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UP में राज्यसभा के लिए BJP ने उतारे 8 प्रत्याशी, जानें सबका राजनीतिक सफरनामा

राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी की तरफ से उत्तर प्रदेश से 8 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान हो गया है. आइये जानते हैं इनके बारे में विस्तृत से...

बीजेपी राज्यसभा उम्मीदवार.
बीजेपी राज्यसभा उम्मीदवार.
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Published : May 31, 2022, 12:20 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जातिगत संयोजन से लेकर कार्यकर्ताओं के सम्मान तक का विशेष ध्यान रखा है. लंबे समय तक उपेक्षित रहे लक्ष्मीकांत बाजपेई और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी सीट देने के बाद खाली बैठे डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को भाजपा ने राज्यसभा का टिकट दिया है. इसके साथ ही तेलंगाना से के.लक्ष्मण और शाहजहांपुर के मिथिलेश कुमार को टिकट से नवाज कर भाजपा ने दलित कार्ड खेला है.

संगीता यादव और दर्शना सिंह के तौर पर न केवल ठाकुर और यादवों को खींचा गया है. बल्कि महिलाओं के बीच भी भाजपा ने पैठ बनाने का प्रयास किया है. जबकि बाबूराम निषाद को टिकट देकर निषादों के बीच भाजपा ने एक सकारात्मक संदेश दिया है.

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई अपनी ईमानदारी और संयमी जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं और अभी भी उन्हें स्कूटर की सवारी करते देखा जा सकता है. दिसंबर 2012 में भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया था. अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, भाजपा ने 12 मेयर सीटों में से 10 और वोट प्रतिशत में वृद्धि करके नगर चुनावों में शानदार जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हीं के अध्यक्ष ही कार्यकाल में 73 सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाया था. जिनमें से 71 भाजपा की और 2 सहयोगी दल की थीं. 1980-87 के दौरान वे भाजपा मेरठ के जिला महासचिव थे. 1984-86 वे उत्तर प्रदेश में भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष थे. वह एक सक्रिय विधायक भी हैं और विधायी बहस में प्रमुखता से भाग लेते हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश विधान सभा की कई समितियों की सदस्यता प्राप्त थी.

डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल
राज्यसभा उम्मीदवारों में से गोरखपुर के डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल का नाम सबसे चर्चित है. कारण गोरखपुर के जिस सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्तमान में विधायक हैं. कभी इसी सीट से डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल विधायक हुआ करते थे. इनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 1998 से हुई थी और कहा जाता है कि राजनीतिक सफर की शुरुआत भी गोरखनाथ मठ से ही हुई थी. 2002 में हिंदू महासभा की टिकट से डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने चुनाव लड़ा और वह जीते भी, जिसके बाद 2007 से 2017 तक बीजेपी के टिकट से गोरखपुर सदर का चुनाव लड़ा और लगातार 4 बार विधायक भी रहे, लेकिन 2022 के चुनाव में गोरखपुर के उसी सदर सीट से खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ते हैं और भारी मतों से जीत हासिल करते हैं.

1998 में यही डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव संयोजक हुआ करते थे, लेकिन अब पार्टी डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल को राज्यसभा जा रहे हैं. राजनीति सफर से पहले अग्रवाल संघ के सदस्य थे. 1998 में डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने अपना राजनीतिक सफर गोरखपुर के गोरखनाथ मठ से शुरू किया, लेकिन डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल इससे पहले संघ के सदस्य हुआ करते थे और उनकी विचारधाराएं संघ से मिला करती थी. 2002 में जिस हिंदू महासभा से राधा मोहन दास ने गोरखपुर के सदर सीट से चुनाव लड़ा और जीता.

सुरेंद्र नागर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने कुछ समय पहले ही अखिलेश यादव को बड़ा झटका देते हुए राज्यसभा सांसद पद और समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. वे भाजपा में शामिल हुए. सुरेंद्र नागर अब तक 3 राजनीतिक दलों में रह चुके हैं. सबसे पहले वह राष्ट्रीय लोकदल में थे. उस दौरान उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की मुलायम सिंह सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय लोकदल के कोटे से MLC बनाया था. उन्हें सपा ज्वाइन कराने और पहली बार एमएलसी बनाने में नरेश अग्रवाल ने अहम भूमिका अदा की थी. हालांकि बाद में सुरेन्द्र नागर ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया. इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2009 के लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्ध नगर सीट से प्रत्याशी बनाया. उन्होंने मायावती की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा को को हरा दिया और पहली बार गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से सांसद बने. वह बसपा सरकार में मत्स्य विकास मंत्री भी थे.

दर्शना सिंह
महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष दर्शना सिंह को महिला मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया था. वह अब चंदौली जिले की मूल निवासी दर्शना सिंह का वाराणसी के डॉफी स्थित अशोक पुरम कॉलोनी में रहती हैं. 1996 में पूर्वांचल विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में मास्टर डिग्री (एमए) के साथ गोल्ड मेडल प्राप्त करने के बाद दर्शना सिंह ने उद्धघोषक के रूप में आकाशवाणी और दूरदर्शन इलाहाबाद में दो वर्षों तक कार्य किया. राजनैतिक जीवन की शुरुआत 2008 में की. सर्वप्रथम वर्ष 2011 में चंदौली जिले की महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनीं. वर्ष 2013 में महिला मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की सदस्य, वर्ष 2015 में भाजपा काशी क्षेत्र के मंत्री, वर्ष 2018 में महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनाई गईं.

मिथिलेश कुमार
शाहजहांपुर के अगौना बुजुर्ग गांव के रहने वाले मिथलेश कुमार पूर्व में पुवायां से निर्दलीय विधायक रहे थे. उस वक्त उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था. इसके बाद 2009 में वह सपा से लोकसभा सदस्य पद का चुनाव जीते. इसके बाद उन्होंने 2012 में अपनी पत्नी शंकुतला देवी को सपा से पुवायां का विधायक बनवाया. 2014 में मिथलेश कुमार सपा के टिकट से दोबारा लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन मोदी लहर में वह हार गए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी शंकुतला देवी को फिर से सपा ने पुवायां से टिकट दिया, लेकिन वह हार गईं. 2019 में सपा और बसपा का गठबंधन हो गया था. सीट बसपा के खाते में चली गई. तब हवा का रुख भांप कर मिथलेश कुमार ने भाजपा से लोकसभा का टिकट लेने के लिए दौड़ लगानी शुरू कर दी थी, लेकिन देर हो जाने के कारण वह टिकट हासिल करने में पीछे रह गए थे. भाजपा में आने के बाद से वह 2 साल से खाली थे, भाजपा ने अब उन्हें आयोग का उपाध्यक्ष मनोनीत किया.

बाबू राम निषाद
हमीरपुर के ललपुरा थाने के मोराकांदर गांव में पैदा हुए 52 वर्षीय बाबूराम निषाद अपने सरल स्वभाव को लेकर जाने जाते हैं. उन्होंने वर्ष 1989 में छात्र राजनीति से राजनीतिक सफर की शुरुआत की. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हमीरपुर से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समर्थन से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो सके. वर्ष 2007 में उमा भारती की भारतीय जन शक्ति पार्टी से सदर विधानसभा का चुनाव लड़ा. इसमे वह सफल नहीं हो सके. 1990 से भाजपा युवा मोर्चा में जुड़े बाबूराम भी उमाभारती की वापसी के साथ खुद भी भाजपा में फिर शामिल हो गए. वह 1998 में युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने. वर्ष 2014 में कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र से क्षेत्रीय अध्यक्ष रहते हुए नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की झांसी में आयोजित रैली का सफल संयोजन व संचालन किया. इसके बाद वह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष भी बने.

संगीता यादव
भाजपा विधायक संगीता यादव ने 10वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद से ही समाजसेवा शुरू कर दी. सबसे पहले झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाया. इसी बीच इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की और उच्च शिक्षा पूरी करने लगीं. 2009 और 2010 में आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा पास की. मुख्य परीक्षा भी दी लेकिन समाजसेवा से मोहभंग नहीं हुआ. एचआईवी पीड़ित बच्चों की सेवा में लगी रहीं. संगीता के इस काम में पति व इनकम टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर अजय कुमार, पिता राम प्रसाद यादव और मां उर्मिला देवी ने मदद की. इससे हौसला बढ़ा और वह 2013 में भाजपा में शामिल हो गईं. 2014 से सक्रिय राजनीतिक सफर की शुरूआत की और 2017 का विधानसभा चुनाव जीतकर 35 साल की उम्र में ही विधायक बन गईं.

के. लक्ष्मण
बीजेपी नेता के. लक्ष्मण 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में मुशीराबाद विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए. वर्ष 2016 में, उन्हें भाजपा ने तेलंगाना राज्य अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था. वह 2018 तक विधायक के रूप में मुशीराबाद विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और 2020 तक तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. एक छात्र के रूप में, वह उस्मानिया विश्वविद्यालय में एबीवीपी में शामिल हो गए और वर्ष 1980 में, वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. हालांकि सार्वजनिक सेवा के जुनून से प्रेरित इस विषय की मांग को देखते हुए उन्हें एक आकर्षक नौकरी में आने का अवसर मिला.

इसे भी पढे़ं- कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ निर्दलीय के रूप में किया नामांकन, सपा का समर्थन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जातिगत संयोजन से लेकर कार्यकर्ताओं के सम्मान तक का विशेष ध्यान रखा है. लंबे समय तक उपेक्षित रहे लक्ष्मीकांत बाजपेई और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी सीट देने के बाद खाली बैठे डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को भाजपा ने राज्यसभा का टिकट दिया है. इसके साथ ही तेलंगाना से के.लक्ष्मण और शाहजहांपुर के मिथिलेश कुमार को टिकट से नवाज कर भाजपा ने दलित कार्ड खेला है.

संगीता यादव और दर्शना सिंह के तौर पर न केवल ठाकुर और यादवों को खींचा गया है. बल्कि महिलाओं के बीच भी भाजपा ने पैठ बनाने का प्रयास किया है. जबकि बाबूराम निषाद को टिकट देकर निषादों के बीच भाजपा ने एक सकारात्मक संदेश दिया है.

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई अपनी ईमानदारी और संयमी जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं और अभी भी उन्हें स्कूटर की सवारी करते देखा जा सकता है. दिसंबर 2012 में भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया था. अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, भाजपा ने 12 मेयर सीटों में से 10 और वोट प्रतिशत में वृद्धि करके नगर चुनावों में शानदार जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हीं के अध्यक्ष ही कार्यकाल में 73 सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाया था. जिनमें से 71 भाजपा की और 2 सहयोगी दल की थीं. 1980-87 के दौरान वे भाजपा मेरठ के जिला महासचिव थे. 1984-86 वे उत्तर प्रदेश में भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष थे. वह एक सक्रिय विधायक भी हैं और विधायी बहस में प्रमुखता से भाग लेते हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश विधान सभा की कई समितियों की सदस्यता प्राप्त थी.

डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल
राज्यसभा उम्मीदवारों में से गोरखपुर के डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल का नाम सबसे चर्चित है. कारण गोरखपुर के जिस सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्तमान में विधायक हैं. कभी इसी सीट से डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल विधायक हुआ करते थे. इनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 1998 से हुई थी और कहा जाता है कि राजनीतिक सफर की शुरुआत भी गोरखनाथ मठ से ही हुई थी. 2002 में हिंदू महासभा की टिकट से डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने चुनाव लड़ा और वह जीते भी, जिसके बाद 2007 से 2017 तक बीजेपी के टिकट से गोरखपुर सदर का चुनाव लड़ा और लगातार 4 बार विधायक भी रहे, लेकिन 2022 के चुनाव में गोरखपुर के उसी सदर सीट से खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ते हैं और भारी मतों से जीत हासिल करते हैं.

1998 में यही डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव संयोजक हुआ करते थे, लेकिन अब पार्टी डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल को राज्यसभा जा रहे हैं. राजनीति सफर से पहले अग्रवाल संघ के सदस्य थे. 1998 में डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने अपना राजनीतिक सफर गोरखपुर के गोरखनाथ मठ से शुरू किया, लेकिन डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल इससे पहले संघ के सदस्य हुआ करते थे और उनकी विचारधाराएं संघ से मिला करती थी. 2002 में जिस हिंदू महासभा से राधा मोहन दास ने गोरखपुर के सदर सीट से चुनाव लड़ा और जीता.

सुरेंद्र नागर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने कुछ समय पहले ही अखिलेश यादव को बड़ा झटका देते हुए राज्यसभा सांसद पद और समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. वे भाजपा में शामिल हुए. सुरेंद्र नागर अब तक 3 राजनीतिक दलों में रह चुके हैं. सबसे पहले वह राष्ट्रीय लोकदल में थे. उस दौरान उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की मुलायम सिंह सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय लोकदल के कोटे से MLC बनाया था. उन्हें सपा ज्वाइन कराने और पहली बार एमएलसी बनाने में नरेश अग्रवाल ने अहम भूमिका अदा की थी. हालांकि बाद में सुरेन्द्र नागर ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया. इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2009 के लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्ध नगर सीट से प्रत्याशी बनाया. उन्होंने मायावती की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा को को हरा दिया और पहली बार गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से सांसद बने. वह बसपा सरकार में मत्स्य विकास मंत्री भी थे.

दर्शना सिंह
महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष दर्शना सिंह को महिला मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया था. वह अब चंदौली जिले की मूल निवासी दर्शना सिंह का वाराणसी के डॉफी स्थित अशोक पुरम कॉलोनी में रहती हैं. 1996 में पूर्वांचल विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में मास्टर डिग्री (एमए) के साथ गोल्ड मेडल प्राप्त करने के बाद दर्शना सिंह ने उद्धघोषक के रूप में आकाशवाणी और दूरदर्शन इलाहाबाद में दो वर्षों तक कार्य किया. राजनैतिक जीवन की शुरुआत 2008 में की. सर्वप्रथम वर्ष 2011 में चंदौली जिले की महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनीं. वर्ष 2013 में महिला मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की सदस्य, वर्ष 2015 में भाजपा काशी क्षेत्र के मंत्री, वर्ष 2018 में महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनाई गईं.

मिथिलेश कुमार
शाहजहांपुर के अगौना बुजुर्ग गांव के रहने वाले मिथलेश कुमार पूर्व में पुवायां से निर्दलीय विधायक रहे थे. उस वक्त उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था. इसके बाद 2009 में वह सपा से लोकसभा सदस्य पद का चुनाव जीते. इसके बाद उन्होंने 2012 में अपनी पत्नी शंकुतला देवी को सपा से पुवायां का विधायक बनवाया. 2014 में मिथलेश कुमार सपा के टिकट से दोबारा लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन मोदी लहर में वह हार गए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी शंकुतला देवी को फिर से सपा ने पुवायां से टिकट दिया, लेकिन वह हार गईं. 2019 में सपा और बसपा का गठबंधन हो गया था. सीट बसपा के खाते में चली गई. तब हवा का रुख भांप कर मिथलेश कुमार ने भाजपा से लोकसभा का टिकट लेने के लिए दौड़ लगानी शुरू कर दी थी, लेकिन देर हो जाने के कारण वह टिकट हासिल करने में पीछे रह गए थे. भाजपा में आने के बाद से वह 2 साल से खाली थे, भाजपा ने अब उन्हें आयोग का उपाध्यक्ष मनोनीत किया.

बाबू राम निषाद
हमीरपुर के ललपुरा थाने के मोराकांदर गांव में पैदा हुए 52 वर्षीय बाबूराम निषाद अपने सरल स्वभाव को लेकर जाने जाते हैं. उन्होंने वर्ष 1989 में छात्र राजनीति से राजनीतिक सफर की शुरुआत की. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हमीरपुर से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समर्थन से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो सके. वर्ष 2007 में उमा भारती की भारतीय जन शक्ति पार्टी से सदर विधानसभा का चुनाव लड़ा. इसमे वह सफल नहीं हो सके. 1990 से भाजपा युवा मोर्चा में जुड़े बाबूराम भी उमाभारती की वापसी के साथ खुद भी भाजपा में फिर शामिल हो गए. वह 1998 में युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने. वर्ष 2014 में कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र से क्षेत्रीय अध्यक्ष रहते हुए नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की झांसी में आयोजित रैली का सफल संयोजन व संचालन किया. इसके बाद वह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष भी बने.

संगीता यादव
भाजपा विधायक संगीता यादव ने 10वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद से ही समाजसेवा शुरू कर दी. सबसे पहले झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाया. इसी बीच इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की और उच्च शिक्षा पूरी करने लगीं. 2009 और 2010 में आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा पास की. मुख्य परीक्षा भी दी लेकिन समाजसेवा से मोहभंग नहीं हुआ. एचआईवी पीड़ित बच्चों की सेवा में लगी रहीं. संगीता के इस काम में पति व इनकम टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर अजय कुमार, पिता राम प्रसाद यादव और मां उर्मिला देवी ने मदद की. इससे हौसला बढ़ा और वह 2013 में भाजपा में शामिल हो गईं. 2014 से सक्रिय राजनीतिक सफर की शुरूआत की और 2017 का विधानसभा चुनाव जीतकर 35 साल की उम्र में ही विधायक बन गईं.

के. लक्ष्मण
बीजेपी नेता के. लक्ष्मण 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में मुशीराबाद विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए. वर्ष 2016 में, उन्हें भाजपा ने तेलंगाना राज्य अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था. वह 2018 तक विधायक के रूप में मुशीराबाद विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और 2020 तक तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. एक छात्र के रूप में, वह उस्मानिया विश्वविद्यालय में एबीवीपी में शामिल हो गए और वर्ष 1980 में, वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. हालांकि सार्वजनिक सेवा के जुनून से प्रेरित इस विषय की मांग को देखते हुए उन्हें एक आकर्षक नौकरी में आने का अवसर मिला.

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