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केजीएमयू स्टडी रिपोर्ट: 90 फीसद डॉक्टर-स्टाफ में मिली कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी - कोरोना संक्रमण के चार माह बाद नहीं मिली एंटीबॉडी

केजीएमयू में वैक्सीन डोज लेने वालों पर चल रही स्टडी की फाइनल रिपोर्ट जारी हो गई है. इसमें 90 फीसद स्टाफ में एंटीबॉडी मिली. वहीं कोरोना पॉजिटिव मरीज में चार माह बाद एंटीबॉडी गायब मिली.

केजीएमयू
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Published : Jul 26, 2021, 9:03 PM IST

लखनऊ : एंटीबॉडी को लेकर केजीएमयू में चल रही स्टडी की जांच रिपोर्ट आ गई है. केजीएमयू में वैक्सीन की डोज लेने वाले और कोरोना के बाद कितने दिन तक एंटीबॉडी रहती है, इसको लेकर स्टडी चल रही थी. अब इसकी फाइनल रिपोर्ट जारी हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार 90 फीसद डॉक्टर-स्टाफ में एंटीबॉडी मिली. वहीं कोरोना पॉजिटिव मरीज में चार माह बाद एंटीबॉडी गायब मिली.

केजीएमयू स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन लगवा चुके डॉक्टर, कर्मचारियों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई हैं. ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ तूलिका चंद्रा के मुताबिक करीब डेढ़ माह से स्टडी चल रही थी. इसके लिए 2000 डॉक्टर-कर्मियों के खून के नमूने लिए गए. 90 फीसद में एंटीबॉडी पाई गईं. इसमें 68 फीसदी लोग वैक्सीन की डबल डोज ले चुके थे. वहीं 11 फीसद ने अभी तक वैक्सीन की सिंगल डोज ही ली थी. इसके अलावा 11 फीसदी ने अभी तक वैक्सीन नहीं ली थी. इनमें कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एंटीबॉडी पाई गईं. वहीं पॉजिटिव की जानकारी न होने पर भी कई संक्रमण की चपेट में आ चुके थे. इनसे सात फीसद स्टाफ में एंटीबॉडी पाई गई है. वहीं 10 फीसद लोगों में एंटीबॉडी विकसित नहीं पाई गईं. इसमें पांच फीसद वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे. तीन फीसद ने चिकित्सीय कारणों से वैक्सीन नहीं लगवाई थी. इनके रक्त नमूने लेकर जांच की गई, इनमें एंटीबॉडी नहीं पाई गईं.

90 फीसद स्टाफ में मिली एंटीबॉडी
90 फीसद स्टाफ में मिली एंटीबॉडी

वैक्सीन ले चुके 41 फीसद को नहीं हुआ कोविड

कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेना आवश्यक है. यह वायरस से सुरक्षा मुहैया कराती है. वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले 41 फीसदी स्टाफ वायरस की चपेट में नहीं आया. वहीं 26 फीसदी ने वैक्सीन की दोनों खुराक ली, फिर भी संक्रमित हुए. मगर इनकी हालत गंभीर नहीं हुई.

कोरोना संक्रमण के चार माह बाद नहीं मिली एंटीबॉडी

डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव होने के बाद लंबे वक्त तक एंटीबॉडी नहीं चलती. स्टडी में देखा गया कि चार माह पहले संक्रमित हो चुके लोगों में एंटीबॉडी गायब थीं. वहीं वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों में एंटीबॉडी लंबे समय तक शरीर में बनी रहती हैं.

लखनऊ : एंटीबॉडी को लेकर केजीएमयू में चल रही स्टडी की जांच रिपोर्ट आ गई है. केजीएमयू में वैक्सीन की डोज लेने वाले और कोरोना के बाद कितने दिन तक एंटीबॉडी रहती है, इसको लेकर स्टडी चल रही थी. अब इसकी फाइनल रिपोर्ट जारी हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार 90 फीसद डॉक्टर-स्टाफ में एंटीबॉडी मिली. वहीं कोरोना पॉजिटिव मरीज में चार माह बाद एंटीबॉडी गायब मिली.

केजीएमयू स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन लगवा चुके डॉक्टर, कर्मचारियों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई हैं. ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ तूलिका चंद्रा के मुताबिक करीब डेढ़ माह से स्टडी चल रही थी. इसके लिए 2000 डॉक्टर-कर्मियों के खून के नमूने लिए गए. 90 फीसद में एंटीबॉडी पाई गईं. इसमें 68 फीसदी लोग वैक्सीन की डबल डोज ले चुके थे. वहीं 11 फीसद ने अभी तक वैक्सीन की सिंगल डोज ही ली थी. इसके अलावा 11 फीसदी ने अभी तक वैक्सीन नहीं ली थी. इनमें कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एंटीबॉडी पाई गईं. वहीं पॉजिटिव की जानकारी न होने पर भी कई संक्रमण की चपेट में आ चुके थे. इनसे सात फीसद स्टाफ में एंटीबॉडी पाई गई है. वहीं 10 फीसद लोगों में एंटीबॉडी विकसित नहीं पाई गईं. इसमें पांच फीसद वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे. तीन फीसद ने चिकित्सीय कारणों से वैक्सीन नहीं लगवाई थी. इनके रक्त नमूने लेकर जांच की गई, इनमें एंटीबॉडी नहीं पाई गईं.

90 फीसद स्टाफ में मिली एंटीबॉडी
90 फीसद स्टाफ में मिली एंटीबॉडी

वैक्सीन ले चुके 41 फीसद को नहीं हुआ कोविड

कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेना आवश्यक है. यह वायरस से सुरक्षा मुहैया कराती है. वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले 41 फीसदी स्टाफ वायरस की चपेट में नहीं आया. वहीं 26 फीसदी ने वैक्सीन की दोनों खुराक ली, फिर भी संक्रमित हुए. मगर इनकी हालत गंभीर नहीं हुई.

कोरोना संक्रमण के चार माह बाद नहीं मिली एंटीबॉडी

डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव होने के बाद लंबे वक्त तक एंटीबॉडी नहीं चलती. स्टडी में देखा गया कि चार माह पहले संक्रमित हो चुके लोगों में एंटीबॉडी गायब थीं. वहीं वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों में एंटीबॉडी लंबे समय तक शरीर में बनी रहती हैं.

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