लखनऊ: लखनऊ नगर निगम अपनी नाकामी को छिपाने के लिये लखनऊ के गृहकर दाताओं पर दोहरी नीति अपना रहा है. अभी हाल ही में दो दिन पहले 50 बड़े बकायेदारों की लिस्ट आयी थी. लेकिन लखनऊ नगर निगम के अधिकारी छोटे कारोबारियों पर पैंतरा आजमाते हुए उनके दुकानों की शटर बंद कराकर वाहवाही लूट रहे हैं.
आपको बता दें कि लखनऊ नगर निगम की ओर से गृहकर वसूली के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की गई है. नगर आयुक्त की फटकार के बाद अधिकारियों ने वसूली तेज कर दी है. लेकिन यहां भी अधिकारियों की ओर से दोहरी नीति अपनाई जा रही है. आलम यह है कि अधिकारी गृहकर के बड़े बकायेदारों पर मेहरबान हैं जबकि छोटे बकायेदारों पर लगातार डंडा चला रहे हैं और छोटे दुकानदारों की दुकानों को सील करके उनकी आमदनी का जरिया भी बंद कर रहे हैं.
लखनऊ नगर निगम की आय का सबसे बड़ा साधन गृहकर है. इसकी वसूली के लिए बीते कई महीनों से लगातार अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन नतीजे अच्छे नहीं आ रहे हैं. लखनऊ नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक 5 लाख 69 हजार गृहकरदाताओं में से अब तक 2 लाख 73 हजार लोग टैक्स अदा कर चुके हैं. इनमें से करीब दो लाख करदाता आम लोग हैं. ये न तो बड़े कारोबारी और न ही किसी बड़े विभाग वाले हैं.
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बीते दिनों नगर आयुक्त अजय द्विवेदी की तरफ से विशेष बैठक कर अधिकारियों को फटकार लगाई गई थी. जिसके बाद गृहकर वसूली की प्रक्रिया को तेज किया गया है. बीते शनिवार को प्रवर्तन अधिकारी कर्नल सत्येंद्र सिंह के नेतृत्व में टीम लीडर अनिरुद्ध तिवारी ने प्रवर्तन दल की टीम, ज़ोन-2 के कर अधीक्षक चंद्रशेखर यादव और उनकी टीम के साथ संयुक्त अभियान चलाकर कैम्पबेल रोड में सीलिंग की कार्रवाई कर 04 दुकानों को कर जमा न होने के कारण सील कर दिया गया और 2.50 लाख का कर वसूली भी किया गया. टीम लीडर राजेश सिंह ने जोन 1 के कर अधीक्षक अनूप श्रीवास्तव के साथ विधानसभा मार्ग से गृह कर वसूली में 19 लाख रुपये वसूले. इस तरह कुल 21 लाख 50 हजार रुपये टैक्स के जरिये वसूला गया.
लखनऊ नगर निगम की ओर से बीते दिनों बड़े बकायेदारों की लिस्ट तैयार की गई थी. जिसमें टॉप 50 बकायदारों की लिस्ट में शहर के कई बड़े व नामचीन लोग शामिल हैं. सिर्फ इन 50 बड़े बकायेदारों पर नगर निगम का करीब 31 करोड़ 31 लाख 15 हजार 663 रुपये की देनदारी है. खास बात यह है कि इसमें किसी आम आदमी का नाम नहीं है बल्कि शहर के नामचीन शिक्षण संस्थान, होटल और कॉम्प्लैक्स मालिकों के नाम हैं. लेकिन लखनऊ नगर निगम के अधिकारी इन नामचीन और हैसियतदार लोगों से कर वसूली करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है बल्कि छोटे बकायेदारों की दुकानों का शटर बंद करके उनकी आमदनी का जरिया बंद कर रहे हैं.
नगर निगम की इस कार्रवाई को लेकर व्यापारियों में काफी नाराजगी है. व्यापारियों का कहना है कि नगर निगम इस पूरे मामले में पिक एंड चूज की नीति अपना रहा है. अमीनाबाद के कारोबारी सुरेश कुमार का कहना है कि नगर निगम को पहले अपने बड़े बकायेदारों से वसूली करनी चाहिए उसके बाद छोटे कारोबारियों पर करवाई करें.