लखनऊ: प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है. प्रदेश सरकार भले ही कोरोना को लेकर पूरी तैयरी की बात कर रही हो, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. लोग इलाज के अभाव में अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर हैं. ताजा मामला अलीगढ़ का है, जहां सेक्टर जे निवासी भुवनेश्वरी देवी की जान इलाज न मिलने के कारण चली गई.
इलाज के अभाव में जा रही जान
दरअसल भुवनेश्वरी देवी को सांस लेने में जब दिक्कत शुरू हुई तो परिजनों ने किसी तरह ऑक्सीजन सिलेंजर का इंतजाम किया. बावजूद इसके जब उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो परिजनों ने उन्हें राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराना चाहा, लेकिन वहां उन्हें भर्ती नहीं मिली. उसके बाद सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में उन्हें भर्ती तो मिल गई लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें दूसरी जगह रेफर कर दिया गया. वहां जाने के क्रम में भुवनेश्वरी देवी ने दम तोड़ दिया. ऐसा ही एक दूसरा मामला आशियाना सेक्टर के निवासी आर श्रीवास्तव (72) का है, जिन्हें केजीएमयू और लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में भर्ती नहीं मिली और इलाज के अभाव में उनकी जान चली गई.
कोरोना से हुई शोधार्थी की मौत
एलयू के उर्दू विभाग के पोस्ट डॉक्ट्रेट फेलोशिप के शोधार्थी अजय सिंह की ऑक्सीजन न मिलने से मौत हो गई. साथी अनिल यादव ने बताया कि अजय को गुरुवार रात सांस फूलने पर बलरामपुर अस्पताल ले जाया गया था, जहां बेड न होने का हवाला देकर उन्हें वापस भेज दिया गया. सुबह साढ़े तीन बजे अजय ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. अजय की मौत पर उर्दू विभाग के हेड डॉ. एआर नैयर ने शोक व्यक्त किया है. श्याम विहार कॉलोनी की 60 वर्षीय रीता श्रीवास्तव की मौत भी सही समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर ना मिलने से हो गई. उनका इलाज बेड न मिलने के कारण घर पर ही चल रहा था. यही हाल केजीएमयू का भी है, जहां भर्ती न मिलने के कारण फातिमा नाम की प्रसूता इधर-उधर भटकने पर मजबूर हैं.
फैजुल्लागंज के लोग डर से कर रहे हैं पलायन
फैजुल्लागंज में तेज बुखार के कारण कई मौतें हो चुकी हैं. लोगों में कोरोना को लेकर दहशत इतनी बढ़ गयी है कि लोग धीरे-धीरे पलायन करने लगे हैं. इलाके के ज्यादातर लोग सर्दी-जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं. इलाके में कई मौतों के बाद आखिरकार नगर निगम की टीम ने साफ-सफाई कर इलाके में सैनिटाइजर का छिड़काव किया है.
इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं मरीज
प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना मरीजों की भर्ती फिलहाल रोक रखी है. लोगों को इलाज के लिए एक जगह से दूसरी जगह भटकना पड़ रहा है, लेकिन उनकी समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. आलम यह है कि लोहिया, पीजीआई, केजीएमयू, बलरामपुर और सिविल अस्पताल में भी मरीजों को ठिकाना नहीं मिल रहा है.
ना अस्पतानों में बेड, ना ऑक्सीजन
अस्पतालों में कोरोना मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है. अगर किसी को ऑक्सीजन की जरूरत है तो उसे ऑक्सीजन भी नहीं मिल पा रही है. इससे मरीजों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं. खाली सिलेंडर भरवाने के लिए नादरगंज ऑक्सीजन कंपनी के बाद लोगों की लंबी कतार देखी जा रही है.
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अस्पताल की तरफ से क्या कहा जा रहा है?
लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह ने कहा कि इमरजेंसी से लेकर कोविड वार्ड के ज्यादातर बेड भरे हैं. मरीजों का लगातार आना जारी है. इमरजेंसी में आने वाले सभी मरीजों को प्राथमिक इलाज मुहैया कराने की कोशिश अस्पताल की तरफ से की जा रही है. वहीं केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि इमरजेंसी में कोविड और नॉन कोविड दोनों तरह के मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. मरीजों का दबाव काफी है. मरीजों को इलाज न मुहैया कराने के आरोप बेबुनियाद हैं.