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महाकुंभ भगदड़ मामले में दाखिल याचिका निस्तारित; मौतों की भी जांच करेगा न्यायिक आयोग - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने जांच का दायरा बढ़ाए जाने की जानकारी दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट आदेश.
इलाहाबाद हाईकोर्ट आदेश. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 24, 2025, 7:40 PM IST

प्रयागराज: राज्य सरकार ने महाकुंभ भगदड़ की न्यायिक जांच का दायरा बढ़ाकर घटना में हुई मौतों एवं सम्पत्ति हानि को भी जांच के बिंदुओं में शामिल कर लिया है. राज्य सरकार की ओर से सोमवार को यह जानकारी दिए जाने पर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने भगदड़ की घटना को लेकर दाखिल जनहित याचिका निस्तारित कर दी.

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग को सीमित जांच करने को कहा गया है. उसमें जन-धन हानि को शामिल नहीं किया गया है, जबकि आयोग को घटना कैसे घटी और भविष्य में ऐसी घटना न घटे, इन बिंदुओं को भी जांच में शामिल करना चाहिए.

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने महाकुंभ में 28 जनवरी की आधी रात हुई भगदड़ की जांच न्यायिक निगरानी में करने और घटना के बाद लापता लोगों का सही ब्योरा देने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. पूछा था कि न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ाकर इसमें हताहतों की संख्या की पहचान करने और भगदड़ से संबंधित अन्य शिकायतों पर गौर करने को शामिल किया जा सकता है या नहीं? कोर्ट ने सरकार से इस संदर्भ में जानकारी मुहैया कराने को कहा था.

जनहित याचिका में कहा गया था कि आयोग के कार्यक्षेत्र में भगदड़ के अन्य प्रासंगिक विवरणों की जांच शामिल नहीं है. जनहित याचिका में महाकुंभ में भगदड़ के बाद लापता हुए व्यक्तियों का विवरण एकत्र करने के लिए न्यायिक निगरानी समिति के गठन की मांग की गई. सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने कहा था कि कई मीडिया पोर्टल ने राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई मौतों (30) की संख्या पर विवाद है.

एडवोकेट सौरभ पांडेय ने विभिन्न समाचार पत्रों और पीयूसीएल की एक प्रेस विज्ञप्ति का भी हवाला देते हुए कहा था कि मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है. उन्हें मृतकों का बिना पोस्टमार्टम 15,000 रुपये देकर यह आश्वासन दिया गया है कि मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाएगा, लेकिन लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. जबकि राज्य का कर्तव्य लोगों की मदद करना है.

अधिवक्ता ने बताया था कि उनके पास एम्बुलेंस चलाने वालों के वीडियो हैं, जिन्होंने बताया है कि वे कितने लोगों को अस्पताल ले गए थे. कहा कि आधिकारिक बयानों में सेक्टर 21 और महाकुम्भ मेला के आसपास के अन्य इलाकों में हुई भगदड़ का उल्लेख नहीं किया गया है. इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जनहित याचिका में की गई सभी प्रार्थनाओं पर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग विचार कर रहा है.

यह भी पढ़ें : शिक्षा के अधिकार का हनन, हाईकोर्ट ने कहा- लापरवाह अफसरों के खिलाफ क्यों न हो कार्रवाई - ALLAHABAD HIGH COURT

प्रयागराज: राज्य सरकार ने महाकुंभ भगदड़ की न्यायिक जांच का दायरा बढ़ाकर घटना में हुई मौतों एवं सम्पत्ति हानि को भी जांच के बिंदुओं में शामिल कर लिया है. राज्य सरकार की ओर से सोमवार को यह जानकारी दिए जाने पर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने भगदड़ की घटना को लेकर दाखिल जनहित याचिका निस्तारित कर दी.

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग को सीमित जांच करने को कहा गया है. उसमें जन-धन हानि को शामिल नहीं किया गया है, जबकि आयोग को घटना कैसे घटी और भविष्य में ऐसी घटना न घटे, इन बिंदुओं को भी जांच में शामिल करना चाहिए.

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने महाकुंभ में 28 जनवरी की आधी रात हुई भगदड़ की जांच न्यायिक निगरानी में करने और घटना के बाद लापता लोगों का सही ब्योरा देने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. पूछा था कि न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ाकर इसमें हताहतों की संख्या की पहचान करने और भगदड़ से संबंधित अन्य शिकायतों पर गौर करने को शामिल किया जा सकता है या नहीं? कोर्ट ने सरकार से इस संदर्भ में जानकारी मुहैया कराने को कहा था.

जनहित याचिका में कहा गया था कि आयोग के कार्यक्षेत्र में भगदड़ के अन्य प्रासंगिक विवरणों की जांच शामिल नहीं है. जनहित याचिका में महाकुंभ में भगदड़ के बाद लापता हुए व्यक्तियों का विवरण एकत्र करने के लिए न्यायिक निगरानी समिति के गठन की मांग की गई. सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने कहा था कि कई मीडिया पोर्टल ने राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई मौतों (30) की संख्या पर विवाद है.

एडवोकेट सौरभ पांडेय ने विभिन्न समाचार पत्रों और पीयूसीएल की एक प्रेस विज्ञप्ति का भी हवाला देते हुए कहा था कि मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है. उन्हें मृतकों का बिना पोस्टमार्टम 15,000 रुपये देकर यह आश्वासन दिया गया है कि मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाएगा, लेकिन लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. जबकि राज्य का कर्तव्य लोगों की मदद करना है.

अधिवक्ता ने बताया था कि उनके पास एम्बुलेंस चलाने वालों के वीडियो हैं, जिन्होंने बताया है कि वे कितने लोगों को अस्पताल ले गए थे. कहा कि आधिकारिक बयानों में सेक्टर 21 और महाकुम्भ मेला के आसपास के अन्य इलाकों में हुई भगदड़ का उल्लेख नहीं किया गया है. इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जनहित याचिका में की गई सभी प्रार्थनाओं पर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग विचार कर रहा है.

यह भी पढ़ें : शिक्षा के अधिकार का हनन, हाईकोर्ट ने कहा- लापरवाह अफसरों के खिलाफ क्यों न हो कार्रवाई - ALLAHABAD HIGH COURT

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