लखनऊ: एक तरफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है. वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार चरम पर है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्य नगर नियोजक प्रभारी मानचित्र सेल सहित कई अफसरों पर शहर के एक होटल व्यवसायी ने मानचित्र पास करने के एवज में धन उगाही का गंभीर आरोप लगाया है. कासगंज विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने वित्त मंत्री को संबोधित इस शिकायती पत्र में होटल व्यवसाई की पीड़ा जाहिर की है. इस शिकायती पत्र के आधार पर प्रदेश के वित्त मंत्री एवं लखनऊ प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ जांच कराने की बात कही है.
जानकारी के अनुसार शिकायती पत्र में बताया गया है कि साल 2016 में आयोजित इन्वेस्टर समिट में अफसरों के साथ अंशुल बिल्डकाम प्राइवेट लिमिटेड का तीन सितारा होटल बनाने का एमओयू हुआ था. होटल पर्यटन नीति 1018 के तहत कंपनी को रजिस्ट्रेशन भी मिला था. कंपनी ने 21 मई 2018 को मानचित्र स्वीकृत करने के लिए जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से एलडीए के चीफ टाउन प्लानर को भेजा. इस सिलसिले में जब चीफ टाउन प्लानर से मुलाकात की गई तो उन्होंने अनधिकृत मांग की. जब उन्हें इस अनधिकृत देय से मना कर दिया गया तो उन्होंने यह कहते हुए आपत्ति लगा दी कि प्रस्तावित होटल गोमती नदी बंधे से 120 मीटर की दूरी पर है. इसलिए यहां पर होटल का निर्माण नहीं हो सकता है, जबकि एसडीएम उपजिलाधिकारी सदर ने प्रस्तावित होटल की बंधे से दूरी 412 मीटर बताई है.
मंत्री ने दिए जांच के बाद कार्रवाई के निर्देश
शिकायती पत्र में यह भी कहा गया कि कई ऐसे भवन हैं, जो गोमती नदी बंधे से 100 मीटर से कम दूरी पर स्थित हैं. होटल निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत करने का लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लिखित आश्वासन भी दिया था. आवास बंधु के निदेशक प्रशासन ने भी इस पर अपनी तरफ से अनापत्ति दे रखी है. विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह के लिखित पत्र को संलग्न करते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने मुख्य नगर नियोजक, प्रभारी मानचित्र सेल, नगर ग्राम्य नियोजक, सहयुक्त नियोजक विशाल भारती के खिलाफ जांच करने और उन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. मंत्री की तरफ से लिखे गए इस पत्र के लखनऊ विकास प्राधिकरण पहुंचने के बाद अधिकारियों में खलबली मची हुई है.
एलडीए के सीटीपी पर गंभीर आरोप, वित्त मंत्री ने दिए जांच के निर्देश - accused of demanding bribe in lucknow
एलडीए के मुख्य नगर नियोजक प्रभारी मानचित्र सेल सहित कई अफसरों पर शहर के एक होटल व्यवसायी ने गंभीर आरोप लगाए हैं. मामले में कासगंज विधायक की शिकायत पर प्रदेश के वित्त मंत्री ने जांच के निर्देश दिए हैं.
लखनऊ: एक तरफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है. वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार चरम पर है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्य नगर नियोजक प्रभारी मानचित्र सेल सहित कई अफसरों पर शहर के एक होटल व्यवसायी ने मानचित्र पास करने के एवज में धन उगाही का गंभीर आरोप लगाया है. कासगंज विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने वित्त मंत्री को संबोधित इस शिकायती पत्र में होटल व्यवसाई की पीड़ा जाहिर की है. इस शिकायती पत्र के आधार पर प्रदेश के वित्त मंत्री एवं लखनऊ प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ जांच कराने की बात कही है.
जानकारी के अनुसार शिकायती पत्र में बताया गया है कि साल 2016 में आयोजित इन्वेस्टर समिट में अफसरों के साथ अंशुल बिल्डकाम प्राइवेट लिमिटेड का तीन सितारा होटल बनाने का एमओयू हुआ था. होटल पर्यटन नीति 1018 के तहत कंपनी को रजिस्ट्रेशन भी मिला था. कंपनी ने 21 मई 2018 को मानचित्र स्वीकृत करने के लिए जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से एलडीए के चीफ टाउन प्लानर को भेजा. इस सिलसिले में जब चीफ टाउन प्लानर से मुलाकात की गई तो उन्होंने अनधिकृत मांग की. जब उन्हें इस अनधिकृत देय से मना कर दिया गया तो उन्होंने यह कहते हुए आपत्ति लगा दी कि प्रस्तावित होटल गोमती नदी बंधे से 120 मीटर की दूरी पर है. इसलिए यहां पर होटल का निर्माण नहीं हो सकता है, जबकि एसडीएम उपजिलाधिकारी सदर ने प्रस्तावित होटल की बंधे से दूरी 412 मीटर बताई है.
मंत्री ने दिए जांच के बाद कार्रवाई के निर्देश
शिकायती पत्र में यह भी कहा गया कि कई ऐसे भवन हैं, जो गोमती नदी बंधे से 100 मीटर से कम दूरी पर स्थित हैं. होटल निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत करने का लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लिखित आश्वासन भी दिया था. आवास बंधु के निदेशक प्रशासन ने भी इस पर अपनी तरफ से अनापत्ति दे रखी है. विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह के लिखित पत्र को संलग्न करते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने मुख्य नगर नियोजक, प्रभारी मानचित्र सेल, नगर ग्राम्य नियोजक, सहयुक्त नियोजक विशाल भारती के खिलाफ जांच करने और उन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. मंत्री की तरफ से लिखे गए इस पत्र के लखनऊ विकास प्राधिकरण पहुंचने के बाद अधिकारियों में खलबली मची हुई है.