प्रयागराज: संगमनगरी में बसे महाकुंभ में में सनातन बोर्ड और हिंदू राष्ट्र के बाद अब श्री कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने की भी मांग तेजी से उठने लगी है.श्री कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने को लेकर महाकुंभ मेले में महासंवाद का आयोजन किया गया. यहा साधु-संतों ने एक स्वर से मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने की मांग उठाई.
महाकुंभ मेला क्षेत्र में मुक्ति मार्ग पर श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ के शिविर में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति के लिए महा संवाद का आयोजन किया गया. श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ के पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी राजेश्वरमाऊली सरकार के नेतृत्व में यह आयोजन हुआ. इसमें बड़ी संख्या में शामिल हुए साधु-संतों ने एक स्वर में श्री कृष्ण जन्मभूमि के मुक्त करवाने की मांग उठाई गयी. कार्यक्रम में काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती भी पहुंचे थे. उन्होंने भी कहा कि यह सनातन धर्म के उदय का काल है. अगर इस समय श्री कृष्ण जन्मभूमि को हम मुक्त नहीं करा पाए तो यह कभी नहीं हो सकेगा.
संतों के महासंवाद कार्यक्रम में राजेश्वरमाऊली सरकार ने कहा कि हमारे इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है. 5 सौ वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने का सपना पूरा हुआ है, लेकिन अयोध्या में मंदिर निर्माण के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर के निर्माण में देर नहीं होनी चाहिए. कहा कि सभी सनातन धर्म को मानने वाले अब एकजुट होकर एक संकल्प के साथ इस लड़ाई को लड़ेंगे, तभी हिंदुओं को सफलता मिलेगी. कहा है कि इस महाकुंभ से श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति और भव्य मंदिर निर्माण को लेकर जो संदेश महासंवाद से निकला है, उसकी आवाज़ केंद्र सरकार तक जरुर सुनाई देगी.
महासंवाद कार्यक्रम में श्री कृष्ण भूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े मुकदमे के वादी वकील डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह भी शामिल हुए थे. कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. साधु-संतों की अगुवाई में इस आंदोलन को और तेज करने की जरूरत है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अयोध्या विवाद की तर्ज पर श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद की सुनवाई चल रही है. जिसमें अगली सुनवाई 11 फरवरी को होनी है. बताया कि विवाद से जुड़ीं 18 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई चल रही है. दावा किया कि उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट का फैसला पक्ष में आएगा. क्योंकि मुस्लिम पक्ष के पास कोई साक्ष्य नहीं हैं, वो सिर्फ मामले को लटकाए रखना चाहता है.