लखनऊ: गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए सहायता प्राप्त विद्यालयों की स्थापना की गई, लेकिन अब इन स्कूलों पर नियंत्रण का खेल शुरू हो गया. 70 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रबंधकीय विवाद शुरू हो गए हैं. कुछ स्कूल तो ऐसे भी हैं, जिन पर अपना नियंत्रण करने के लिए बाप-बेटे तक आमने-सामने हैं. असल में इन स्कूलों का संचालन सोसाइटी के माध्यम से किया जाता है. यह सोसाइटी डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत होती हैं. कुछ ऐसे भी शिक्षण संस्थान सामने आए हैं, जिनमें मूल सोसाइटी के स्थान पर दूसरे लोगों ने नई सोसाइटी का गठन कर अपना कब्जा कर लिया है.
यह है शहर के वित्तीय सहायता प्राप्त स्कूलों का हाल
लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज में प्रबंधकीय विवाद चल रहा है. यहां डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय की तरफ से एक नई सोसाइटी को मान्यता दी गई है. जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की तरफ से अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया गया है. शिक्षक संगठन का आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे शिक्षा माफिया और डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय की साठगांठ से फर्जी समिति गठित की गई है. स्कूल की करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए यह पूरा खेल किया गया. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि दस्तावेजों में हेरफेर करके यह खेल किया गया है.
राजधानी के बालिका इंटर कॉलेज की प्रबंध समिति से जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की तरफ से वित्तीय अधिकार छीन लिए गए हैं. वर्तमान में स्कूल की जिम्मेदारी संभाल रही प्रबंध समिति द्वारा वैध दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने के कारण यह कार्यवाही की गई है. इस पूरे प्रकरण में पिता और पुत्र आमने-सामने हैं. आरोप लग रहे हैं कि मूल सोसायटी से इतर नई सोसाइटी बनाई गई है. इसकी सुनवाई डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में हो रही है. इसी तरह की स्थिति सोहनलाल इंटरमीडिएट कॉलेज में भी सामने आई है. फिलहाल विभागीय स्तर पर इसकी जांच की जा रही है.
यह है शहर के स्कूलों का हाल
राजधानी में सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की संख्या करीब 99 है. इनमें 70% प्रबंध समितियों को लेकर विवाद की स्थितियां सामने आई हैं. कई सोसाइटी ऐसी भी है, जिनमें बीते कई वर्ष से चुनाव ही नहीं कराए गए हैं. नतीजा कुछ लोगों का वर्षों से स्कूल की प्रबंध समितियों पर कब्जा है. जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि लगातार इस तरह की शिकायतों को देखते हुए उनके स्तर पर सभी शिक्षण संस्थानों से उनकी सोसाइटी और प्रबंध समिति के चुनाव के संबंध में दस्तावेज मांगे गए हैं, जिनकी तरफ से दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी की जा रही है.
भूमिका के घेरे में डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ. आरती मिश्रा ने बताया कि किसी भी स्कूल या अन्य शैक्षणिक संस्थान के संचालन के लिए सोसाइटी का पंजीकरण अनिवार्य है. लखनऊ और उसके आसपास के जिलों से संचालित शिक्षण संस्थानों की सोसाइटी के पंजीकरण से जुड़े सभी कार्य डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एंड चिट्स कार्यालय से किए जाते हैं. पिछले कुछ समय से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें सोसायटी के मूल सदस्यों को बाहर करके नए लोगों को उसका नियंत्रण सौंपा गया. इतना ही नहीं, कई प्रकरण ऐसे भी हैं, जिसमें मातृ संस्था को दरकिनार कर नई सोसाइटी बनाकर कब्जा करवा दिया गया. इसके चलते सोसाइटी में विवादों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है. सिर्फ राजधानी लखनऊ में ही लगभग 70% से ज्यादा ऐडेड स्कूलों में वर्तमान में इस तरह के विवाद देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि डिप्टी रजिस्ट्रार की कार्यप्रणाली पर बीते दिनों हाई कोर्ट तक ने सवाल खड़े किए हैं.
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