लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (LUACTA) ने बुधवार को सरकार के खिलाफ आंदोलन की घोषणा कर दी है. जहां संगठन 9 दिसंबर से काला दिवस मनाने जा रहा है. संगठन के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे और महामंत्री डॉ. अंशु केडिया ने बताया कि आंदोलन के प्रथम चरण दिनांक 9, 10 एवं 11 दिसंबर को शिक्षकों द्वारा काला फीता बांधकर काला दिवस मनाया जाएगा. आंदोलन के दूसरे चरण में 13, 14, एवं 15 दिसंबर को काला फीता बांधकर काला दिवस और कक्षाओं के महाविद्यालय के परिसर में धरना दिया जाएगा. जिसके बाद भी यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो लखनऊ विश्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षाओं का भी बहिष्कार किया जाएगा.
बार-बार कहने पर भी नहीं सुन रही सरकार
डॉ. मनोज पांडे और डॉ. अंशु केडिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के शिक्षक लंबे समय से अपने न्यायोचित मांगों के लिए आपसे आग्रह कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों पर सरकार द्वारा यथोचित कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिससे शिक्षकों में घोर निराशा व्याप्त है.
बीते 5 अक्टूबर को प्रदेश के सभी शिक्षकों द्वारा सामूहिक अवकाश पर रहते हुए अपने विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना दिया गया था. जहां कुलपति के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया था, किंतु शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि 1 नवंबर को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए विसंगतिपूर्ण शासनादेश निर्गत कर दिया गया. शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण नहीं होने के कारण लुआक्टा कार्यकारणी की 3 दिसंबर 2021 को बैठक आहूत की गई एवं आंदोलन किये जाने का निर्णय लिया गया.
यह है शिक्षकों की मांग
-पुरानी पेंशन की बहाली की जाय.
-प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए 1 नवंबर 2021 को जारी शासनादेश का संशोधन किया जाए एवं शासनादेश की तिथि तक प्रोन्नत सभी ऐसोसियेट प्रोफेसर को 3 वर्ष पश्चात स्वतः प्रोफेसर पद प्रदान किया जाए.
-सेवानिवृत्त की आयु यू जी सी रेगुलेशन के अनुसार 65 वर्ष किया जाए.
-पूर्व की भांति स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को अनुदान सूची पर लिया जाए, एवं स्ववित्तपोषित व्यवस्था शुरू होने से पूर्व के इस्लामिया एवं कालीचरण महाविद्यालय के कॉमर्स विभाग को तत्काल अनुदान सूची पर लिया जाए.
-यू जी सी रेगुलेशन के अनुसार सभी शिक्षकों को पी एच डी इंक्रीमेंट दिया जाए.
-राज्य सरकार के कर्मचारियों की भांति शिक्षकों को भी चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ प्रदान किया जाए.
-शिक्षकों को भी ग्रेच्युटी का लाभ प्रदान किया जाए.
- यूजीसी एवं परिनियम में उल्लिखित अवकाशों के कटौती का मनमाना शासनादेश वापस लिया जाए.
-आकस्मिक अवकाशों की संख्या 8 से बढ़ाकर 14 किया जाए.
-विनियमितीकरण से वंचित मानदेय शिक्षकों को विनियमित किया जाए और मानदेय की पूर्व सेवाओं के आधार पर प्रोन्नति का लाभ प्रदान किया जाए.
- पीएचडी योग्यता धारित शिक्षकों को 25 जुलाई 2002 के शासनादेश के अनुसार फीडर कैडर का लाभ पुनः प्रदान किया जाए.
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