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लखनऊ : रमजान में 1 नेकी का मिलता है 70 गुना सवाब, ऐसे करें रोजों में इबादत

रहमतों और बरकतों का मुबारक महीना रमजान जारी है. इसमें बड़े पैमाने पर रोजेदार रोजा रखकर बारगाह-ए-इलाही में इबादत में व्यस्त रहते हैं. रमजान के महीने की इस्लाम में बड़ी ही फजीलत और अजमत है. इस महीने में एक नेकी का सवाब 70 गुना तक हासिल होता है. रमजान ही वह महीना है, जिसमें इंसान गुनाहों से दूर रहकर नेकी की राह पर चलता है.

रमजान में रोजों का मिलता है 70 गुना सवाब
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Published : May 14, 2019, 7:52 PM IST

लखनऊ : रमजान के महीने की इस्लाम धर्म में बड़ी फजीलत है. बड़े पैमाने पर मुसलमान इस महीने में रोजा रखकर बारगाह-ए-इलाही में इबादत करते हैं, लेकिन रोजे सिर्फ भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं है. इन रोजों में छुपे हैं इस्लाम के कई बेहतरीन पैगाम. तो इन पैगामों के बारे में आप भी जानिए इस खास रिपोर्ट में-

रमजान के महीने की इस्लाम में बड़ी ही फजीलत और अजमत है.
  • रहमतों और बरकतों का मुबारक महीना रमजान जारी है.
  • इसमें बड़े पैमाने पर रोजेदार रोजा रखकर बारगाह-ए-इलाही में इबादत में व्यस्त रहते हैं.
  • रमजान के महीने की इस्लाम में बड़ी ही फजीलत और अजमत है.
  • इस महीने में एक नेकी का सवाब 70 गुना तक हासिल होता है.
  • रमजान ही वह महीना है, जिसमें इंसान गुनाहों से दूर रहकर नेकी की राह पर चलता है.

क्या कहना है काजी-ए-शहर का
काजी-ए-शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली बताते हैं कि रमजान के दौरान रोजेदार भूखा-प्यासा रहकर अल्लाह की इबादत करता है. साथ ही रमजान में इस्लाम में बताए गए तमाम नेक कामों का बेहतरीन पैगाम भी छुपा है. इसकी सभी को समझने की बेहद जरूरत है.

रमजान में क्या करें और क्या न करें

  • मुफ्ती अबुल इरफान मियां कहते हैं कि अल्लाह चाहते हैं कि रमजान के दौरान इबादत गुजार अपने नफ्ज पर कंट्रोल करें.
  • किसी का दिल न दुखाएं. झूठ न बोलें, गीबत न करें.
  • निगाहों को पाक और साफ रखें और गुनाहों से दूरी बना कर रहें. गरीबों की मदद करें.
  • इन सब बातों पर अमल करना ही असल रोजा है न कि सिर्फ सुबह से रात भूखा और प्यासा रहना.

आगे इरफान मियां बताते हैं कि इंसान में जिस्म और रूह है आम दिनों में इसका पूरा ख्याल खाना-पीना और विभिन्न जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज इंसान की रूह है. इसी की तरबियत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है. इसका मकसद नेक राह पर चलना और इंसानियत का पैगाम फैलाना है.

लखनऊ : रमजान के महीने की इस्लाम धर्म में बड़ी फजीलत है. बड़े पैमाने पर मुसलमान इस महीने में रोजा रखकर बारगाह-ए-इलाही में इबादत करते हैं, लेकिन रोजे सिर्फ भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं है. इन रोजों में छुपे हैं इस्लाम के कई बेहतरीन पैगाम. तो इन पैगामों के बारे में आप भी जानिए इस खास रिपोर्ट में-

रमजान के महीने की इस्लाम में बड़ी ही फजीलत और अजमत है.
  • रहमतों और बरकतों का मुबारक महीना रमजान जारी है.
  • इसमें बड़े पैमाने पर रोजेदार रोजा रखकर बारगाह-ए-इलाही में इबादत में व्यस्त रहते हैं.
  • रमजान के महीने की इस्लाम में बड़ी ही फजीलत और अजमत है.
  • इस महीने में एक नेकी का सवाब 70 गुना तक हासिल होता है.
  • रमजान ही वह महीना है, जिसमें इंसान गुनाहों से दूर रहकर नेकी की राह पर चलता है.

क्या कहना है काजी-ए-शहर का
काजी-ए-शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली बताते हैं कि रमजान के दौरान रोजेदार भूखा-प्यासा रहकर अल्लाह की इबादत करता है. साथ ही रमजान में इस्लाम में बताए गए तमाम नेक कामों का बेहतरीन पैगाम भी छुपा है. इसकी सभी को समझने की बेहद जरूरत है.

रमजान में क्या करें और क्या न करें

  • मुफ्ती अबुल इरफान मियां कहते हैं कि अल्लाह चाहते हैं कि रमजान के दौरान इबादत गुजार अपने नफ्ज पर कंट्रोल करें.
  • किसी का दिल न दुखाएं. झूठ न बोलें, गीबत न करें.
  • निगाहों को पाक और साफ रखें और गुनाहों से दूरी बना कर रहें. गरीबों की मदद करें.
  • इन सब बातों पर अमल करना ही असल रोजा है न कि सिर्फ सुबह से रात भूखा और प्यासा रहना.

आगे इरफान मियां बताते हैं कि इंसान में जिस्म और रूह है आम दिनों में इसका पूरा ख्याल खाना-पीना और विभिन्न जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज इंसान की रूह है. इसी की तरबियत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है. इसका मकसद नेक राह पर चलना और इंसानियत का पैगाम फैलाना है.

Intro:रमजान के महीने की इस्लाम धर्म में बड़ी फजीलत है, बड़े पैमाने पर मुसलमान इस महीने में रोजा रखकर बारगाह ए इलाही में इबादत करते हैं, लेकिन क्या रोजा सिर्फ भूखे और प्यासे रहने का नाम है या रोजे में छुपे हैं इस्लाम के कई बेहतरीन पैगाम, देखिए इस खास रिपोर्ट में।


Body:रहमतों और बरकतों का मुबारक महीना रमजान जारी है जिसमें बड़े पैमाने पर रोज़ेदार रोजा रखकर बारगाह ए इलाही में इबादत में व्यस्त रहते हैं। रमजान के महीने की इस्लाम में बड़ी ही फजीलत और अजमत है, इस महीने में एक नेकी का सवाब 70 गुना तक हासिल होता है। रमजान ही वह महीना है जिसमें इंसान गुनाहों से दूर रहकर नेकी की राह पर चलता है।
काजी ए शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली बताते हैं कि रमजान के दौरान रोजेदार भूखा प्यासा रहकर अल्लाह की इबादत करता है लेकिन रमजान में इस्लाम में बताए गए तमाम नेक कामों का बेहतरीन पैगाम भी छुपा है, जिसको हम सब को समझने की बेहद जरूरत है। मुफ्ती अबुल इरफान मियां कहते हैं कि अल्लाह चाहता है कि रमजान के दौरान इबादत गुजार अपने नफ़्ज़ पर कंट्रोल करे, किसी का दिल ना दुखाए, झूठ ना बोले, गीबत ना करें, निगाहों को पाक और साफ रखें और गुनाहों से दूरी बना कर रहे और गरीबों की मदद करें इन सब बातों का करना ही असल रोज़ा है ना कि सिर्फ सुबह से रात भूखा और प्यासा रहना

बाइट- मुफ़्ती अबुल इरफान मियां, क़ाज़ी ए शहर


Conclusion:इंसान में जिस्म और रूह है, आम दिनों में इसका पूरा ख्याल खाना-पीना और विभिन्न जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज इंसान की रूह है इसी की तरबियत और पाकीज़गी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है इसका मकसद नेक राह पर चलना और दिनी और दुनियाबी एतबार से भी इंसानियत का पैगाम आम करना है।
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