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American Medical College Students in KGMU : यूपी के संक्रामक रोगों के कारणों का पता लगाएंगे अमेरिका के मेडिकल छात्र, केजीएमयू को होगा यह फायदा

विदेशी मेडिकल विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करने की दिशा में केजीएमयू लखनऊ (American Medical College students in KGMU) को एक और उपलब्धि मिली है. इस कड़ी में अमेरिका के मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स केजीएमयू में एक महीने तक डेंगू, मलेरिया, कुष्ठ रोग, रैबीज, हुकवर्म और ट्रिकोमा जैसी तमामबीमारियां के प्रकोप और निदान पर रिसर्च करेंगे. इस कार्य में केजीएमयू के छात्र और डाॅक्टर भी सहयोग करेंगे.

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Published : Jan 31, 2023, 10:51 AM IST

डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

लखनऊ : अमेरिका के मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स राजधानी स्थित केजीएमयू में एक महीने के लिए तमाम बीमारियों पर रिसर्च करेंगे. बल्कि उसके बेहतर ट्रीटमेंट के लिए अपनी फैकल्टी की मदद भी लेंगे. इसके लिए केजीएमयू इन स्टूडेंट्स के लिए मदद करेगा. इस अनूठे प्रयोग के लिए संस्थान ने कई विदेशी संस्थानों के साथ एमओयू साइन किया है. ऐसे में कई बीमारियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा. इससे न केवल मेडिकल स्टूडेंट्स को सीखने को मिलेगा. बल्कि मरीजों को बेहतर ट्रीटमेंट का लाभ भी मिलेगा.


केजीएमयू प्रशासन इंटरनेशनल एक्सपोजर के लिए लगातार काम कर रहा है, जिसमें इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम एक बड़ा कदम है. इसी को देखते हुए संस्थान इंटरनेशनल मेडिकल कॉलेजों से एमओयू साइन कर रहा है. केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक केजीएमयू ने विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर एमओयू लेटर साइन किए हैं. उनके अनुसार केजीएमयू के स्टूडेंट्स उन संस्थानों में जाएंगे और वहां के स्टूडेंट्स यहां आएंगे. इसके तहत 31 जनवरी को अमेरिका के मेडिकल स्टूडेंट्स का दल केजीएमयू आ रहा है. ये दल यहां पर पूरे एक महीने रुकेगा. इस दौरान उनका पूरा ख्याल संस्थान द्वारा रखा जाएगा और उनकी हर स्तर पर मदद करेगा.


प्रदेश में इस समय डेंगू, मलेरिया, कुष्ठ रोग, रैबीज, हुकवर्म और ट्रिकोमा जैसी तमाम तरह की बीमारियां का प्रकोप है, जो केवल अपने देश में ही होती हैं. इन बीमारियों से पीड़ित मरीज हर साल बड़ी संख्या में इलाज के लिए आते है. क्योंकि यह तेजी से फैलने वाली बीमारिया है. ऐसे में विदेश से आने वाला दल इन इन बीमारियों के बारे में न केवल विस्तार से जानकारी प्राप्त करेगा, बल्कि अपने टीचर्स के साथ मिलकर इसका समाधान खोजने की कोशिश भी करेगा. केजीएमयू का दल भी इसमें उनका सहयोग करेगा. इस तरह से विदेशी विद्यार्थियों को यहां की बीमारियों के बारे में पता चलेगा तथा हमारे छात्र भी उनसे काफी कुछ सीखेंगे. ऐसे में स्टूडेंट्स बीमारियों के बेहतर प्रबंधन के गुर सीख सकेंगे. इसके बाद केजीएमयू का दल भी इसी कार्यक्रम के तहत विदेश जाएगा, ताकि वे वहां से एडवांस चिकित्सीय गुर सीख सकें. साथ ही इंटरनेशनल एक्सपोजर भी मिलेगा.

केजीएमयू में एक और मरीज का सफल गुर्दा प्रत्यारोपण : बिहार स्थित औरंगाबाद निवासी राजन (35) को गुर्दे की गंभीर बीमारी थी. परिवारीजनों ने मरीज को कई अस्पतालों में दिखाया. इलाज से फायदा नहीं हुआ. तबीयत बिगड़ती चली गई, डायलिसिस शुरू हो गई. परिवारीजनों ने उसे केजीएमयू में दिखाया. नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह ने जांच के बाद गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह दी. पत्नी ने गुर्दा देने का फैसला किया था. डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि अब तक केजीएमयू में दो लाइव गुर्दा प्रत्यारोपण हुए हैं. दोनों ही प्रत्यारोपण सफल रहे. पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद, डॉ. उदय प्रताप सिंह और डॉ. तापस ने गुर्दा प्रत्यारोपण में सहयोग किया था. सोमवार को मरीज व डोनर दोनों की सेहत में सुधार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। समय-समय पर फालोअप पर दिखाने की सलाह दी गई है. डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि अब तीसरा गुर्दा प्रत्यारोपण जल्द होगा. इसके लिए कई मरीजों की स्क्रीनिंग व जांच की प्रक्रिया चल रही है. केजीएमयू में गुर्दा प्रत्यारोपण पर महज तीन लाख रुपये का खर्च आया. इसमें दवाएं और जांच का खर्च भी शामिल है. वहीं निजी संस्थान में इसका खर्च सात से आठ लाख रुपये तक आता है. कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने गुर्दा प्रत्यारोपण की सफलता पर बधाई दी है.

यह भी पढ़ें : Pitch Curator of Ekana Stadium Removed : खराब पिच की वजह से हटाए गए इकाना स्टेडियम के पिच क्यूरेटर, अब इनकी हुई नियुक्ति

डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

लखनऊ : अमेरिका के मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स राजधानी स्थित केजीएमयू में एक महीने के लिए तमाम बीमारियों पर रिसर्च करेंगे. बल्कि उसके बेहतर ट्रीटमेंट के लिए अपनी फैकल्टी की मदद भी लेंगे. इसके लिए केजीएमयू इन स्टूडेंट्स के लिए मदद करेगा. इस अनूठे प्रयोग के लिए संस्थान ने कई विदेशी संस्थानों के साथ एमओयू साइन किया है. ऐसे में कई बीमारियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा. इससे न केवल मेडिकल स्टूडेंट्स को सीखने को मिलेगा. बल्कि मरीजों को बेहतर ट्रीटमेंट का लाभ भी मिलेगा.


केजीएमयू प्रशासन इंटरनेशनल एक्सपोजर के लिए लगातार काम कर रहा है, जिसमें इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम एक बड़ा कदम है. इसी को देखते हुए संस्थान इंटरनेशनल मेडिकल कॉलेजों से एमओयू साइन कर रहा है. केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक केजीएमयू ने विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर एमओयू लेटर साइन किए हैं. उनके अनुसार केजीएमयू के स्टूडेंट्स उन संस्थानों में जाएंगे और वहां के स्टूडेंट्स यहां आएंगे. इसके तहत 31 जनवरी को अमेरिका के मेडिकल स्टूडेंट्स का दल केजीएमयू आ रहा है. ये दल यहां पर पूरे एक महीने रुकेगा. इस दौरान उनका पूरा ख्याल संस्थान द्वारा रखा जाएगा और उनकी हर स्तर पर मदद करेगा.


प्रदेश में इस समय डेंगू, मलेरिया, कुष्ठ रोग, रैबीज, हुकवर्म और ट्रिकोमा जैसी तमाम तरह की बीमारियां का प्रकोप है, जो केवल अपने देश में ही होती हैं. इन बीमारियों से पीड़ित मरीज हर साल बड़ी संख्या में इलाज के लिए आते है. क्योंकि यह तेजी से फैलने वाली बीमारिया है. ऐसे में विदेश से आने वाला दल इन इन बीमारियों के बारे में न केवल विस्तार से जानकारी प्राप्त करेगा, बल्कि अपने टीचर्स के साथ मिलकर इसका समाधान खोजने की कोशिश भी करेगा. केजीएमयू का दल भी इसमें उनका सहयोग करेगा. इस तरह से विदेशी विद्यार्थियों को यहां की बीमारियों के बारे में पता चलेगा तथा हमारे छात्र भी उनसे काफी कुछ सीखेंगे. ऐसे में स्टूडेंट्स बीमारियों के बेहतर प्रबंधन के गुर सीख सकेंगे. इसके बाद केजीएमयू का दल भी इसी कार्यक्रम के तहत विदेश जाएगा, ताकि वे वहां से एडवांस चिकित्सीय गुर सीख सकें. साथ ही इंटरनेशनल एक्सपोजर भी मिलेगा.

केजीएमयू में एक और मरीज का सफल गुर्दा प्रत्यारोपण : बिहार स्थित औरंगाबाद निवासी राजन (35) को गुर्दे की गंभीर बीमारी थी. परिवारीजनों ने मरीज को कई अस्पतालों में दिखाया. इलाज से फायदा नहीं हुआ. तबीयत बिगड़ती चली गई, डायलिसिस शुरू हो गई. परिवारीजनों ने उसे केजीएमयू में दिखाया. नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह ने जांच के बाद गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह दी. पत्नी ने गुर्दा देने का फैसला किया था. डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि अब तक केजीएमयू में दो लाइव गुर्दा प्रत्यारोपण हुए हैं. दोनों ही प्रत्यारोपण सफल रहे. पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद, डॉ. उदय प्रताप सिंह और डॉ. तापस ने गुर्दा प्रत्यारोपण में सहयोग किया था. सोमवार को मरीज व डोनर दोनों की सेहत में सुधार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। समय-समय पर फालोअप पर दिखाने की सलाह दी गई है. डॉ. विश्वजीत सिंह ने बताया कि अब तीसरा गुर्दा प्रत्यारोपण जल्द होगा. इसके लिए कई मरीजों की स्क्रीनिंग व जांच की प्रक्रिया चल रही है. केजीएमयू में गुर्दा प्रत्यारोपण पर महज तीन लाख रुपये का खर्च आया. इसमें दवाएं और जांच का खर्च भी शामिल है. वहीं निजी संस्थान में इसका खर्च सात से आठ लाख रुपये तक आता है. कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने गुर्दा प्रत्यारोपण की सफलता पर बधाई दी है.

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