लखनऊः यूपी बार काउंसिल के आवाह्न पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच समेत जिले के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में अधिवक्ता ने सोमवार को न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया. बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर प्रदेश में हुई वकीलों की हत्याओं की निन्दा की. बार काउंसिल ने वकीलों के सम्बंध में कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड आवंटित न करने व कुछ योजनाओं की घोषणा के बाद भी उसे मूर्त रूप न देने के विरोध में सोमवार केा विरोध दिवस मनाने का निर्णय किया.
बार काउंसिल के चेयरमैन हरिशंकर सिंह ने अवध बार एसोसिएशन, सेंट्रल बार एसेासिएशन, लखनऊ बार एसेासिएशन व राजधानी की अन्य बार एसोसिएशनों को पत्र लिखकर सूचित किया था, जिसके बाद अवध बार व अन्य बार एसेासिएशनों ने बार काउंसिल के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए न्यायिक कामकाज का बहिष्कार किया, जिसके चलते अदालती कामकाज पूरी तरह प्रभावित रहा.
आगरा, प्रतापगढ़ व इलाहाबाद में मारे गए वकीलों के परिजनों केा आर्थिक सहायता व सुरक्षा प्रदान करने की मांग बार काउंसिल कर रहा है. वहीं सरकार के पास लंबित 80 करोड़ रुपये की निधि, यूपी अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति को रिलीज करने की मांग की जा रही है.
बार काउंसिल का कहना है कि यह निधि न जारी होने से करीब पांच सौ दिवंगत वकीलों के परिवारेां को सहायता राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी है. पहले से गठित अदालतों में वकीलों व पीठासीन अधिकारिेयों के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है. नए पंजीकृत वकीलों को पुस्तकें आदि खरीदने के लिए स्टाइपेंड देने की घोषणा को मूर्त रूप दिये जाने की भी मांग की गई.