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लखनऊः वकीलों ने किया न्यायिक कामकाज का बहिष्कार

यूपी बार काउंसिल के आवाह्न पर सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच समेत जिले के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में अधिवक्ता ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया. वकीलों के सम्बंध में कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड आवंटित न करने के विरोध में कार्य बहिष्कार का निर्णय किया.

अधिवक्ता ने किया न्यायिक कार्य का बहिष्कार
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Published : Jul 29, 2019, 11:12 PM IST

लखनऊः यूपी बार काउंसिल के आवाह्न पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच समेत जिले के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में अधिवक्ता ने सोमवार को न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया. बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर प्रदेश में हुई वकीलों की हत्याओं की निन्दा की. बार काउंसिल ने वकीलों के सम्बंध में कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड आवंटित न करने व कुछ योजनाओं की घोषणा के बाद भी उसे मूर्त रूप न देने के विरोध में सोमवार केा विरोध दिवस मनाने का निर्णय किया.

बार काउंसिल के चेयरमैन हरिशंकर सिंह ने अवध बार एसोसिएशन, सेंट्रल बार एसेासिएशन, लखनऊ बार एसेासिएशन व राजधानी की अन्य बार एसोसिएशनों को पत्र लिखकर सूचित किया था, जिसके बाद अवध बार व अन्य बार एसेासिएशनों ने बार काउंसिल के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया, जिसके चलते अदालती कामकाज पूरी तरह प्रभावित रहा.

आगरा, प्रतापगढ़ व इलाहाबाद में मारे गए वकीलों के परिजनों केा आर्थिक सहायता व सुरक्षा प्रदान करने की मांग बार काउंसिल कर रहा है. वहीं सरकार के पास लंबित 80 करोड़ रुपये की निधि, यूपी अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति को रिलीज करने की मांग की जा रही है.

बार काउंसिल का कहना है कि यह निधि न जारी होने से करीब पांच सौ दिवंगत वकीलों के परिवारेां को सहायता राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी है. पहले से गठित अदालतों में वकीलों व पीठासीन अधिकारिेयों के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है. नए पंजीकृत वकीलों को पुस्तकें आदि खरीदने के लिए स्टाइपेंड देने की घोषणा को मूर्त रूप दिये जाने की भी मांग की गई.

लखनऊः यूपी बार काउंसिल के आवाह्न पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच समेत जिले के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में अधिवक्ता ने सोमवार को न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया. बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर प्रदेश में हुई वकीलों की हत्याओं की निन्दा की. बार काउंसिल ने वकीलों के सम्बंध में कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड आवंटित न करने व कुछ योजनाओं की घोषणा के बाद भी उसे मूर्त रूप न देने के विरोध में सोमवार केा विरोध दिवस मनाने का निर्णय किया.

बार काउंसिल के चेयरमैन हरिशंकर सिंह ने अवध बार एसोसिएशन, सेंट्रल बार एसेासिएशन, लखनऊ बार एसेासिएशन व राजधानी की अन्य बार एसोसिएशनों को पत्र लिखकर सूचित किया था, जिसके बाद अवध बार व अन्य बार एसेासिएशनों ने बार काउंसिल के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया, जिसके चलते अदालती कामकाज पूरी तरह प्रभावित रहा.

आगरा, प्रतापगढ़ व इलाहाबाद में मारे गए वकीलों के परिजनों केा आर्थिक सहायता व सुरक्षा प्रदान करने की मांग बार काउंसिल कर रहा है. वहीं सरकार के पास लंबित 80 करोड़ रुपये की निधि, यूपी अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति को रिलीज करने की मांग की जा रही है.

बार काउंसिल का कहना है कि यह निधि न जारी होने से करीब पांच सौ दिवंगत वकीलों के परिवारेां को सहायता राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी है. पहले से गठित अदालतों में वकीलों व पीठासीन अधिकारिेयों के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है. नए पंजीकृत वकीलों को पुस्तकें आदि खरीदने के लिए स्टाइपेंड देने की घोषणा को मूर्त रूप दिये जाने की भी मांग की गई.


वकीलों ने किया न्यायिक कामकाज का बहिष्कार 
यूपी बार काउंसिल के आह्वान पर अधिवक्ता रहे न्यायिक कार्य से विरत
विधि संवाददाता
लखनऊ
यूपी बार काउंसिल के आवाह्न पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच समेत जिले के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में अधिवक्ता सोमवार को न्यायिक कामकाज से विरत रहे बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर प्रदेश में हुई वकीलों की हत्याओं की निन्दा की, साथ ही दिवंगत वकीलों के परिवार को सुरक्षा प्रदान किये जाने की भी मांग की है। बार काउंसिल ने वकीलों के सम्बंध में कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड आवंटित न करने व कुछ योजनाओं की घोषणा के बाद भी उसे मूर्त रूप न देने के विरोध में सोमवार केा विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया था। 

    बार कौंसिल के चेयरमैन हरि शंकर सिंह ने अवध बार एसोसिशन, सेंट्रल बार सेासिशन, लखनऊ बार सेासिशन व राजधानी की अन्य बार एसोसिएशनों को पत्र लिखकर सूचित किया था कि सोमवार को सरकार से अपना विरेाध जताने के लिए विरोध दिवस मनाया जा और न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया जा यूपी बार काउंसिल के आह्वान के बाद अवध बार व अन्य बार सेासिनों ने बार काउंसिल के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए, सोमवार को न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया। बार के पदाधिकारियों ने हाईकोर्ट व अन्य अदाल के परिसरों में घूम-घूमकर वकीलों को न्यायिक कार्य न करने के लिए लामबंद किया। वकीलों के कार्य बहिष्कार के चलते अदालती कामकाज बुरी तरह प्रभावित रहा। 
  
उल्लेखनीय है कि आगरा, प्रतापगढ़ व इलाहाबाद में मारे ग वकीलों के परिजनों केा आर्थिक सहायता व सुरक्षा प्रदान करने की मांग बार काउंसिल कर रहा है। वहीं सरकार के पास लम्बि80 करोड़ रुपये की निधि को यूपी अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति को रिलीज करने की भी मांग की जा रही है। बार काउंसिल का कहना है कि यह निधि न जारी होने से करीब पांच सौ दिवंगत वकीलों के परिवारेां को सहायता राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी है ग्राम व सांध्य न्यायालयों के खिलाफ भी विरोध जताते हुए कहा गया कि पहले से गठित अदालतों में वकीलों व पीठासीन अधिकारिेयों के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है, ऐसे में न अदालतों की परिकल्पना मात्र छलावा है। न पंजीकृत वकीलों को पुस्तकें आदि खरीदने के लिए स्टाइपेंड देने की घोषणा को मूर्त रूप दिये जाने की भी मांग की ग है।

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Chandan Srivastava
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