लखनऊ: जिला अदालत के सबसे पुराने आपराधिक मुकदमे का फैसला शुक्रवार को सुनाया गया है. 50 साल से भी अधिक पुराने इस मामले में अपर सत्र न्यायाधीश सोमप्रभा मिश्रा ने 74 वर्षीय आरोपी नरेंद्र देव तिवारी को दोषसिद्ध करार देते हुए 5 साल के कठोर कारावास और 5 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. यह मुकदमा 21 अप्रैल 1972 का है.
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (Lucknow Court news) नवीन त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि इस मामले की रिपोर्ट थाना हसनगंज में 21 अप्रैल 1972 को विश्वविद्यालय के एमए प्रथम वर्ष के छात्र जगदीश शरण त्रिपाठी ने दर्ज कराई थी. जिसमें उसने कहा था कि घटना वाले दिन लगभग साढ़े सात बजे शाम को वह हसनगंज चौराहे पर शर्मा होटल के सामने खड़े होकर चाय पी रहा था. जैसे ही वह बाहर निकला तभी पुरानी रंजिश को लेकर एलएलबी प्रथम वर्ष के छात्र आरोपी नरेंद्र तिवारी ने उस पर चाकू से हमला कर दिया था. उसके बाद जब वह छुड़ाकर भागा तो नरेंद्र तिवारी के साथियों रघुवीर सिंह व हरीश शुक्ला ने उसे घेर कर पकड़ लिया.
चाकू से हमले में वादी गंभीर रूप से घायल हो गया. इसी बीच मौके पर पुलिस आ गई, जिसने अभियुक्त को चाकू समेत गिरफ्तार कर लिया था. सजा के प्रश्न पर सुनवाई के समय अभियुक्त ने अपने बुढ़ापे व उम्र का हवाला देते हुए माफ करने की अपील की थी. लेकिन, अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्त को कारावास और जुर्माने की सजा से दंडित किया है.