लखनऊ: राजधानी के काकोरी ब्लॉक स्थित दशहरी गांव में पीढ़ियों पहले उगा एक पौधा आज फलों के राजा आम की एक खास प्रजाति के जन्मदाता के रूप में पहचाना जाता है. यह है दशहरी आम का 'मदर प्लांट'. इस प्रजाति को स्वाद और खुशबू के कारण दुनियाभर में शोहरत मिली है. इसी वृक्ष की कलम से दशहरी के बाग लगे. यह आम अन्य प्रजातियों के मुकाबले टिकाऊ भी है. इसलिए इसकी पहुंच भी देश-विदेश तक है.
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केंद्रीय उपोष्ण संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके शुक्ला कहते हैं 'यह पेड़ लगभग सवा सौ साल पुराना है. इसी वृक्ष की कलम से पूरी दुनिया और भारत में दशहरी फैला है. यही इसका मातृ वृक्ष है.' वह बताते हैं कि 'इस क्षेत्र के माल, मलिहाबाद, काकोरी और बख्शी का तालाब क्षेत्र में होने वाले दशहरी आम को जीआई 125 स्टेटस (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) मिला है. इसका मतलब यह है कि इस क्षेत्र का दशहरी ही सर्वश्रेष्ठ है. बाकी जगहों के दशहरी के स्वाद में वह बात नहीं होती.' डॉ शुक्ला कहते हैं कि इस फल पट्टी क्षेत्र की 70 प्रतिशत कृषि भूमि बागों से आच्छादित है.
वहीं, अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह कहते हैं 'काकोरी ब्लॉक के राजस्व ग्राम दशहरी के नाम पर ही दशहरी के मदर प्लांट का नाम रखा गया है. यह मदर प्लांट लगभग तीन सौ साल पुराना बताया जाता है.' वह बताते हैं कि 'फल पट्टी क्षेत्र (माल, मलिहाबाद, काकोरी और बख्शी का तालाब) में लगभग 35 हजार हेक्टेयर भू-भाग आम के बागों से आच्छादित है. जीआई 125 स्टेटस के कारण इन्हीं चार ब्लॉकों की दशहरी को असली माना जाएगा. इस क्षेत्र में औसतन दो से ढाई लाख मीट्रिक टन आम की फसल का उत्पादन होता है. हालांकि इस बार फसल सबसे कमजोर है. इस बार कम कीटनाशक से अधिक फसल मिलेगी. आम रोग रहित है.'
केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान की निदेशक डॉ. नीलिमा गर्ग बताती हैं 'यह वृक्ष करीब दो सौ साल पुराना है. इसका इतिहास लोगों को ज्यादा पता नहीं है. कुछ लोग इसे दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना बताते हैं. वह कहती हैं कि इस पेड़ का संरक्षण किया जा रहा है. अभी इसकी मांग भी उठी थी. यह वृक्ष हमारी विरासत है.'
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