लखनऊ : पारिवारिक न्यायालय में बड़े ही अजब गजब केस आते हैं. रोजाना न्यायालय में 45 से 50 नए तलाक की अर्जी आती हैं. हाल ही में पारिवारिक न्यायालय में कुछ केस आए जिसमें पत्नी ने यह कहकर पति से तलाक मांगा है कि पति उससे धंधा कराने का प्रेशर डालता है. इस तरह का पारिवारिक न्यायालय में एक नहीं, बल्कि हजारों के पेंडिंग पर पड़े हैं. आज के समय में ज्यादातर लोगों का एक्स्ट्रा मटेरियल अफेयर होने की वजह से रिश्ता टूटता है, लेकिन यहां जरा उल्टा है यहां पति चंद पैसों के लिए अपनी ही पत्नी को किसी और के साथ सोने के लिए बोलता है. ऐसी स्थिति में पत्नी न्यायालय में पति से तलाक के लिए पहुंची. पत्नी का कहना है कि पति कुछ कमाता नहीं है. शराब पीता है. जब उसे पैसे नहीं मिलते हैं तो वह मारपीट करता हैं. इसके अलावा हर किसी के पास एंड्राइड मोबाइल है और मोबाइल में किसी भी चीज के लिए स्क्रीनशॉट और रिकॉर्डिंग कर ली जाती है. 10 में से 4-5 के ऐसे आते हैं जो सबूत के तौर पर किसी बातचीत या किसी एक्टिविटीज का स्क्रीनशॉट या वीडियो रिकॉर्डिंग सबूत के तौर पर न्यायालय में पेश करते हैं.
Family Court : एक्स्ट्रा मटेरियल अफेयर से टूट रहे रिश्ते. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार का कहना है कि कई बार बनते बनते रिश्ते इन सबूतों के कारण बिगड़ जाते हैं क्योंकि न्यायालय का काम सिर्फ तलाक देना नहीं बल्कि काउंसिलिंग करना भी होता है. मौजूदा समय में 10 में से 4-5 के ऐसे होते हैं, जिसमें लोग स्क्रीनशॉट व स्क्रीन रिकॉर्डिंग एविडेंस के तौर पर हमारे सामने रखते हैं और हम न्यायालय में पेश करते हैं. लेकिन कई बार यह नेगेटिव हो जाता है जहां पर समझौता होने वाला रहता है वहां पर लोग ईगो में आ जाते हैं कि तुमने रिकॉर्डिंग या हमारी आपसे बातचीत की चैटिंग की स्क्रीनशॉट कैसे किसी दूसरे इंसान को दिखाया. इस वजह से न्यायालय में बनते बनते रिश्ते भी बिगड़ जाते हैं.
Family Court : एक्स्ट्रा मटेरियल अफेयर से टूट रहे रिश्ते. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि किस वक्त पर उन्हें इस तरह के एविडेंस वकील के सामने सबूत के तौर पर पेश करना है छोटी सी बात पर अगर तलाक हो रहा है तो वहां पर स्क्रीनशॉट व स्क्रीन रिकॉर्डिंग नहीं सामने लाना चाहिए क्योंकि सबसे पहले हम काउंसिलिंग करते हैं. काउंसिलिंग के दौरान अगर दोनों के बीच में समझौता हो जाता है तो दोनों को राजी खुशी घर वापस भेज देते हैं, लेकिन जब एक पक्ष की ओर से चैटिंग के स्क्रीनशॉट व बातचीत की रिकॉर्डिंग पेश करते हैं तो दूसरा पक्ष इस पर भड़क जाता है और यह लाजमी भी है. इस बात की गंभीरता को कई बार लोग नहीं समझते हैं. याचिकाकर्ता प्रेशर में इतने रहते हैं कि केस फाइल करते हैं. वकील के सामने एविडेंस के तौर पर तुरंत चैटिंग के स्क्रीनशॉट और रिकॉर्डिंग रख देते हैं.
Family Court : एक्स्ट्रा मटेरियल अफेयर से टूट रहे रिश्ते. साइबर एक्ट के तहत यह मान्य
उन्होंने बताया कि कई बार पति-पत्नी के बीच में जब नहीं बनती है तो उसी समय से वह रिकॉर्डिंग व स्क्रीन शॉट करना शुरू कर देते हैं. बाद में इसे एविडेंस के तौर पर न्यायालय में पेश करते हैं. उन्होंने बताया कि साइबर एक्ट के तहत यह डिजिटल सबूत न्यायालय में मान्य होता है. कई बार इस पर न्यायालय जजमेंट भी देते हैं. इस तरह के बहुत सारे के सारे हैं जो साइबर एक्ट के तहत डिजिटल सबूत पेश करते हैं.
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