लखनऊ: दिनचर्या के बदलते हुए आधुनिकीकरण के चलते इंसान के शरीर में भी बदलाव आने लगते हैं और यह बदलाव बीमारी का रूप भी ले लेते हैं. ऐसा ही एक मामला कुछ दिनों पहले राजधानी के एक अस्पताल में आया, जहां पर मरीज से बात करते हुए डॉक्टरों ने उसकी सफल सर्जरी कर डाली. अपोलोमेडिक्स अस्पताल में हुई इस सर्जरी को डॉक्टर उत्तर भारत में इस तरह क पहला मामला बता रहे हैं.
एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट अवेक सर्जरी
डॉक्टरों ने भी इस बारे में गहन पड़ताल करके यह सोचा कि किस तरह से इस मरीज की ऐसी सर्जरी की जाए, जिससे इसको कम से कम नुकसान पहुंचे. अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ और सीटीवीएस सर्जन डॉ. विजयंत देवनराज ने बताया कि मरीज को दो साल से अधिक वक्त से सांस लेने में परेशानी हो रही थी. इसके अलावा सीने में दर्द, अपच, भूख न लगना, वजन लगातार कम होते जाना और कार्डियोमेगालय जैसे लक्षण भी पाए जा रहे थे. ऐसे में हमारी टीम ने मिलकर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट अवेक सर्जरी की. यह सर्जरी कठिन नहीं थी और इस सर्जरी के तहत मरीज के गंभीर होने की आशंका भी कम थी, क्योंकि वह प्राकृतिक रूप से सांस ले रहा था.
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डॉ. विजयंत ने बताया कि सर्जरी के समय मरीज लगातार हमसे बात करता रहा और इसी वजह से किसी भी तरह से सांस संबंधी परेशानियों का सामना हमें नहीं करना पड़ा. हालांकि इस मौके पर हमारे विभाग की टीम मौजूद रही और उनका सहयोग परस्पर मिलता रहा. हमने इस सर्जरी का नाम अवेक सर्जरी रखा है और यह उत्तर भारत में होने वाली ऐसी पहली सर्जरी है.
डॉ. विजयंत ने बताया कि सर्जरी में न केवल पेशेंट की आईसीयू जाने की गंभीरता कम हुई, बल्कि अस्पताल से भी उसको जल्दी छुट्टी मिली और उसके फॉलोअप के दौरान भी मरीज ने खुद बेहतर महसूस किया. हमारी इस टीम में एनएसथीसिया टीम और आईसीयू टीम ने सबसे अहम रोल निभाया, जिसकी वजह से पेशेंट के रिकवरी न केवल जल्दी हुई, बल्कि बेहतर रूप से हुई.