लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी को उत्तर प्रदेश के कोरोना सैंपल की टेस्टिंग के लिए नोडल इंस्टिट्यूट के रूप में स्थापित किया गया है. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 4000 मरीज आते हैं. इन मरीजों में 30 से 40 फिसदी मरीज फॉलोअप के लिए आते हैं. ओपीडी के अलावा कई अन्य लोग केजीएमयू में भर्ती मरीजों को देखने के लिए भी आते हैं. ऐसे में केजीएमयू प्रशासन ने मरीजों के प्रति सावधानी बरतने के लिए उन्हें लगातार निर्देशित कर रही है.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी के अनुसार, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी को उत्तर प्रदेश के लिए नोडल इंस्टिट्यूट या नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है. संस्थान में कोरोना के सैंपल लगातार आ रहे हैं. यहां पर पहले स्तर की स्क्रीनिंग के साथ कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि तक की जांच की जाती है.
ऐसे में सावधानी बरतने के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ओपीडी में आ रही मरीजों को ट्रांसलेट होल्डिंग्स बोर्ड पर अनाउंसमेंट के जरिए कोरोना वायरस के प्रति सावधानी और दिशा-निर्देशों के बारे में बताया जा रहा है. इसके अलावा मरीज अपने डॉक्टर से भी फोन पर अपनी बीमारी के बारे में बातचीत कर सकते हैं.
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कुलसचिव के अनुसार, बोर्ड ऑफ मेंबर्स की मीटिंग में एक नई तरकीब भी मरीजों के लिए निकाली गई है जो मरी केजीएमयू में मरीज फॉलोअप के लिए आते हैं या जिनके पास कोई इमरजेंसी नहीं है उनके लिए हमने मोबाइल पर संदेश भेजने का माध्यम चुना है. इस संदेश के जरिए हम उनसे अपील करेंगे कि वह इमरजेंसी सेवा के अतिरिक्त अगले कुछ दिनों तक केजीएमयू आने से परहेज करें.
कुलसचिव कहते हैं कि मोबाइल पर संदेश के मिलने से उन्हें न केवल सहूलियत होगी बल्कि दूरदराज से आने वाले मरीजों के लिए यह एक अच्छा विकल्प भी हो सकता है. इसके अलावा उन्हें इमरजेंसी सेवा के तहत एक हेल्पलाइन नंबर भी भेजी जाएगी ताकि वह फोन पर भी बातचीत कर परामर्श ले सकें.