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लखनऊ की शान में एक और 'मोती' होगा कुकरैल नाइट सफारी

राजधानी स्थित कुकरैल संरक्षित वन क्षेत्र में देश का पहला नाइट सफारी बनाए जाने के लिए सर्वे का काम शुरू हो चुका है. सरकार वन्यजीव संरक्षण और इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपीठी का विश्लेषण...

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Published : Apr 24, 2023, 7:59 AM IST

Updated : May 12, 2023, 8:17 AM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ के कुकरैल वन क्षेत्र में सेंट्रल जू अथॉरिटी की टेक्निकल कमेटी द्वारा मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सैद्धांतिक सहमति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना आभार भी जताया है. इससे उत्साहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कुकरैल में नाइट सफारी एवं प्राणी उद्यान परियोजना स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. हमारी सरकार वन्यजीव संरक्षण और इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. राजधानी के कुकरैल क्षेत्र में लगभग 500 एकड़ भूमि पर बनाई जाने वाली इस परियोजना के सामने कम चुनौतियां नहीं हैं. राजधानी से सटे होने के कारण इस वन क्षेत्र की तमाम जमीनों पर अवैध निर्माण हो चुके हैं.‌ वृक्षों का कटान भी रोकना जरूरी हो गया है. यदि सरकार इसमें सफल हुई तो यह देश की पहली नाइट सफारी होगी.


कुकरैल
कुकरैल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंशा जाहिर की थी कि यह कुकरैल नाइट सफारी किस तरह से विकसित की जाए कि यहां वन्य जीवों का संरक्षण हो, साथ ही पर्यावरण को भी बढ़ावा मिले. यही नहीं पर्यावरण पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रयोग देखने को मिले. गौरतलब है कुकरैल का कुल प्राकृतिक वन क्षेत्र 2027 हेक्टेयर का है, इसमें से 500 एकड़ को चिड़ियाघर तथा नाइट सफारी में विकसित किया जाना है. यहां विश्व स्तर की इको पर्यटन की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. कम ही लोग जानते हैं कि आज की तारीख में नाले में तब्दील हो चुकी कुकरैल नदी इसी कुकरैल वन क्षेत्र से निकलती है. गौरतलब है कि कुकरैल वन क्षेत्र में पहले से ही एक घड़ियाल प्रजनन केंद्र, वन विश्रामगृह और बच्चों का पार्क मौजूद है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट माने जा रहे नाइट सफारी की बेहतर कनेक्टिविटी के लिए कुकरैल ओवरब्रिज समेत इंदिरा नगर ब्रिज, मल्हौर, ऐशबाग, निराला नगर, बीकेटी, चिनहट, रहीमाबाद, गोमती नगर, जानकीपुरम आशियाना आदि क्षेत्रों में ओवरब्रिज और अच्छी सड़कों का निर्माण कराया जाएगा.



फाइल फोटो
फाइल फोटो

जानकारों का मानना है कि 'कुकरैल वन क्षेत्र को मानक के विपरीत प्रॉपर्टी डीलिंग कर काफी जमीनें बेच डाली हैं. इसलिए कुकरैल पहुंचने के लिए चौड़ी सड़कों में और फ्लाईओवर के लिए सरकार को कड़ी मशक्कत करनी होगी. जानकार बताते हैं कि वन क्षेत्र के भी कुछ भागों पर निजी विकासकर्ताओं का कब्जा है‌, इसके लिए भी प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. गौरतलब है कि कुकरैल संरक्षित वन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है. इस संरक्षित वन क्षेत्र की स्थापना 1978 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सहयोग से की गई थी‌. इस केंद्र की स्थापना का विचार 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थान प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय संघ की उसके बाद आया, जिसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश में नदियों में मात्र 300 मगरमच्छ ही जीवित बचे हैं. मगरमच्छों के संरक्षण के लिए कुकरेल संरक्षित वन क्षेत्र विकसित किया गया आज या पिकनिक स्पॉट के रूप में जाना जाता है.'

यह भी पढ़ें : मौसमी सब्जियों की आवक बढ़ने से दाम घटे, जानिए आज का भाव

लखनऊ : राजधानी लखनऊ के कुकरैल वन क्षेत्र में सेंट्रल जू अथॉरिटी की टेक्निकल कमेटी द्वारा मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सैद्धांतिक सहमति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना आभार भी जताया है. इससे उत्साहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कुकरैल में नाइट सफारी एवं प्राणी उद्यान परियोजना स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. हमारी सरकार वन्यजीव संरक्षण और इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. राजधानी के कुकरैल क्षेत्र में लगभग 500 एकड़ भूमि पर बनाई जाने वाली इस परियोजना के सामने कम चुनौतियां नहीं हैं. राजधानी से सटे होने के कारण इस वन क्षेत्र की तमाम जमीनों पर अवैध निर्माण हो चुके हैं.‌ वृक्षों का कटान भी रोकना जरूरी हो गया है. यदि सरकार इसमें सफल हुई तो यह देश की पहली नाइट सफारी होगी.


कुकरैल
कुकरैल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंशा जाहिर की थी कि यह कुकरैल नाइट सफारी किस तरह से विकसित की जाए कि यहां वन्य जीवों का संरक्षण हो, साथ ही पर्यावरण को भी बढ़ावा मिले. यही नहीं पर्यावरण पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रयोग देखने को मिले. गौरतलब है कुकरैल का कुल प्राकृतिक वन क्षेत्र 2027 हेक्टेयर का है, इसमें से 500 एकड़ को चिड़ियाघर तथा नाइट सफारी में विकसित किया जाना है. यहां विश्व स्तर की इको पर्यटन की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. कम ही लोग जानते हैं कि आज की तारीख में नाले में तब्दील हो चुकी कुकरैल नदी इसी कुकरैल वन क्षेत्र से निकलती है. गौरतलब है कि कुकरैल वन क्षेत्र में पहले से ही एक घड़ियाल प्रजनन केंद्र, वन विश्रामगृह और बच्चों का पार्क मौजूद है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट माने जा रहे नाइट सफारी की बेहतर कनेक्टिविटी के लिए कुकरैल ओवरब्रिज समेत इंदिरा नगर ब्रिज, मल्हौर, ऐशबाग, निराला नगर, बीकेटी, चिनहट, रहीमाबाद, गोमती नगर, जानकीपुरम आशियाना आदि क्षेत्रों में ओवरब्रिज और अच्छी सड़कों का निर्माण कराया जाएगा.



फाइल फोटो
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जानकारों का मानना है कि 'कुकरैल वन क्षेत्र को मानक के विपरीत प्रॉपर्टी डीलिंग कर काफी जमीनें बेच डाली हैं. इसलिए कुकरैल पहुंचने के लिए चौड़ी सड़कों में और फ्लाईओवर के लिए सरकार को कड़ी मशक्कत करनी होगी. जानकार बताते हैं कि वन क्षेत्र के भी कुछ भागों पर निजी विकासकर्ताओं का कब्जा है‌, इसके लिए भी प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. गौरतलब है कि कुकरैल संरक्षित वन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है. इस संरक्षित वन क्षेत्र की स्थापना 1978 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सहयोग से की गई थी‌. इस केंद्र की स्थापना का विचार 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थान प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय संघ की उसके बाद आया, जिसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश में नदियों में मात्र 300 मगरमच्छ ही जीवित बचे हैं. मगरमच्छों के संरक्षण के लिए कुकरेल संरक्षित वन क्षेत्र विकसित किया गया आज या पिकनिक स्पॉट के रूप में जाना जाता है.'

यह भी पढ़ें : मौसमी सब्जियों की आवक बढ़ने से दाम घटे, जानिए आज का भाव

Last Updated : May 12, 2023, 8:17 AM IST
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