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ईपीएफ घोटाला मामलाः चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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Published : Feb 3, 2021, 10:37 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन में हुए ईपीएफ घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू के चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

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लखनऊ बेंच हाईकोर्ट

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन में हुए ईपीएफ घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू के चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

ईओडब्ल्यू को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने सुधांशु द्विवेदी की याचिका पर पारित किया. सुधांशु द्विवेदी इस मामले में अभियुक्त हैं. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच को सीबीआई को इस आधार पर सौंप दिया है, कि ईओडब्ल्यू मामले की जांच करने में सक्षम नहीं है. याची की ओर से दलील दी गई, कि जब स्वयं सरकार मान रही है कि ईओअडब्ल्यू मामले की जांच करने में सक्षम नहीं है. तो उसके द्वारा दाखिल चार्जशीट पर मुकदमे की प्रक्रिया को आगे नहीं बढाया जा सकता है.

पहले भी खारिज हो चुकी है याचिका
याची की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि ईओडब्ल्यू ने पूरी जांच यूपीपीसीएल ट्रस्ट के तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल को बचाने और याची के साथ अन्य अभियुक्तों को मामले में फंसाने के उद्देश्य से किया है. हालांकि न्यायालय ने पाया कि याचिका 8 जनवरी को एकल पीठ पहले ही खारिज कर चुकी है. ऐसे में उसी मांग पर दूसरी याचिका पोषणीय नहीं है.

केस का अध्यन कर चुकी है सीबीआई
इस मामले में सीबीआई पहले भी हाईकोर्ट के समक्ष आश्वासन दे चुकी है. वह जांच मार्च तक पूरी कर लेगी. उसने एक लाख से अधिक पन्नों के दस्तावेजी साक्ष्यों का अध्ययन कर लिया है. इस मामले में कई व्यक्तियों से भी पूछताछ हो चुकी है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन में हुए ईपीएफ घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू के चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

ईओडब्ल्यू को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने सुधांशु द्विवेदी की याचिका पर पारित किया. सुधांशु द्विवेदी इस मामले में अभियुक्त हैं. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच को सीबीआई को इस आधार पर सौंप दिया है, कि ईओडब्ल्यू मामले की जांच करने में सक्षम नहीं है. याची की ओर से दलील दी गई, कि जब स्वयं सरकार मान रही है कि ईओअडब्ल्यू मामले की जांच करने में सक्षम नहीं है. तो उसके द्वारा दाखिल चार्जशीट पर मुकदमे की प्रक्रिया को आगे नहीं बढाया जा सकता है.

पहले भी खारिज हो चुकी है याचिका
याची की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि ईओडब्ल्यू ने पूरी जांच यूपीपीसीएल ट्रस्ट के तत्कालीन चेयरमैन संजय अग्रवाल को बचाने और याची के साथ अन्य अभियुक्तों को मामले में फंसाने के उद्देश्य से किया है. हालांकि न्यायालय ने पाया कि याचिका 8 जनवरी को एकल पीठ पहले ही खारिज कर चुकी है. ऐसे में उसी मांग पर दूसरी याचिका पोषणीय नहीं है.

केस का अध्यन कर चुकी है सीबीआई
इस मामले में सीबीआई पहले भी हाईकोर्ट के समक्ष आश्वासन दे चुकी है. वह जांच मार्च तक पूरी कर लेगी. उसने एक लाख से अधिक पन्नों के दस्तावेजी साक्ष्यों का अध्ययन कर लिया है. इस मामले में कई व्यक्तियों से भी पूछताछ हो चुकी है.

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