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एलडीए ने जमा किया एक लाख रुपये हर्जाना, समय बर्बाद करने पर हाईकोर्ट ने लगाया था

हरित क्षेत्र में आवासीय कॉलोनी बसाने के एक मुद्दे पर दाखिल जनहित याचिका में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) के आदेश के अनुपालन में लखनऊ विकास प्राधिकरण को एक लाख रुपये का हर्जाना जमा करना पड़ा है. एलडीए की ओर से न्यायालय को जानकारी दी गई कि उसने हर्जाने की रकम जमा कर दी है.

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Published : Dec 8, 2022, 9:24 PM IST

लखनऊ : हरित क्षेत्र में आवासीय कॉलोनी बसाने के एक मुद्दे पर दाखिल जनहित याचिका में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) के आदेश के अनुपालन में लखनऊ विकास प्राधिकरण को एक लाख रुपये का हर्जाना जमा करना पड़ा है. एलडीए की ओर से न्यायालय को जानकारी दी गई कि उसने हर्जाने की रकम जमा कर दी है, जिसके बाद न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 दिसम्बर की तिथि नियत कर दी.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने लताफ़त हुसैन व अन्य समेत दर्जनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिका में हरित क्षेत्र घोषित इलाकों में आवासीय कॉलोनी बसाने के मुद्दे को उठाया गया है. पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए अपने आदेश में कहा था कि मामले में दोनों पक्षों ने कोर्ट का तीन घंटे से ज्यादा का समय खराब किया, विकास योजना 2021 के तहत दोनों तरफ से बहुत सारी दलीलें दी गईं, इसके बाद एलडीए के अधिवक्ता ने बताया कि उन्हें जानकारी दी गई है कि विकास योजना 2031 में प्रश्नगत हरित क्षेत्र को आवासीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. न्यायालय ने कहा कि एलडीए के अधिवक्ता के इस दलील के बाद मामले का रुख ही बदल गया, लेकिन यह तथ्य इतना समय बर्बाद हो जाने के बाद संज्ञान में लाया गया. न्यायालय ने इसके साथ ही एलडीए पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए, उसे आदेश दिया कि जुर्माने की यह रकम दोषी अधिकारी से वसूली जाए जिसकी वजह से उक्त जानकारी देर से उपलब्ध हो सकी. एलडीए ने कोर्ट को बताया कि दोषी अधिकारी की जिम्मेदारी तय करने व एक लाख रुपये की रकम वसूलने के लिए जांच शुरू कर दी गई है.

लखनऊ : हरित क्षेत्र में आवासीय कॉलोनी बसाने के एक मुद्दे पर दाखिल जनहित याचिका में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) के आदेश के अनुपालन में लखनऊ विकास प्राधिकरण को एक लाख रुपये का हर्जाना जमा करना पड़ा है. एलडीए की ओर से न्यायालय को जानकारी दी गई कि उसने हर्जाने की रकम जमा कर दी है, जिसके बाद न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 दिसम्बर की तिथि नियत कर दी.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने लताफ़त हुसैन व अन्य समेत दर्जनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिका में हरित क्षेत्र घोषित इलाकों में आवासीय कॉलोनी बसाने के मुद्दे को उठाया गया है. पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए अपने आदेश में कहा था कि मामले में दोनों पक्षों ने कोर्ट का तीन घंटे से ज्यादा का समय खराब किया, विकास योजना 2021 के तहत दोनों तरफ से बहुत सारी दलीलें दी गईं, इसके बाद एलडीए के अधिवक्ता ने बताया कि उन्हें जानकारी दी गई है कि विकास योजना 2031 में प्रश्नगत हरित क्षेत्र को आवासीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. न्यायालय ने कहा कि एलडीए के अधिवक्ता के इस दलील के बाद मामले का रुख ही बदल गया, लेकिन यह तथ्य इतना समय बर्बाद हो जाने के बाद संज्ञान में लाया गया. न्यायालय ने इसके साथ ही एलडीए पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए, उसे आदेश दिया कि जुर्माने की यह रकम दोषी अधिकारी से वसूली जाए जिसकी वजह से उक्त जानकारी देर से उपलब्ध हो सकी. एलडीए ने कोर्ट को बताया कि दोषी अधिकारी की जिम्मेदारी तय करने व एक लाख रुपये की रकम वसूलने के लिए जांच शुरू कर दी गई है.

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