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उत्तर प्रदेश के साहित्यकार संजीव को मिलेगा साहित्य अकादमी पुरस्कार, वरिष्ठ आलोचक नलिन रंजन ने कही ऐसी बात

साहित्य अकादमी ने 2023 के पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. साहित्यकार संजीव को उनके 30 साल के अनवरत हिंदी साहित्य में योगदान के लिए चुना गया है. यह सम्मान 12 मार्च 2024 को दिया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 21, 2023, 12:54 PM IST

लखनऊ : हिंदी के वरिष्ठ कथाकार संजीव (79) को इस वर्ष के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जाएगा. साहित्यकार का संजीव को उनके 30 साल से अधिक समय तक हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने साहित्य अकादमी के रवींद्र भवन में इस वर्ष के साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023 के विजेताओं की घोषणा की. संजीव को हिंदी भाषा के लिए चयन समिति में प्रसिद्ध साहित्यकार नासिरा शर्मा, रामजी तिवारी और लीलाधर जगूड़ी ने पुरस्कार के लिए कृति का चयन किया है. संजीव को उनके उपन्यास "मुझे पहचानो" के लिए अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. उनको यह सम्मान 12 मार्च, 2024 को दिया जाएगा.

साहित्य अकादमी पुरस्कार.
साहित्य अकादमी पुरस्कार.
6 जुलाई 1947 को बांगरकला सुल्तानपुर में हुआ था जन्म : साहित्यकार संजीव का जन्म 6 जुलाई 1947 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में स्थित गांव बांगर कला में 6 जुलाई 1947 को हुआ था. उनकी प्राथमिक शिक्षा के साथ बीएससी की पढ़ाई भी बंगाल से की. पढ़ाई के दौरान ही उन्हें कहानियां और साहित्य में रुचि पैदा हो गई थी. अपने साहित्यिक सफर के दौरान वह कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे. हंस पत्रिका के कार्यकारिणी संपादक के तौर पर भी लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं. साथ ही महात्मा गांधी इंटरनेशनल संगीत विश्वविद्यालय में अतिथि लेखक के तौर पर अपना योगदान दिया. सबसे पहले कृति उन्होंने सर्कस लिखी थी. इसके बाद ‘जंगल जहां से शुरू’ सहित अनेक कहानियां चर्चित हुईं.


साहित्यकार संजीव का साहित्यिक सफर : 30 साल के साहित्यिक सफर के दौरान भूमिका, दुनिया की सबसे हसीन औरत, प्रेत मुक्ति, प्रेरणा स्रोत और अन्य कहानियां, ब्लैक होल, डायन और उन कहानियां, खोज, गली के मोड पर सुनसान कोई दरवाजा उनकी प्रमुख कहानी संग्रह हैं. इसके अलावा उपन्यास में किशनगढ़ के अहेरी, सर्कस, सावधान नीचे आग है, धार, पाव ताले की दूब, जंगल जहां शुरू होता है, सूत्रधार, आकाश चंपा प्रमुख है. नाटक में ऑपरेशन जोनाकी प्रमुख रचना है. साहित्य यात्रा के तौर पर सात समुंदर पार और बाल उपन्यास के तौर पर रानी की सारी और डायन उनकी प्रमुख रचनाएं हैं.

यह भी पढ़ें : मलयालम साहित्य के लिए लेखक पॉल जाचरिया को मिला एजुथचन सम्मान

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लखनऊ : हिंदी के वरिष्ठ कथाकार संजीव (79) को इस वर्ष के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जाएगा. साहित्यकार का संजीव को उनके 30 साल से अधिक समय तक हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने साहित्य अकादमी के रवींद्र भवन में इस वर्ष के साहित्य अकादमी पुरस्कार 2023 के विजेताओं की घोषणा की. संजीव को हिंदी भाषा के लिए चयन समिति में प्रसिद्ध साहित्यकार नासिरा शर्मा, रामजी तिवारी और लीलाधर जगूड़ी ने पुरस्कार के लिए कृति का चयन किया है. संजीव को उनके उपन्यास "मुझे पहचानो" के लिए अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. उनको यह सम्मान 12 मार्च, 2024 को दिया जाएगा.

साहित्य अकादमी पुरस्कार.
साहित्य अकादमी पुरस्कार.
6 जुलाई 1947 को बांगरकला सुल्तानपुर में हुआ था जन्म : साहित्यकार संजीव का जन्म 6 जुलाई 1947 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में स्थित गांव बांगर कला में 6 जुलाई 1947 को हुआ था. उनकी प्राथमिक शिक्षा के साथ बीएससी की पढ़ाई भी बंगाल से की. पढ़ाई के दौरान ही उन्हें कहानियां और साहित्य में रुचि पैदा हो गई थी. अपने साहित्यिक सफर के दौरान वह कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे. हंस पत्रिका के कार्यकारिणी संपादक के तौर पर भी लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं. साथ ही महात्मा गांधी इंटरनेशनल संगीत विश्वविद्यालय में अतिथि लेखक के तौर पर अपना योगदान दिया. सबसे पहले कृति उन्होंने सर्कस लिखी थी. इसके बाद ‘जंगल जहां से शुरू’ सहित अनेक कहानियां चर्चित हुईं.


साहित्यकार संजीव का साहित्यिक सफर : 30 साल के साहित्यिक सफर के दौरान भूमिका, दुनिया की सबसे हसीन औरत, प्रेत मुक्ति, प्रेरणा स्रोत और अन्य कहानियां, ब्लैक होल, डायन और उन कहानियां, खोज, गली के मोड पर सुनसान कोई दरवाजा उनकी प्रमुख कहानी संग्रह हैं. इसके अलावा उपन्यास में किशनगढ़ के अहेरी, सर्कस, सावधान नीचे आग है, धार, पाव ताले की दूब, जंगल जहां शुरू होता है, सूत्रधार, आकाश चंपा प्रमुख है. नाटक में ऑपरेशन जोनाकी प्रमुख रचना है. साहित्य यात्रा के तौर पर सात समुंदर पार और बाल उपन्यास के तौर पर रानी की सारी और डायन उनकी प्रमुख रचनाएं हैं.

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