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Court News : हिन्दू देवी-देवताओं पर टिप्पणी मामले में स्वामी प्रसाद मौर्या को राहत, आपराधिक मुकदमा निरस्त - हाईकोर्ट से स्वामी प्रसाद मौर्या को राहत

हिन्दू देवी-देवताओं पर टिप्पणी मामले में स्वामी प्रसाद मौर्या को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. अदालत ने स्वामी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को निरस्त कर दिया है.

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Published : May 18, 2023, 10:41 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या को बड़ी राहत दी है. न्यायालय ने हिन्दू देवी-देवताओं पर उनके द्वारा की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी मामले में उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को खारिज कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने स्वामी प्रसाद मौर्या की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. उनके विरुद्ध सुल्तानपुर की कोर्ट में आपराधिक परिवाद दाखिल करते हुए आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गौरी व गणेश पर काफी अपमानजनक टिप्पणी की है. उक्त परिवाद पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम सुल्तानपुर ने 20 नवम्बर 2014 को स्वामी प्रसाद के विरुद्ध समान जारी किया था. हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2016 को इस मामले में स्वामी प्रसाद को अंतरिम राहत दे दी थी. हालांकि पिछले वर्ष कोर्ट द्वारा बुलाए जाने के बावजूद हाजिर न होने पर उनके विरुद्ध पुनः वारंट जारी हुआ था.

मामले की बहस के दौरान स्वामी प्रसाद की ओर से दलील दी गई कि उन्हें आईपीसी की धारा 295-ए के तहत समान किया गया है, जबकि उक्त धारा के तहत किसी भी अभियुक्त को समन किए जाने से पूर्व शासन से स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि निजी आपराधिक परिवाद के मामलों में स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है. हालांकि राज्य सरकार की इस दलील को हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया. न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश को उद्धत करते हुए कहा कि धारा 295-ए के तहत अभियोजन चलाने के लिए शासन से अभियोजन स्वीकृति लेना सीआरपीसी की धारा 196 के तहत आवश्यक है. इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने आगे कहा कि बिना अभियोजन स्वीकृति के याची के विरुद्ध 295-ए के तहत संज्ञान लेना व समन जारी किया जाना विधिपूर्ण नहीं था.


यह भी पढ़ें : यूपी में टीबी मरीज पांच लाख से अधिक, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने की गोद लेने की अपील

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या को बड़ी राहत दी है. न्यायालय ने हिन्दू देवी-देवताओं पर उनके द्वारा की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी मामले में उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को खारिज कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने स्वामी प्रसाद मौर्या की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. उनके विरुद्ध सुल्तानपुर की कोर्ट में आपराधिक परिवाद दाखिल करते हुए आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गौरी व गणेश पर काफी अपमानजनक टिप्पणी की है. उक्त परिवाद पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम सुल्तानपुर ने 20 नवम्बर 2014 को स्वामी प्रसाद के विरुद्ध समान जारी किया था. हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2016 को इस मामले में स्वामी प्रसाद को अंतरिम राहत दे दी थी. हालांकि पिछले वर्ष कोर्ट द्वारा बुलाए जाने के बावजूद हाजिर न होने पर उनके विरुद्ध पुनः वारंट जारी हुआ था.

मामले की बहस के दौरान स्वामी प्रसाद की ओर से दलील दी गई कि उन्हें आईपीसी की धारा 295-ए के तहत समान किया गया है, जबकि उक्त धारा के तहत किसी भी अभियुक्त को समन किए जाने से पूर्व शासन से स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि निजी आपराधिक परिवाद के मामलों में स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है. हालांकि राज्य सरकार की इस दलील को हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया. न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश को उद्धत करते हुए कहा कि धारा 295-ए के तहत अभियोजन चलाने के लिए शासन से अभियोजन स्वीकृति लेना सीआरपीसी की धारा 196 के तहत आवश्यक है. इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने आगे कहा कि बिना अभियोजन स्वीकृति के याची के विरुद्ध 295-ए के तहत संज्ञान लेना व समन जारी किया जाना विधिपूर्ण नहीं था.


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