लखनऊ: जिले में केजीएमयू प्रशासन एक बार फिर से अपने ही जवाबों में फंसता नजर आ रहा है. बीते दिनों केजीएमयू प्रशासन की तरफ से बौद्धिक संपदा अधिकार एवं नियम के मामले को ध्यान में रखते हुए केजीएमयू में तैनात प्रोफेसर को बर्खास्त किया गया था, लेकिन अब इसी पर विधायक द्वारा इस नियम के बारे में जानकारी मांगी गई तो केजीएमयू प्रशासन की तरफ से इस नियम के लागू नहीं होने की बात कही गई है.
विधायक सीताराम वर्मा ने मांगी थी जानकारी
विधायक सीताराम वर्मा द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार एवं नियम की केजीएमयू प्रशासन से जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में केजीएमयू द्वारा इस नियम के केजीएमयू में लागू नहीं होने की बात कही गई. इसी जानकारी को लेकर के केजीएमयू द्वारा पूर्व में जब जानकारी नहीं दी गई तो विधायक सीताराम वर्मा द्वारा सीएम से शिकायत भी की गई थी. इसके बाद शासन से निर्देश मिलने के बाद केजीएमयू प्रशासन ने जवाब दिया है. इसमें बताया गया है कि केजीएमयू में अभी तक बौद्धिक संपदा कानून लागू ही नहीं है इससे साफ है कि यहां के प्रोफेसरों को किताबें लिखने की छूट है. किताब लिखने और अन्य कॉपीराइट से जुड़े मामलों में अभी तक कार्य परिषद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. साथ ही केजीएमयू में 44 लोगों द्वारा किताबें लिखने की बात भी सामने आई है. ऐसे में केजीएमयू के कुलसचिव, कुलपति और वर्तमान के तमाम अधिकारी एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं.
बर्खास्त प्रोफेसर ने कहा 'मेरे साथ अन्याय क्यों'
बौद्धिक संपदा विकास कानून के तहत बीते दिनों प्रोफ़ेसर वाखलू को केजीएमयू से बर्खास्त कर दिया गया था. ऐसे में केजीएमयू प्रशासन द्वारा अब इस नियम के लागू नहीं होने के बात की गई है, जिसके बाद अब प्रोफेसर वाखलू का केजीएमयू प्रशासन के इस जवाब पर कहना है कि यदि बाकी अन्य प्रोफेसर ने भी इस नियम का उल्लंघन किया है तो सिर्फ यह अन्याय मेरे साथ ही क्यों हुआ इसको लेकर के वे कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे.