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लखनऊ विकास प्राधिकरण के दो बाबू बर्खास्त, धोखाधड़ी के शिकार ने व्यक्ति कर ली थी आत्महत्या - लखनऊ विकास प्राधिकरण के बाबू बर्खास्त

लखनऊ विकास प्राधिकरण की छवि धूमिल करने वाले दो निलम्बित बाबूओं को शुक्रवार को उपाध्यक्ष डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी की ओर से बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया गया. विभागीय जांच में दोनों बाबू दोषी पाए गए थे.

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Published : Mar 24, 2023, 11:03 PM IST

लखनऊ : प्लॉट की रजिस्ट्री के नाम पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के कुख्यात बाबू मुसाफिर सिंह ने एक व्यक्ति से 55 लाख रुपये लिए थे. इसके बाद रजिस्ट्री हुई न ही पैसे वापस किए. नतीजतन पीड़ित ने रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. मुकदमा और गिरफ्तारी के बाद बाबू को निलंबित किया गया था. इसके बाद मुसाफिर सिंह को अब लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने शुक्रवार को बर्खास्त करने का आदेश दिया है. इसके अलावा एक अन्य बाबू अजय कुमार वर्मा को भी कई गड़बड़ियों में संलिप्त पाए जाने पर निलंबित किया गया था. उसको भी नौकरी से निकालने का आदेश किया जा चुका है.

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया कि कठोर कार्यवाही करते हुए दोनों की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए गए हैं. विधि अनुभाग में कनिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत मुसाफिर सिंह द्वारा एक भूखंड का समायोजन कराकर रजिस्ट्री कराने के नाम पर बैजनाथ से 55 लाख रुपये व उसके साथी राकेश चन्द्र से 45 लाख रुपये अनैतिक रूप से लिए गए थे. एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी मुसाफिर सिंह द्वारा जमीन का समायोजन नहीं कराया गया. बैजनाथ एवं राकेश चन्द्र द्वारा अपना पैसा वापस मांगने पर मुसाफिर सिंह ने इनकार कर दिया. मुसाफिर सिंह द्वारा किए गए इस कृत्य से हुई मानसिक व आर्थिक परेशानी के चलते बैजनाथ ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. जिस पर मुसाफिर सिंह के खिलाफ जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसमें पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा था. लिपिक मुसाफिर सिंह को निलम्बित करते हुए विभागीय जांच शुरू की गई थी. दोषी पाए जाने पर उसको बर्खास्त कर दिया गया.

अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर कनिष्ठ लिपिक अजय वर्मा (निलम्बित) एवं कनिष्ठ लिपिक मुसाफिर सिंह (निलम्बित) को उपाध्यक्ष डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि प्राधिकरण में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात अजय वर्मा पर गोमतीनगर के वास्तुखंड स्थित भवन संख्या-3/710 के निरस्तीकरण की सूचना न देने तथा उक्त भवन की पत्रावली चार्ज में न देने एवं परोक्ष रूप से अवैध कब्जेदारों को बढ़ावा देते हुए प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे. जिस पर उसे निलम्बित किया गया था. इसके बाद अजय वर्मा पर गोमतीनगर के वास्तुखंड में स्थित अलग-अलग भूकंडों/भवनों के संदर्भ में अन्य व्यक्तियों का नाम बिना अनुमति के कम्प्यूटर पर मृतक लोगों की आईडी का प्रयोग करके अंकित कराने के आरोप लगे. जिस पर उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई. उक्त आरोपों की जांच के दौरान आरोपी बाबू अपने तैनाती स्थल से गायब हो गया तथा मोबाइल नंबर भी स्विच आफ कर लिया गया. अजय कुमार वर्मा को भी दोषी पाया गया है और बर्खास्त कर दिया गया.

यह भी पढ़ें : COURT NEWS : काली नदी को प्रदूषित करने पर मेरठ की शराब कंपनी पर आठ लाख का जुर्माना

लखनऊ : प्लॉट की रजिस्ट्री के नाम पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के कुख्यात बाबू मुसाफिर सिंह ने एक व्यक्ति से 55 लाख रुपये लिए थे. इसके बाद रजिस्ट्री हुई न ही पैसे वापस किए. नतीजतन पीड़ित ने रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. मुकदमा और गिरफ्तारी के बाद बाबू को निलंबित किया गया था. इसके बाद मुसाफिर सिंह को अब लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने शुक्रवार को बर्खास्त करने का आदेश दिया है. इसके अलावा एक अन्य बाबू अजय कुमार वर्मा को भी कई गड़बड़ियों में संलिप्त पाए जाने पर निलंबित किया गया था. उसको भी नौकरी से निकालने का आदेश किया जा चुका है.

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया कि कठोर कार्यवाही करते हुए दोनों की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए गए हैं. विधि अनुभाग में कनिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत मुसाफिर सिंह द्वारा एक भूखंड का समायोजन कराकर रजिस्ट्री कराने के नाम पर बैजनाथ से 55 लाख रुपये व उसके साथी राकेश चन्द्र से 45 लाख रुपये अनैतिक रूप से लिए गए थे. एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी मुसाफिर सिंह द्वारा जमीन का समायोजन नहीं कराया गया. बैजनाथ एवं राकेश चन्द्र द्वारा अपना पैसा वापस मांगने पर मुसाफिर सिंह ने इनकार कर दिया. मुसाफिर सिंह द्वारा किए गए इस कृत्य से हुई मानसिक व आर्थिक परेशानी के चलते बैजनाथ ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. जिस पर मुसाफिर सिंह के खिलाफ जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसमें पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा था. लिपिक मुसाफिर सिंह को निलम्बित करते हुए विभागीय जांच शुरू की गई थी. दोषी पाए जाने पर उसको बर्खास्त कर दिया गया.

अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर कनिष्ठ लिपिक अजय वर्मा (निलम्बित) एवं कनिष्ठ लिपिक मुसाफिर सिंह (निलम्बित) को उपाध्यक्ष डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि प्राधिकरण में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात अजय वर्मा पर गोमतीनगर के वास्तुखंड स्थित भवन संख्या-3/710 के निरस्तीकरण की सूचना न देने तथा उक्त भवन की पत्रावली चार्ज में न देने एवं परोक्ष रूप से अवैध कब्जेदारों को बढ़ावा देते हुए प्राधिकरण को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे. जिस पर उसे निलम्बित किया गया था. इसके बाद अजय वर्मा पर गोमतीनगर के वास्तुखंड में स्थित अलग-अलग भूकंडों/भवनों के संदर्भ में अन्य व्यक्तियों का नाम बिना अनुमति के कम्प्यूटर पर मृतक लोगों की आईडी का प्रयोग करके अंकित कराने के आरोप लगे. जिस पर उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई. उक्त आरोपों की जांच के दौरान आरोपी बाबू अपने तैनाती स्थल से गायब हो गया तथा मोबाइल नंबर भी स्विच आफ कर लिया गया. अजय कुमार वर्मा को भी दोषी पाया गया है और बर्खास्त कर दिया गया.

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