लखनऊ : प्रदेश में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आरंभ हो चुका है. इसके तहत प्रदेश के चार शहरों लखनऊ, गोरखपुर, नोएडा और वाराणसी में विभिन्न खेल प्रतियोगियाओं का आयोजन किया जाएगा. गुरुवार को लखनऊ में शुरू हुए इन खेलों का समापन तीन जून को वाराणसी में होगा. खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई यह पहल बहुत ही सराहनीय है. इस तरह के खेलों से तमाम ऐसी प्रतिभाएं उभर कर सामने आ सकती हैं, जिन्हें अपना हुनर दिखाने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला.
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केंद्र और राज्य सरकारें खेलों में अपनी स्थिति सुधारने के लिए लगातार कोशिशें कर रही हैं. निश्चितरूप से इसके नतीजे एकाएक नहीं आ जाएंगे. इसमें थोड़ा वक्त लगेगा. सरकारी तंत्र को यह भी देखना होगा कि यह आयोजन महज रस्मी न रहे. खेलों को लेकर सतत काम करने की जरूरत है. यदि इस तरह की प्रतियोगियाएं और आयोजन गांव-गिरांव तक लेकर आएं तो निश्चितरूप से खेलों में भातर का भविष्य बेहतर हो सकता है. पेश से शिक्षक डॉ. प्रदीप यादव कहते हैं अभी तक इन खेलों की जो स्थिति है, वह बहुत उत्साह जनक नहीं है. ऐसे आयोजनों को सरकारी तंत्र ग्लैमराइज तो कर देती है, पर यह नहीं देखती कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को कैसे जोड़ा जा सके. लखनऊ में हो रही इस प्रतियोगिता का कोई आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय में नहीं किया जा रहा है. एक निजी विश्वविद्यालय, जहां एक खास वर्ग के विद्यार्थी आते हैं. ऐसे आयोजन होने से इसकी पहुंच सीमित ही रह जाएगी. सरकारी तंत्र को इस ओर ध्यान देना होगा. साथ ही इन खेलों की तैयारियां सालभर होनी चाहिए, ताकि पदक तालिका में प्रदेश की स्थिति में भी सुधार हो.
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