भिवाड़ी (अलवर): उत्तरप्रदेश के लखनऊ में रिवर फ्रंट घोटाले की आंच राजस्थान तक पहुंच गई है. सीबीआई की एक टीम अलवर के भिवाड़ी में पहुंची है, जहां हाईटेक बिल्डर के ठिकाने पर रेड जारी है.
जानकारी के अनुसार अल सुबह ही एक टीम भिवाड़ी में हाईटेक बिल्डर के ठिकाने पर पहुंची थी. टीम में करीब आधा दर्जन अधिकारी-कर्मचारी बिल्डर के दफ्तर में मौजूद हैं. वहीं कंपनी के मुख्य दरवाजे के बाहर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है. पूरे मामले में अभी अंदर सीबीआई की टीम कार्यालय प्रबंधन से पूछताछ में जुटी हुई है. जिससे कार्रवाई कंप्लीट हो जाने के बाद भी कुछ बाहर की जानकारी मिल पाएगी. बरहाल, जांच अभी जारी है.
देशभर में कई ठिकानों पर छापेमारी
यूपी में सपा सरकार में हुए रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने कार्रवाई शुरू कर दी है. रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने लखनऊ के कई ठिकानों पर छापेमारी की है. यूपी के साथ पश्चिम बंगाल में भी सीबीआई की छापेमारी की है. मामले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब 190 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी. सीबीआई ने यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा में छापेमारी की है.
क्या है घोटाला
बता दें कि गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ. रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया. 2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया था.
कंपनी की शर्तों पर किया गया बदलाव
जांच में सामने आया कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया. पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच की जिनकी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था.
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ये हैं आरोप
गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है.