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लखनऊ: प्रदेश में पहले स्थान पर रहीं केजीएमयू की टेलीमेडिसिन सेवाएं - नेशनल टेलीकंसल्टेशन सर्विस

राजधानी लखनऊ स्थित केजीएमयू कोरोना काल के दौरान टेलीमेडिसिन सेवाएं देने के मामले में पहले स्थान पर रहा है. केजीएमयू में कोरोना काल में टेलीमेडिसिन से पचास हजार से भी अधिक लोगों को परामर्श दिया जा चुका है.

केजीएमयू की टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदेश में पहले स्थान पर
केजीएमयू की टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदेश में पहले स्थान पर
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Published : Aug 20, 2020, 3:32 PM IST

लखनऊ: कोरोनावायरस संक्रमण के डर से अस्पतालों की ओपीडी बंद कर दी गई थी. वहीं चिकित्सा संस्थानों ने टेलीमेडिसिन और ई-ओपीडी के सहयोग से मरीजों से संपर्क बनाए रखा और उनकी सहायता की. कोरोना काल में टेलीमेडिसिन से सबसे अधिक मरीजों को इलाज मुहैया करवाने में केजीएमयू अव्वल रहा है. केजीएमयू की टेली मेडिसन सेवाओं को उत्तर प्रदेश की विभिन्न सरकारी चिकित्सा संस्थानों के बीच पहला स्थान मिला है. केजीएमयू में कोरोना काल में टेलीमेडिसिन के तहत पचास हजार से अधिक लोगों को परामर्श दिया जा चुका है.

कोविड-19 के दौरान अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कम करने और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सभी तरह की ओपीडी और परामर्श पर रोक लगा दी गई थी. समय के साथ इस कंसल्टेशन को ऑनलाइन और टेली मेडिसिन से देने की मंजूरी दी गई. 'ई संजीवनी प्रॉजेक्ट' के तहत चलाए जा रहे केजीएमयू के इस टेलीमेडिसिन यूनिट प्रदेश भर में पहला स्थान दिया गया है.

केजीएमयू में टेलीमेडिसिन सुविधाओं के कई प्रारूप चलाए जा रहे हैं. इसमें ई-संजीवनी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही नेशनल टेलीकंसल्टेशन सर्विस और टेलिफोनिक कम्युनिकेशन के द्वारा चलाया जा रहा हेल्थ रडार सिस्टम आदि शामिल हैं. टेलीमेडिसिन यूनिट की नोडल इंचार्ज डॉ शीतल वर्मा के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान टेलीमेडिसिन सुविधाओं के द्वारा 50 हजार से भी अधिक लोगों को परामर्श दिया गया है. यह प्रदेश में अब तक की सबसे ज्यादा संख्या है. इसके अलावा लगभग सात हजार व्यक्तियों को टेलीमेडिसिन सुविधा के जरिए मनोवैज्ञानिक परामर्श भी दिया गया है. इस परामर्श में लॉकडाउन के दौरान होने वाले तनाव, नकारात्मकता खत्म करने और आपसी सामंजस्य में कमी को दूर करने की चिकित्सकीय सलाह शामिल थी.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे नेशनल हेल्थ मिशन के तहत चलने वाली आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में 'ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सुविधा' का इस्तेमाल किया जाता है. इस सुविधा के तहत मरीज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने डॉक्टर से बात कर सकता है और उनसे परामर्श ले सकता है. केजीएमयू में चलने वाली टेलीमेडिसिन सेवा देने वालों मेंं डॉक्टर अभिमन्यु ओझा, डॉक्टर धीरज शर्मा, डॉक्टर सानिया रउफ, डॉक्टर प्रिया सिंह और डॉक्टर अहलम काज़िम शामिल रहे. इस सुविधा में मरीजों को स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों द्वारा भी परामर्श मिले.

केजीएमयू द्वारा लखनऊ की डिस्ट्रिक्ट जेल में भी टेलीमेडिसिन सुविधाएं दी जा रही हैं. इसके अलावा गोरखपुर के आसपास के साथ ऐसे जिलों में भी यह सुविधाएं जारी हैं, जहां जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीजों की अधिकता है. विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार केजीएमयू की यह टेलीमेडिसिन सुविधाएं बरेली और कानपुर जेल में भी जल्द ही शुरू होने वाली हैं.

लखनऊ: कोरोनावायरस संक्रमण के डर से अस्पतालों की ओपीडी बंद कर दी गई थी. वहीं चिकित्सा संस्थानों ने टेलीमेडिसिन और ई-ओपीडी के सहयोग से मरीजों से संपर्क बनाए रखा और उनकी सहायता की. कोरोना काल में टेलीमेडिसिन से सबसे अधिक मरीजों को इलाज मुहैया करवाने में केजीएमयू अव्वल रहा है. केजीएमयू की टेली मेडिसन सेवाओं को उत्तर प्रदेश की विभिन्न सरकारी चिकित्सा संस्थानों के बीच पहला स्थान मिला है. केजीएमयू में कोरोना काल में टेलीमेडिसिन के तहत पचास हजार से अधिक लोगों को परामर्श दिया जा चुका है.

कोविड-19 के दौरान अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कम करने और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सभी तरह की ओपीडी और परामर्श पर रोक लगा दी गई थी. समय के साथ इस कंसल्टेशन को ऑनलाइन और टेली मेडिसिन से देने की मंजूरी दी गई. 'ई संजीवनी प्रॉजेक्ट' के तहत चलाए जा रहे केजीएमयू के इस टेलीमेडिसिन यूनिट प्रदेश भर में पहला स्थान दिया गया है.

केजीएमयू में टेलीमेडिसिन सुविधाओं के कई प्रारूप चलाए जा रहे हैं. इसमें ई-संजीवनी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही नेशनल टेलीकंसल्टेशन सर्विस और टेलिफोनिक कम्युनिकेशन के द्वारा चलाया जा रहा हेल्थ रडार सिस्टम आदि शामिल हैं. टेलीमेडिसिन यूनिट की नोडल इंचार्ज डॉ शीतल वर्मा के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान टेलीमेडिसिन सुविधाओं के द्वारा 50 हजार से भी अधिक लोगों को परामर्श दिया गया है. यह प्रदेश में अब तक की सबसे ज्यादा संख्या है. इसके अलावा लगभग सात हजार व्यक्तियों को टेलीमेडिसिन सुविधा के जरिए मनोवैज्ञानिक परामर्श भी दिया गया है. इस परामर्श में लॉकडाउन के दौरान होने वाले तनाव, नकारात्मकता खत्म करने और आपसी सामंजस्य में कमी को दूर करने की चिकित्सकीय सलाह शामिल थी.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे नेशनल हेल्थ मिशन के तहत चलने वाली आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में 'ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सुविधा' का इस्तेमाल किया जाता है. इस सुविधा के तहत मरीज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने डॉक्टर से बात कर सकता है और उनसे परामर्श ले सकता है. केजीएमयू में चलने वाली टेलीमेडिसिन सेवा देने वालों मेंं डॉक्टर अभिमन्यु ओझा, डॉक्टर धीरज शर्मा, डॉक्टर सानिया रउफ, डॉक्टर प्रिया सिंह और डॉक्टर अहलम काज़िम शामिल रहे. इस सुविधा में मरीजों को स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों द्वारा भी परामर्श मिले.

केजीएमयू द्वारा लखनऊ की डिस्ट्रिक्ट जेल में भी टेलीमेडिसिन सुविधाएं दी जा रही हैं. इसके अलावा गोरखपुर के आसपास के साथ ऐसे जिलों में भी यह सुविधाएं जारी हैं, जहां जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीजों की अधिकता है. विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार केजीएमयू की यह टेलीमेडिसिन सुविधाएं बरेली और कानपुर जेल में भी जल्द ही शुरू होने वाली हैं.

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