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तीन वर्षीय बच्ची से दुराचार के दोषी को आजीवन कारावास, बच्ची ने की थी अदालत में अभियुक्त की पहचान

लखनऊ के बंथरा थाना क्षेत्र में तीन साल की बच्ची से दुराचार करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. पीड़ित बच्ची ने ही अदालत में आरोपी की पहचान की.

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Published : Jul 13, 2022, 9:26 PM IST

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न्यायालय

लखनऊः तीन वर्ष की बच्ची के साथ दुराचार करने के अभियुक्त विकास कोरी को पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा के साथ 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जुर्माने की समस्त धनराशि प्रतिकर के रूप में पीड़िता को दी जाएगी.

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुखेंद्र प्रताप सिंह का तर्क था कि इस घटना की रिपोर्ट बच्ची के पिता द्वारा 26 जुलाई 2013 को थाना बंथरा ने दर्ज कराई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना के दिन उसकी तीन वर्षीय पुत्री घर के सामने खेल रही थी, तभी मकान के सामने रहने वाला विकास कोरी उसकी लड़की को अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. बहस के दौरान यह भी कहा गया है कि जब वादी ने लड़की के चिल्लाने की आवाज सुनी तब उसने घर के बाहर जाकर देखा तो लड़की विकास के घर से रोते हुए आ रही थी.

पढ़ेंः सुरक्षा बल भर्ती मामला: कोर्ट ने अपराधों में लिप्तता के कारण नियुक्ति से इंकार करने को सही करार दिया

घटना के बाद अभियुक्त को पुलिस ने 28 जुलाई 2013 को गिरफ्तार कर लिया था, तब से वह लगातार जेल में है. इस मामले में अभियुक्त को सजा कराने के लिए बच्ची का बयान और अभियुक्त की ओर इशारा करके उसे पहचानना ही मुख्य साक्ष्य रहा. अदालत ने आरोपी को दोषसिद्ध करते हुए सजा के प्रश्न पर सुनने के उपरांत अपने निर्णय में कहा कि मात्र तीन वर्ष की अबोध बच्ची के साथ दुराचार किया जाना एक असामान्य घटना है. सभ्य समाज में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि इतनी कम उम्र की मासूम बच्ची को देखकर किसी व्यक्ति के मन में वासना का भाव उत्पन्न हो. अदालत ने अपने निर्णय में आरोपी को आजीवन कारावास सुनाई है. अदालात ने कहा कि आजीवन कारावास का तात्पर्य अभियुक्त अपना पूरा जीवन के कारावास में ही बिताएगा.

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लखनऊः तीन वर्ष की बच्ची के साथ दुराचार करने के अभियुक्त विकास कोरी को पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा के साथ 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जुर्माने की समस्त धनराशि प्रतिकर के रूप में पीड़िता को दी जाएगी.

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुखेंद्र प्रताप सिंह का तर्क था कि इस घटना की रिपोर्ट बच्ची के पिता द्वारा 26 जुलाई 2013 को थाना बंथरा ने दर्ज कराई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना के दिन उसकी तीन वर्षीय पुत्री घर के सामने खेल रही थी, तभी मकान के सामने रहने वाला विकास कोरी उसकी लड़की को अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. बहस के दौरान यह भी कहा गया है कि जब वादी ने लड़की के चिल्लाने की आवाज सुनी तब उसने घर के बाहर जाकर देखा तो लड़की विकास के घर से रोते हुए आ रही थी.

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घटना के बाद अभियुक्त को पुलिस ने 28 जुलाई 2013 को गिरफ्तार कर लिया था, तब से वह लगातार जेल में है. इस मामले में अभियुक्त को सजा कराने के लिए बच्ची का बयान और अभियुक्त की ओर इशारा करके उसे पहचानना ही मुख्य साक्ष्य रहा. अदालत ने आरोपी को दोषसिद्ध करते हुए सजा के प्रश्न पर सुनने के उपरांत अपने निर्णय में कहा कि मात्र तीन वर्ष की अबोध बच्ची के साथ दुराचार किया जाना एक असामान्य घटना है. सभ्य समाज में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि इतनी कम उम्र की मासूम बच्ची को देखकर किसी व्यक्ति के मन में वासना का भाव उत्पन्न हो. अदालत ने अपने निर्णय में आरोपी को आजीवन कारावास सुनाई है. अदालात ने कहा कि आजीवन कारावास का तात्पर्य अभियुक्त अपना पूरा जीवन के कारावास में ही बिताएगा.

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