लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली चोरी पकड़ने गए कर्मचारियों के साथ मारपीट कर घायल करने व लूट करने के मामले में अभियुक्त को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है. सोमवार को न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्त के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला बनाता है. लिहाजा उसकी याचिका खारिज की जाती है.
यह आदेश न्यायमूर्ति रजनीश कुमार व न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की अवकाश कालीन पीठ ने अभियुक्त मोहम्मद शोएब उर्फ शोएब खान की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार व पॉवर कारपोरेशन के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने दलील दी कि मामले की एफआईआर 31 मई को थाना मड़ियांव में उपखंड अधिकारी मनोज पुष्कर की ओर से दर्ज कराई गई, जिसमें कहा गया कि वादी अवर अभियंता अंकुश मिश्रा व अन्य कर्मचारियों के साथ आईआईएम रोड स्थित ग्राम डिगुरिया में बिजली चोरी की जांच करने गया था.
वहां दो परिसरों में संदिग्ध मीटर पाया गया. इस पर वहां की बिजली काट दी गई व मीटर को अपने कब्जे में लिया जा रहा था, तभी मो. शोएब, शहाबुद्दीन, सरफुद्दीन व अलीम खान समेत तमाम लोगों ने टीम पर हमला कर दिया. कहा गया कि अवर अभियंता अंकुश मिश्रा पर हमलावरों ने धारदार हथियार से हमला किया, जिससे वह बेसुध होकर गिर गए. वहां से सभी कर्मचारी किसी तरह से बचकर निकले व अंकुश मिश्रा को ब्राइट अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान एक कर्मचारी के गले से सोने की चेन भी अभियुक्तों ने छीन ली.
याची की ओर से दलील दी गई उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है, जबकि घटना के समय वह गांव में मौजूद ही नहीं था. हालांकि न्यायालय ने याची की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी को क्रूरता से मारा-पीटा गया है. मामले में संज्ञेय अपराध बनाता है. लिहाजा याची को कोई राहत नहीं दी जा सकती.
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