लखनऊः लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के खतरे को देखते हुए एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) ने प्रबंध नगर योजना के अंतर्गत बनने वाली टाउनशिप को इको फ्रेंडली बनाने का फैसला किया है. इसके लिए सलाहकार कंपनी के चयन में एलडीए ने इको फ्रेंडली और ऊर्जा तकनीक से दक्ष होने की शर्त मुख्य रूप से रखी है. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने इसके लिए सलाहकार कंपनी को डीपीआर में जरूरी प्रस्ताव भी शामिल करने की बात कही है.
शुरू की गई है सलाहकार कंपनी के लिए टेंडर प्रक्रिया
लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह की तरफ से टाउनशिप बनाने को लेकर जो टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है, उसमें सलाहकार कंपनी के चयन के लिए यह मुख्य शर्त ईको फ्रेंडली होने की रखी गई है. राजधानी लखनऊ की प्रबंध नगर योजना 2075 एकड़ में बसाई जानी है.
एक महीने में करना है चयन, फिर शुरू होगा काम
इसके निर्माण आदि के काम को करने के लिए एक सलाहकार कंपनी के चयन की प्रक्रिया लखनऊ विकास प्राधिकरण 1 महीने के अंदर करेगा. टेंडर प्रक्रिया के अंतर्गत 10 दिसंबर को सलाहकार कंपनी के चयन के लिए तकनीकी बिड खोली जाएगी. वहीं पूरी योजना पर प्रजेंटेशन का काम भी 14 दिसंबर को सलाहकार फर्म को देना होगा.
कई बड़ी आर्किटेक्ट कंपनियां एलडीए के संपर्क में
इस टाउनशिप को डेवलप करने के लिए देश की कई प्रमुख आर्किटेक्ट कंपनियां लखनऊ विकास प्राधिकरण के संपर्क में हैं. प्रेजेंटेशन के बाद की स्थितियों का आकलन करते हुए लखनऊ विकास प्राधिकरण की तरफ से वित्तीय बिड खोलकर सलाहकार कंपनी का चयन किया जाएगा.
न्यूनतम ऊर्जा का उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण का होगा खयाल
लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने बताया कि टाउनशिप को पूरी तरह से इको फ्रेंडली बनाने के लिए न्यूनतम ऊर्जा का उपयोग से लेकर पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए विकास कार्य कराए जाने हैं. इसके लिए सलाहकार कंपनी का चयन करके इन मानकों पर टाउनशिप का विकास कराना है.
पर्यावरण कानूनों का रखना होगा ध्यान
इसके साथ ही मुख्य रूप से इस टाउनशिप में ऊर्जा दक्षता, बिल्डिंग कोड, ईसीबीसी के अलावा सभी पर्यावरण कानूनों का अनुपालन भी कराया जाएगा. इसके साथ ही शून्य कचरा नीति का भी पालन कराया जाएगा.
ईको फ्रेंडली टाऊनशिप में यह होगी खासियत
जानकारी के अनुसार इको फ्रेंडली टाउनशिप विकसित करने के लिए मुख्य रूप से जिन चीजों को प्रमुखता से लागू करना होगा, उनमें ऊर्जा का प्रति वर्ग मीटर उपयोग करना शामिल है. पावर इंडेक्स को न्यूनतम स्तर पर रखे जाने की बात, पानी के उपयोग के बराबर भूगर्भ जल रिचार्ज की क्षमता विकसित करना. शून्य कचरा नीति में सीवरेज और सॉलिड वेस्ट का पूरी तरह निस्तारण किया जाना है. शोधित किए गए पानी का दोबारा से उपयोग करने का बड़ा काम इको फ्रेंडली सिस्टम के अंतर्गत किए जाने की बात कही गई है.