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Online Gaming APP से साइबर जालसाजों ने पार किए 30 लाख रुपये, एक्सपर्ट ने दी यह सलाह

साइबर अपराधियों (Online Gaming APP) पर नकेस कसने के सार प्रयास पुलिस नाकाफी साबित हो रहे हैं. साइबर अपराध के मामले में पुलिस डाल डाल और अपराधी पात पात साबित हो रहे हैं. ताजा मामले में जालसाजों ने ऑनलाइन गेमिंग ऐप के माध्यम से एक व्यक्ति के खाते से 30 लाख रुपये पार कर दिए.

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Published : Mar 6, 2023, 8:07 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पुलिस भले ही साइबर अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए तमाम दावे कर रही हो, लेकिन साइबर अपराधियों के नए-नए तरीके पुलिस के लिए रोज नई चुनौती लेकर सामने आ रहे हैं. अभी तक साइबर अपराध करने वाले अपराधी OTP (ओटीपी) या Link (लिंक) को क्लिक करा कर घटनाओं को अंजाम देते थे. अब साइबर अपराधी आसानी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या ऑनलाइन गेमिंग की मदद से मोबाइल हैक कर लेते हैं. इसके बाद बैंक अकाउंट से पैसे साफ कर देते हैं.

ताजा मामला राजधानी लखनऊ का है. यहां एक बैंक कर्मचारी रजनीश कुमार के मोबाइल को हैक कर अपराधियों ने 30 लाख रुपये उनके अकाउंट से ट्रांसफर कर लिए. रजनीश ने बताया कि उनका बेटा ऑनलाइन गेम खेलता था. इसी दौरान साइबर अपराधियों ने उन्हें शिकार बनाते हुए उनके खाते से ₹30 लाख ट्रांसफर कर लिए. रजनीश ने गाजीपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. गाजीपुर पुलिस साइबर सेल की मदद से रजनीश के मामले में तफ्तीश कर रही है.

ऑनलाइन गेमिंग एप की मदद से रुपये निकालने का मामला साइबर सिक्योरिटी पर प्रहार करने वाला है. साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि सामान्यतया ऑनलाइन गेम खेलना बहुत रिस्की नहीं होता है, लेकिन गेम खेलने वाले को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वह जिस ऐप की मदद से गेम खेल रहे हैं उसके बारे में जानकारी जुटा लें कि वह ऑथेंटिक है या नहीं है. एप का फीडबैक व रिपोर्ट देखने के बाद ही उस ऐप का प्रयोग करें. जिस मामले में ₹30 लाख की ठगी हुई है उसमें यह संभावनाएं हैं कि साइबर अपराधी ऐप का संचालन कर रहे होंगे. जिसकी मदद से ऑनलाइन गेम खेले जा रहे थे. उन्होंने remote action rate की मदद से पीड़ित का मोबाइल हैक कर लिया होगा और इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन जाकर खाते से पैसे ट्रांसफर किए होंगे. Remote action rate की मदद से किसी भी लैपटॉप या मोबाइल को अपने कंट्रोल में लिया जा सकता है. अपराधी अक्सर किसी लिंक या ऐप की मदद से रिमोट एक्शन रेट को डाउनलोड करा कर उसे अपने कंट्रोल में ले लेते हैं. इसके बाद ऑनलाइन आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पुलिस भले ही साइबर अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए तमाम दावे कर रही हो, लेकिन साइबर अपराधियों के नए-नए तरीके पुलिस के लिए रोज नई चुनौती लेकर सामने आ रहे हैं. अभी तक साइबर अपराध करने वाले अपराधी OTP (ओटीपी) या Link (लिंक) को क्लिक करा कर घटनाओं को अंजाम देते थे. अब साइबर अपराधी आसानी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या ऑनलाइन गेमिंग की मदद से मोबाइल हैक कर लेते हैं. इसके बाद बैंक अकाउंट से पैसे साफ कर देते हैं.

ताजा मामला राजधानी लखनऊ का है. यहां एक बैंक कर्मचारी रजनीश कुमार के मोबाइल को हैक कर अपराधियों ने 30 लाख रुपये उनके अकाउंट से ट्रांसफर कर लिए. रजनीश ने बताया कि उनका बेटा ऑनलाइन गेम खेलता था. इसी दौरान साइबर अपराधियों ने उन्हें शिकार बनाते हुए उनके खाते से ₹30 लाख ट्रांसफर कर लिए. रजनीश ने गाजीपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. गाजीपुर पुलिस साइबर सेल की मदद से रजनीश के मामले में तफ्तीश कर रही है.

ऑनलाइन गेमिंग एप की मदद से रुपये निकालने का मामला साइबर सिक्योरिटी पर प्रहार करने वाला है. साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि सामान्यतया ऑनलाइन गेम खेलना बहुत रिस्की नहीं होता है, लेकिन गेम खेलने वाले को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वह जिस ऐप की मदद से गेम खेल रहे हैं उसके बारे में जानकारी जुटा लें कि वह ऑथेंटिक है या नहीं है. एप का फीडबैक व रिपोर्ट देखने के बाद ही उस ऐप का प्रयोग करें. जिस मामले में ₹30 लाख की ठगी हुई है उसमें यह संभावनाएं हैं कि साइबर अपराधी ऐप का संचालन कर रहे होंगे. जिसकी मदद से ऑनलाइन गेम खेले जा रहे थे. उन्होंने remote action rate की मदद से पीड़ित का मोबाइल हैक कर लिया होगा और इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन जाकर खाते से पैसे ट्रांसफर किए होंगे. Remote action rate की मदद से किसी भी लैपटॉप या मोबाइल को अपने कंट्रोल में लिया जा सकता है. अपराधी अक्सर किसी लिंक या ऐप की मदद से रिमोट एक्शन रेट को डाउनलोड करा कर उसे अपने कंट्रोल में ले लेते हैं. इसके बाद ऑनलाइन आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.

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