ETV Bharat / state

बिजली चोरी पकड़ने गए कर्मचारियों पर हमले का मामला, हाईकोर्ट ने अभियुक्त को कोई भी राहत देने से किया इंकार

बिजली चोरी पकड़ने गए कर्मचारियों पर हमले का मामले में लखनऊ हाईकोर्ट ने अभियुक्त को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने याची की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी को क्रूरता से मारा-पीटा गया है.

author img

By

Published : Jun 12, 2023, 10:13 PM IST

लखनऊ हाईकोर्ट
लखनऊ हाईकोर्ट

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली चोरी पकड़ने गए कर्मचारियों के साथ मारपीट कर घायल करने व लूट करने के मामले में अभियुक्त को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. सोमवार को न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्त के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला बनाता है. लिहाजा उसकी याचिका खारिज की जाती है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रजनीश कुमार व न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की अवकाश कालीन पीठ ने अभियुक्त मोहम्मद शोएब उर्फ शोएब खान की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार व पॉवर कारपोरेशन के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने दलील दी कि मामले की एफआईआर 31 मई को थाना मड़ियांव में उपखंड अधिकारी मनोज पुष्कर की ओर से दर्ज कराई गई, जिसमें कहा गया कि वादी अवर अभियंता अंकुश मिश्रा व अन्य कर्मचारियों के साथ आईआईएम रोड स्थित ग्राम डिगुरिया में बिजली चोरी की जांच करने गया था.

वहां दो परिसरों में संदिग्ध मीटर पाया गया. इस पर वहां की बिजली काट दी गई व मीटर को अपने कब्जे में लिया जा रहा था, तभी मो. शोएब, शहाबुद्दीन, सरफुद्दीन व अलीम खान समेत तमाम लोगों ने टीम पर हमला कर दिया. कहा गया कि अवर अभियंता अंकुश मिश्रा पर हमलावरों ने धारदार हथियार से हमला किया, जिससे वह बेसुध होकर गिर गए. वहां से सभी कर्मचारी किसी तरह से बचकर निकले व अंकुश मिश्रा को ब्राइट अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान एक कर्मचारी के गले से सोने की चेन भी अभियुक्तों ने छीन ली.

याची की ओर से दलील दी गई उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है, जबकि घटना के समय वह गांव में मौजूद ही नहीं था. हालांकि न्यायालय ने याची की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी को क्रूरता से मारा-पीटा गया है. मामले में संज्ञेय अपराध बनाता है. लिहाजा याची को कोई राहत नहीं दी जा सकती.

पढ़ेंः हाईकोर्ट का आदेश, लेवाना होटल के खिलाफ न हो कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली चोरी पकड़ने गए कर्मचारियों के साथ मारपीट कर घायल करने व लूट करने के मामले में अभियुक्त को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. सोमवार को न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्त के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला बनाता है. लिहाजा उसकी याचिका खारिज की जाती है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रजनीश कुमार व न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की अवकाश कालीन पीठ ने अभियुक्त मोहम्मद शोएब उर्फ शोएब खान की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार व पॉवर कारपोरेशन के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने दलील दी कि मामले की एफआईआर 31 मई को थाना मड़ियांव में उपखंड अधिकारी मनोज पुष्कर की ओर से दर्ज कराई गई, जिसमें कहा गया कि वादी अवर अभियंता अंकुश मिश्रा व अन्य कर्मचारियों के साथ आईआईएम रोड स्थित ग्राम डिगुरिया में बिजली चोरी की जांच करने गया था.

वहां दो परिसरों में संदिग्ध मीटर पाया गया. इस पर वहां की बिजली काट दी गई व मीटर को अपने कब्जे में लिया जा रहा था, तभी मो. शोएब, शहाबुद्दीन, सरफुद्दीन व अलीम खान समेत तमाम लोगों ने टीम पर हमला कर दिया. कहा गया कि अवर अभियंता अंकुश मिश्रा पर हमलावरों ने धारदार हथियार से हमला किया, जिससे वह बेसुध होकर गिर गए. वहां से सभी कर्मचारी किसी तरह से बचकर निकले व अंकुश मिश्रा को ब्राइट अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान एक कर्मचारी के गले से सोने की चेन भी अभियुक्तों ने छीन ली.

याची की ओर से दलील दी गई उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है, जबकि घटना के समय वह गांव में मौजूद ही नहीं था. हालांकि न्यायालय ने याची की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी को क्रूरता से मारा-पीटा गया है. मामले में संज्ञेय अपराध बनाता है. लिहाजा याची को कोई राहत नहीं दी जा सकती.

पढ़ेंः हाईकोर्ट का आदेश, लेवाना होटल के खिलाफ न हो कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.