मिल गई है.

प्रॉपर्टी डीलरों और भूमाफिया ने इन पर कब्जा कर अवैध प्लॉटिंग करते हुए बेच दिया. प्रॉपर्टी डीलर करोड़ों रुपए कमा कर किनारे हो गए हैं, जबकि लोग अब परेशान घूम रहे हैं. रविवार को नगर निगम दस्ते ने एसडीएम अलंकार अग्निहोत्री व उप नगर आयुक्त संगीता कुमारी के नेतृत्व में अमौसी में अवैध प्लॉटिंग ध्वस्त कराई. खाली कराई गई जमीन की कीमत करीब 15 करोड़ है. नगर निगम ने यहां बाउंड्रीवाल, नींव और कार्यालय आदि तोड़ दिए.

कुछ लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन नगर निगम की टीम की सख्ती पर पीछे हट गए. इस जमीन पर नगर निगम अपनी बाउंड्री करवाकर बोर्ड भी लगाएगा. नगर निगम कार्रवाई में ध्वस्तीकरण के बाद प्रॉपर्टी डीलरों, भू माफिया पर एफआईआर नहीं करवा रहा है. कई जगह जमीनों पर भूमाफिया प्लॉटिंग कर उसे बेच चुका है. मगर भू माफिया पर मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया. इस वजह से वह लगातार नगर निगम की जमीनें बेच कर करोड़ों कमा रहे हैं और निगम का संपत्ति विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

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