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पूर्व राज्यसभा बनवारी लाल कंछल को बड़ी राहत, दोषसिद्धि पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 28, 2023, 10:54 PM IST

पूर्व राज्यसभा सांसद बनवारी लाल कंछल( Former Rajya Sabha MP Banwari Lal Kanchal) को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने कंछल के दोषसिद्धि पर रोक लगाई है.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेच ने पूर्व राज्य सभा सांसद और व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने बनवारी लाल कंछल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने कहा है कि निचली अदालत के निर्णय के विरुद्ध कंछल द्वारा सत्र अदालत में दायर अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी. गौरतलब है, सरकारी कामकाज के दौरान बिक्री कर रहे अधिकारी से मारपीट कर जानमाल की धमकी देने के आरोप में निचली अदालत ने दोषसिद्ध करार दिया था.

यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने बनवारी लाल कंछल की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया है. इसके पहले 23 फरवरी 2023 को कंछल को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी. अपीलीय अदालत ने सजा पर 1 मार्च 2023 को ही रोक लगाते हुए कंछल को जमानत पर रिहा कर दिया था. लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. जिसके खिलाफ कंछल ने हाईकोर्ट की शरण ली.

उल्लेखनीय है कि इस मामले की रिपोर्ट बिक्री कर अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी ने 6 अक्टूबर 1991 को हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी. घटना के दिन वादी बिक्री कर कार्यालय मीराबाई मार्ग परिसर में राजकीय कार्य कर रहे थे. उसी समय बनवारी लाल कंछल ने अपने साथियों के साथ आकर वादी को मारा और अन्य लोगों ने गाली देना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि रोड चेकिंग के दौरान लखनऊ में माल से लदी गाड़ियां क्यों पकड़ते हो.

कहा गया कि इसी शोर-शराबे के दौरान बिक्री कर भवन में उपस्थित अन्य बिक्री कर अधिकारी व कर्मचारी मौके पर आए. जिसके कारण कंछल व उसके साथी यह कहते हुए भाग गए कि यदि फिर कभी गाड़ी पकड़ी तो जान से मार देंगे. अदालत को यह भी बताया गया कि इसके पहले भी आरोपियों ने सचल दल कार्यालय में बिक्री कर अधिकारी डीसी चतुर्वेदी के साथ गाली गलौज की थी और कार्यालय में रखी हुई कुर्सियां पटक कर तोड़ दी थी. इसके साथ ही धमकी भी दी थी कि जो अधिकारी लखनऊ में माल पकड़ेगा, उसे जान से मार दिया जाएगा.


न्यायिक व्यवस्था में ये बदलाव की अनदेखी नहीं कर सकते: कंछल की याचिका का श्री राम स्वरूप मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड कंप्यूटर अप्लीकेशन सोसायटी के सदस्यों डॉ. स्वाती अग्रवाल, डॉ. भारतेन्दु अग्रवाल व लक्ष्मी नारायन अग्रवाल की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल कर विरोध किया गया. दरअसल, दोषसिद्धि के कारण उक्त सोसायटी में कंछल की सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रस्ताव पारित हो चुका था. हालांकि मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान उक्त हस्तक्षेपकर्ताओं के अधिवक्ता के न उपलब्ध होने पर न्यायालय ने सुनवाई शुरू कर दी.

जिस पर हस्तक्षेपकर्ताओं के अधिवक्ता ने आपत्ति जताई. इस पर न्यायालय ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था के बदले हुए स्वरूप की हम अनदेखी नहीं कर सकते. अधिवक्ता के उपलब्ध न होने पर किसी मामले को ‘पास ओवर’ करने में भी एक से दो मिनट जाया हो जाता है. जबकि कोर्ट का एक-एक मिनट कीमती है. न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि आज का दिन शुरू होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल लम्बित केसों की संख्या 10,60,451 थी, जिसमें 4,96,876 सिर्फ आपराधिक मुकदमे हैं.

यह भी पढ़ें: एक अंक विवाद मामला: बेसिक शिक्षा बोर्ड और परीक्षा नियामक प्राधिकरण के सचिवों के खिलाफ आरोप तय

यह भी पढ़ें: कौन है विजय यादव, जिसने कोर्ट रूम में घुसकर संजीव जीवा पर बरसाईं गोलियां

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेच ने पूर्व राज्य सभा सांसद और व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने बनवारी लाल कंछल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने कहा है कि निचली अदालत के निर्णय के विरुद्ध कंछल द्वारा सत्र अदालत में दायर अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी. गौरतलब है, सरकारी कामकाज के दौरान बिक्री कर रहे अधिकारी से मारपीट कर जानमाल की धमकी देने के आरोप में निचली अदालत ने दोषसिद्ध करार दिया था.

यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने बनवारी लाल कंछल की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया है. इसके पहले 23 फरवरी 2023 को कंछल को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी. अपीलीय अदालत ने सजा पर 1 मार्च 2023 को ही रोक लगाते हुए कंछल को जमानत पर रिहा कर दिया था. लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. जिसके खिलाफ कंछल ने हाईकोर्ट की शरण ली.

उल्लेखनीय है कि इस मामले की रिपोर्ट बिक्री कर अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी ने 6 अक्टूबर 1991 को हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी. घटना के दिन वादी बिक्री कर कार्यालय मीराबाई मार्ग परिसर में राजकीय कार्य कर रहे थे. उसी समय बनवारी लाल कंछल ने अपने साथियों के साथ आकर वादी को मारा और अन्य लोगों ने गाली देना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि रोड चेकिंग के दौरान लखनऊ में माल से लदी गाड़ियां क्यों पकड़ते हो.

कहा गया कि इसी शोर-शराबे के दौरान बिक्री कर भवन में उपस्थित अन्य बिक्री कर अधिकारी व कर्मचारी मौके पर आए. जिसके कारण कंछल व उसके साथी यह कहते हुए भाग गए कि यदि फिर कभी गाड़ी पकड़ी तो जान से मार देंगे. अदालत को यह भी बताया गया कि इसके पहले भी आरोपियों ने सचल दल कार्यालय में बिक्री कर अधिकारी डीसी चतुर्वेदी के साथ गाली गलौज की थी और कार्यालय में रखी हुई कुर्सियां पटक कर तोड़ दी थी. इसके साथ ही धमकी भी दी थी कि जो अधिकारी लखनऊ में माल पकड़ेगा, उसे जान से मार दिया जाएगा.


न्यायिक व्यवस्था में ये बदलाव की अनदेखी नहीं कर सकते: कंछल की याचिका का श्री राम स्वरूप मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड कंप्यूटर अप्लीकेशन सोसायटी के सदस्यों डॉ. स्वाती अग्रवाल, डॉ. भारतेन्दु अग्रवाल व लक्ष्मी नारायन अग्रवाल की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल कर विरोध किया गया. दरअसल, दोषसिद्धि के कारण उक्त सोसायटी में कंछल की सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रस्ताव पारित हो चुका था. हालांकि मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान उक्त हस्तक्षेपकर्ताओं के अधिवक्ता के न उपलब्ध होने पर न्यायालय ने सुनवाई शुरू कर दी.

जिस पर हस्तक्षेपकर्ताओं के अधिवक्ता ने आपत्ति जताई. इस पर न्यायालय ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था के बदले हुए स्वरूप की हम अनदेखी नहीं कर सकते. अधिवक्ता के उपलब्ध न होने पर किसी मामले को ‘पास ओवर’ करने में भी एक से दो मिनट जाया हो जाता है. जबकि कोर्ट का एक-एक मिनट कीमती है. न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि आज का दिन शुरू होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल लम्बित केसों की संख्या 10,60,451 थी, जिसमें 4,96,876 सिर्फ आपराधिक मुकदमे हैं.

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