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लखनऊ में कैब चालक यात्रियों को लगा रहे चूना, जानें कैसे

राजधानी लखनऊ में कैब चालक टोल टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे हैं. चालक यात्रियों से टैक्स का भुगतान करा रहे हैं. जब ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की, तो हकीकत सामने आई.

लखनऊ में कैब चालक यात्रियों को लगा रहे चूना.
लखनऊ में कैब चालक यात्रियों को लगा रहे चूना.
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Published : Jan 6, 2021, 10:08 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में कैब चालक यात्रियों को चूना लगा रहे हैं. छावनी परिषद क्षेत्र में गुजरने पर कैब चालक यात्रियों से ही टोल टैक्स का भुगतान करा रहे हैं. नियमानुसार टोल पर लगने वाले टैक्स का भुगतान चालकों को ही करना है. इससे यात्रियों को दोगुना नुकसान उठाना पड़ रहा है. यात्री इसका विरोध भी करते है, लेकिन चालकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है. छावनी क्षेत्र से गुजरने पर यात्रियों को कैब के किराये के साथ टैक्स का भी भुगतान करना पड़ रहा है. जब ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की, तो हकीकत सामने आई.

लखनऊ में कैब चालक यात्रियों को लगा रहे चूना.
चुकाना होता है 30 रुपये टैक्सदो माह पहले छावनी परिषद से गुजरने वाले कॉमर्शियल वाहनों पर भी टैक्स वसूलने का नियम लागू कर दिया गया. अब ओला और उबर जैसी कंपनियों के कैब चालकों को छावनी परिषद के टोल से गुजरने पर 30 रुपये टैक्स देना होता है. नियमानुसार इस टैक्स का भुगतान चालकों को ही करना है, लेकिन चासक ऐसा न कर यात्री से टैक्स का भुगतान कराते हैं. ऐसे में कैब चालक यात्रियों को ठग रहे हैं. छावनी परिषद के अर्जुनगंज रूट पर पड़ने वाले टोल प्लाजा पर रोजाना बड़ी संख्या में कॉमर्शियल वाहन गुजरते हैं. पहले ओला और उबर जैसी कंपनी को टैक्स से छूट मिलती थी, लेकिन कुछ माह पहले छावनी परिषद ने कमर्शियल वाहनों के इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए ओला और उबर कैब पर भी चार्ज लगा दिया. टोल से अगर गाड़ी खाली जाती है तो कोई टैक्स नहीं वसूला जाता है, लेकिन अगर कैब में सवारी बैठी है तो ₹30 का भुगतान करना होता है.


ऐसे सामने आई हकीकत

ईटीवी भारत ने कैब ड्राइवरों के टैक्स न देने की पड़ताल की, तो हकीकत सामने आई. इस दौरान कुछ कैब चालक जरूर दिखे, जो टोल टैक्स का भुगतान कर रहे थे, लेकिन ज्यादातर कैब चालक यात्री से ही टोल टैक्स का भुगतान करा रहे थे. वहीं चालकों का कहना है कि टैक्स यात्रियों को ही देना होगा. कंपनी इसके लिए कोई भुगतान नहीं करती है. हालांकि कुछ चालकों ने बताया कि जब गाड़ी बुक होती है, तो छावनी परिषद से गुजरने पर लगने वाला टोल कंपनी की ही तरफ से दिया जाता है. भुगतान के समय कंपनी 30 रुपये अतिरिक्त जोड़ कर देती है. वहीं कुछ चालकों ने यह भी बताया कि कभी कंपनी टैक्स का पैसा देती है और कभी नहीं देती.


यात्री को नहीं देना है टैक्स
कैब एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी आरके पांडेय बताते हैं कि छावनी परिषद क्षेत्र से गुजरने वाले कैब चालक को ही टैक्स का भुगतान करना होता है. यात्रियों से टैक्स वसूल नहीं किया जा सकता. ऐप पर बुकिंग के समय छावनी परिषद क्षेत्र आने पर ऑटोमेटिक चालक को 30 रुपये का भगुतान समय से कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर चालक यात्री से टैक्स का भुगतान करा रहे हैं, तो वह पूरी तरह से गलत है.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में कैब चालक यात्रियों को चूना लगा रहे हैं. छावनी परिषद क्षेत्र में गुजरने पर कैब चालक यात्रियों से ही टोल टैक्स का भुगतान करा रहे हैं. नियमानुसार टोल पर लगने वाले टैक्स का भुगतान चालकों को ही करना है. इससे यात्रियों को दोगुना नुकसान उठाना पड़ रहा है. यात्री इसका विरोध भी करते है, लेकिन चालकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है. छावनी क्षेत्र से गुजरने पर यात्रियों को कैब के किराये के साथ टैक्स का भी भुगतान करना पड़ रहा है. जब ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की, तो हकीकत सामने आई.

लखनऊ में कैब चालक यात्रियों को लगा रहे चूना.
चुकाना होता है 30 रुपये टैक्सदो माह पहले छावनी परिषद से गुजरने वाले कॉमर्शियल वाहनों पर भी टैक्स वसूलने का नियम लागू कर दिया गया. अब ओला और उबर जैसी कंपनियों के कैब चालकों को छावनी परिषद के टोल से गुजरने पर 30 रुपये टैक्स देना होता है. नियमानुसार इस टैक्स का भुगतान चालकों को ही करना है, लेकिन चासक ऐसा न कर यात्री से टैक्स का भुगतान कराते हैं. ऐसे में कैब चालक यात्रियों को ठग रहे हैं. छावनी परिषद के अर्जुनगंज रूट पर पड़ने वाले टोल प्लाजा पर रोजाना बड़ी संख्या में कॉमर्शियल वाहन गुजरते हैं. पहले ओला और उबर जैसी कंपनी को टैक्स से छूट मिलती थी, लेकिन कुछ माह पहले छावनी परिषद ने कमर्शियल वाहनों के इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए ओला और उबर कैब पर भी चार्ज लगा दिया. टोल से अगर गाड़ी खाली जाती है तो कोई टैक्स नहीं वसूला जाता है, लेकिन अगर कैब में सवारी बैठी है तो ₹30 का भुगतान करना होता है.


ऐसे सामने आई हकीकत

ईटीवी भारत ने कैब ड्राइवरों के टैक्स न देने की पड़ताल की, तो हकीकत सामने आई. इस दौरान कुछ कैब चालक जरूर दिखे, जो टोल टैक्स का भुगतान कर रहे थे, लेकिन ज्यादातर कैब चालक यात्री से ही टोल टैक्स का भुगतान करा रहे थे. वहीं चालकों का कहना है कि टैक्स यात्रियों को ही देना होगा. कंपनी इसके लिए कोई भुगतान नहीं करती है. हालांकि कुछ चालकों ने बताया कि जब गाड़ी बुक होती है, तो छावनी परिषद से गुजरने पर लगने वाला टोल कंपनी की ही तरफ से दिया जाता है. भुगतान के समय कंपनी 30 रुपये अतिरिक्त जोड़ कर देती है. वहीं कुछ चालकों ने यह भी बताया कि कभी कंपनी टैक्स का पैसा देती है और कभी नहीं देती.


यात्री को नहीं देना है टैक्स
कैब एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी आरके पांडेय बताते हैं कि छावनी परिषद क्षेत्र से गुजरने वाले कैब चालक को ही टैक्स का भुगतान करना होता है. यात्रियों से टैक्स वसूल नहीं किया जा सकता. ऐप पर बुकिंग के समय छावनी परिषद क्षेत्र आने पर ऑटोमेटिक चालक को 30 रुपये का भगुतान समय से कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर चालक यात्री से टैक्स का भुगतान करा रहे हैं, तो वह पूरी तरह से गलत है.

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