लखनऊ: हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है. हिंदी पत्रकारिता के बारे में लखनऊ की आम जनता क्या सोचती है. उसके मन में हिंदी पत्रकारिता को लेकर किस तरह के विचार हैं. हिंदी पत्रकारिता में जनता को कितना विश्वास है, क्या हिंदी पत्रकारिता का स्तर दिन-ब-दिन घट रहा है. इसमें कैसे सुधार हो सकता है. इन सभी मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने शहर के युवाओं से उनकी राय जानी.
शहर के युवा बोले
हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर युवा सुजीत यादव कहते हैं कि एक समय हुआ करता था, जब हमारे घर पर न्यूज पेपर आया करता था और उसका बेसब्री से इंतजार हुआ करता था. सुबह पांच बजे जागकर हम लोग इंतजार करते थे. लेकिन अभी हाल फिलहाल में जो भी मामले हुए हैं, वह पत्रकारिता का स्तर नीचे गिरा रहे हैं.
हमारे संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ कहा गया है. लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए पत्रकारिता को बचाना बहुत ही आवश्यक है. इसके लिए ज्यादा से ज्यादा नए-नए चैनल और पोर्टल बन रहे हैं. इसलिए जितने ज्यादा पोर्टल बनेंगे, उतना ही यह क्षेत्र सुधरेगा.
युवा आशुतोष का कहना है कि मेरा यह मानना है कि लोगों तक सही खबर नहीं पहुंच पा रही है. हर इंसान ट्विटर, फेसबुक पर ही खबर देख रहा है और उसी को ट्रोल कर रहा है. वहीं जो मुख्य मुद्दा है, वह लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है.