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स्मारक घोटाला मामला: विजिलेंस विवेचनाधिकारी के खिलाफ अवमानना याचिका खारिज

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Published : Aug 26, 2021, 10:14 PM IST

लखनऊ बेंच ने मायावती सरकार के दौरान हुए स्मारक घोटाला मामले के 16 अभियुक्तों की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में विजिलेंस के विवेचनाधिकारी विनोद चंद्र तिवारी के खिलाफ अवमानना का मामला चलाए जाने की मांग की गई थी.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने स्मारक घोटाला मामले के 16 अभियुक्तों की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में विजिलेंस के विवेचनाधिकारी विनोद चंद्र तिवारी के खिलाफ अवमानना का मामला चलाए जाने की मांग की गई थी.

याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की एकल पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि विवेचनाधिकारी के खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता. वहीं याचियों का कहना था कि उनके खिलाफ स्मारक के निर्माण मामले में पत्थर सप्लाई इत्यादि में घोटाले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट में भी आया. हाईकोर्ट ने 23 सितंबर 2019 के आदेश में विवेचनाधिकारी को याचियों की ओर से दिए जा रहे दस्तावेजों को भी विवेचना में शामिल करने का आदेश दिया था. बावजूद इसके उनके दस्तावेजों को शामिल नहीं करते हुए आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया.

वहीं याचिका के अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने विरोध किया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि रिट कोर्ट ने बस इतना आदेश दिया था कि मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों को विवेचना में शामिल किया जाए. न्यायालय ने यह नहीं कहा था कि याचियों द्वारा उपलब्ध कराए गए गैर जरूरी दस्तावेज भी शामिल कर लिए जाएं. विवेचनाधिकारी ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को शामिल किया है. लिहाजा, उसके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता.

इसे भी पढे़ं-स्मारक घोटाला: विजलेंस ने पूर्व मंत्री बाबू स‍िंह कुशवाहा से की 3 घंटे पूछताछ

दरअसल, उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में अब राजकीय निर्माण निगम व खनन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी है. गुरुवार को पूर्व सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) लिपिक संवर्ग के कुछ कर्मचारियों से पूछताछ की. अब तो स्मारक घोटाले में कुछ अन्य आरोपितों के विरुद्ध भी आरोपपत्र दाखिल किए जाने की तैयारी है.

इसे भी पढ़ें-'पुलिस फोर्स में दाढ़ी रखना संवैधानिक अधिकार नहीं', कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की अपील

विजिलेंस ने स्मारक घोटाले में बीते दिनों नामजद आरोपित पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए थे. हालांकि, दोनों पूर्व मंत्रियों ने कार्यों के आवंटन को लेकर सवालों पर सारी जिम्मेदारी तकनीकी कमेटियों, कार्यदायी संस्थाओं व तत्कालीन अधिकारियों पर डाल दी थी. विजिलेंस अब निर्माण कार्यों से जुड़ीं करीब 50 फाइलों का अध्ययन करने के साथ ही दोनों पूर्व मंत्रियों के बयानों का परीक्षण कर रही है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने स्मारक घोटाला मामले के 16 अभियुक्तों की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में विजिलेंस के विवेचनाधिकारी विनोद चंद्र तिवारी के खिलाफ अवमानना का मामला चलाए जाने की मांग की गई थी.

याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की एकल पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि विवेचनाधिकारी के खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता. वहीं याचियों का कहना था कि उनके खिलाफ स्मारक के निर्माण मामले में पत्थर सप्लाई इत्यादि में घोटाले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट में भी आया. हाईकोर्ट ने 23 सितंबर 2019 के आदेश में विवेचनाधिकारी को याचियों की ओर से दिए जा रहे दस्तावेजों को भी विवेचना में शामिल करने का आदेश दिया था. बावजूद इसके उनके दस्तावेजों को शामिल नहीं करते हुए आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया.

वहीं याचिका के अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने विरोध किया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि रिट कोर्ट ने बस इतना आदेश दिया था कि मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों को विवेचना में शामिल किया जाए. न्यायालय ने यह नहीं कहा था कि याचियों द्वारा उपलब्ध कराए गए गैर जरूरी दस्तावेज भी शामिल कर लिए जाएं. विवेचनाधिकारी ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को शामिल किया है. लिहाजा, उसके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता.

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दरअसल, उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में अब राजकीय निर्माण निगम व खनन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी है. गुरुवार को पूर्व सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) लिपिक संवर्ग के कुछ कर्मचारियों से पूछताछ की. अब तो स्मारक घोटाले में कुछ अन्य आरोपितों के विरुद्ध भी आरोपपत्र दाखिल किए जाने की तैयारी है.

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विजिलेंस ने स्मारक घोटाले में बीते दिनों नामजद आरोपित पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए थे. हालांकि, दोनों पूर्व मंत्रियों ने कार्यों के आवंटन को लेकर सवालों पर सारी जिम्मेदारी तकनीकी कमेटियों, कार्यदायी संस्थाओं व तत्कालीन अधिकारियों पर डाल दी थी. विजिलेंस अब निर्माण कार्यों से जुड़ीं करीब 50 फाइलों का अध्ययन करने के साथ ही दोनों पूर्व मंत्रियों के बयानों का परीक्षण कर रही है.

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