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केरल के राज्यपाल ने फतवा जारी करने वालों पर साधा निशाना

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Published : Dec 13, 2021, 7:49 PM IST

लखनऊ में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan ) ने सोमवार को फतवा जारी करने वालों पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने दर्सगाहों में दी जाने वाली तालीम पर भी सवाल खड़े किए.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

लखनऊ: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan ) ने सोमवार को फतवा जारी करने वालों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि फतवा जारी करने वाले खुद वह काम नहीं करते, दूसरों से करवाते हैं. हम पढ़े नहीं है इसलिए जो तारीखी शऊर पैदा होना चाहिए था वह है ही नहीं.

उन्होंने कहा कि एक ही चीज जो जानवर और इंसान में फर्क करती है वह इंसान का तारीखी शऊर होता है. इसके बिना वह इंसान कहलाने का हकदार नहीं है. तारीखी शऊर जब होता है, वह इंसान पुरानी गलतियों को दोहराता नहीं है. उनसे सबक लेता है.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सोमवार को लखनऊ के कैफी आजमी अकादमी (Kaifi Azmi Academy) में पद्मभूषण डॉक्टर कल्बे सादिक (Padma Bhushan Dr Kalbe Sadiq) की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने दर्सगाहों में दी जाने वाली तालीम पर भी सवाल खड़े किए.

उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा कर दे तो हमें कानून हाथ में लेने का हक है और हम उसकी गर्दन काट सकते हैं. यह सब कहां पढ़ाया जाता है, यह सबको पता है. उन्होंने पाकिस्तान की एक लेखक का जिक्र करते हुए कहा कि इस लेखक ने कहा है कि आतंकवाद तब तक खत्म नहीं हो सकता, जब तक दर्सगाहों में यह पढ़ाया जाना बंद नहीं होगा.

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने डॉक्टर कल्बे सादिक का जिक्र करते हुए कहा कि वह हमेशा से शिक्षा के पक्षधर रहे. शिक्षा से ही बदलाव लाया जा सकता है. उनकी किताबों में इसका जिक्र आपको साफ तौर पर मिलेगा.

'पद्मभूषण स्वर्गीय डॉ. कल्बे सादिक को लोगों ने फखे मिल्लत, अलमदारे इत्तेहाद और न जाने कितने खिताब दिये. डॉ. कल्बे सादिक को फखे मिल्लत कहना इंसाफ नहीं है. वे फखे हिन्दुस्तान हैं. डॉ. कल्बे सादिक को सच्ची श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में फूल और गुलदस्ता देने के बजाए कलम और नोटबुक देकर दी जा सकती है.

इसे भी पढ़ेः केरल के राज्यपाल आरिफ खान बोले- जिन्ना के दादा मुसलमान नहीं थे, भारत ऋषि-मुनियों का देश

मुख्य अतिथि आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कुरान में इल्म हासिल करने का जरिया कलम बताया गया है तो जिस चीज को याद करना है उसे रटने के बजाए लिख लें. उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में अगर डॉ. कल्बे सादिक की बात मानी जाती तो मुल्क में अमन-चैन बना रहता.

इसी तरह 1986 में तीन तलाक जो शरीयत थी, 2017 में उसे बिदअत बता खुद बदलने को तैयार हो गये. डॉ. सादिक इल्म पर बहुत जोर देते थे. उन्हें पढ़िये, सुनिये और समझ कर उसका फायदा उठाइये तो हमारी जिंदगी न सिर्फ आसान होगी बल्कि राहें हमवार होंगी.

सर सैय्यद अहमद खां बड़े आलिम थे, लेकिन हम उनसे फायदा न उठा सके. आज तक उनकी तहरीर और तकरीरें नहीं छपीं. सर सैय्यद की तहरीर और तकरीर को छाप कर लोगों को मुहैया कराएं ताकि लोगों को पता चले कि सर सैय्यद क्या थे ?

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर प्रोफेसर शारिब रुदौलवी ने की. इस दौरान शिक्षा के साथ विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए मुस्लिम समाज के लोगों को सम्मानित किया गया.

- चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एरा यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डॉ. फरजाना मेहंदी (Dr. Farzana Mehndi) को पुरस्कार दिया गया.

- आधुनिक के साथ अच्छी शिक्षा के लिए शिया पीजी कॉलेज को डॉक्टर कल्बे सादिक अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस इन फील्ड ऑफ मॉडर्न एजुकेशन से सम्मानित किया गया.

- इनके साथ ही, महिला सशक्तीकरण के लिए तकदीस फातिमा, समाजसेवा के लिए अमरोहा के आलम लतीफ और साहित्यिक सेवाओं के लिए फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी को सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम में यूनिटी कॉलेज के छात्रों के गीता-कुरान, बाइबिल और गुरुग्रंथ साहिब के पाठ की. सभी ने खुलकर सराहना की. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. शारिब रुदौलवी ने कहा कि जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं, हमेशा जिन्दा रहते हैं.

डॉ. सादिक ने जो काम दूसरों के लिए किए, वह सबको पता है. उन्होंने कई संस्थाएं बनाईं, जिनसे आज हजारों की संख्या में लोग फायदा उठा रहे हैं. यूनिटी कॉलेज, आईटीआई, जैनुलआब्दीन हॉस्पिटल और एरा हॉस्पिटल में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है. कार्यक्रम को मौलाना यासूब अब्बास, मौलाना डॉ. कल्बे सिब्तैन नूरी सहित अन्य ने भी सम्बोधित किया. इस कार्यक्रम का संचालन अतहर काजमी ने किया. इससे पूर्व कार्यक्रम का आगाज यूनिटी कॉलेज के छात्र फारिस अब्बास ने तिलावते कलामे पाक, मजीदा रिजवी ने बाइबिल और अनमता फातिमा ने गीता के श्लोक पढ़ कर किया.

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लखनऊ: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan ) ने सोमवार को फतवा जारी करने वालों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि फतवा जारी करने वाले खुद वह काम नहीं करते, दूसरों से करवाते हैं. हम पढ़े नहीं है इसलिए जो तारीखी शऊर पैदा होना चाहिए था वह है ही नहीं.

उन्होंने कहा कि एक ही चीज जो जानवर और इंसान में फर्क करती है वह इंसान का तारीखी शऊर होता है. इसके बिना वह इंसान कहलाने का हकदार नहीं है. तारीखी शऊर जब होता है, वह इंसान पुरानी गलतियों को दोहराता नहीं है. उनसे सबक लेता है.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सोमवार को लखनऊ के कैफी आजमी अकादमी (Kaifi Azmi Academy) में पद्मभूषण डॉक्टर कल्बे सादिक (Padma Bhushan Dr Kalbe Sadiq) की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने दर्सगाहों में दी जाने वाली तालीम पर भी सवाल खड़े किए.

उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा कर दे तो हमें कानून हाथ में लेने का हक है और हम उसकी गर्दन काट सकते हैं. यह सब कहां पढ़ाया जाता है, यह सबको पता है. उन्होंने पाकिस्तान की एक लेखक का जिक्र करते हुए कहा कि इस लेखक ने कहा है कि आतंकवाद तब तक खत्म नहीं हो सकता, जब तक दर्सगाहों में यह पढ़ाया जाना बंद नहीं होगा.

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने डॉक्टर कल्बे सादिक का जिक्र करते हुए कहा कि वह हमेशा से शिक्षा के पक्षधर रहे. शिक्षा से ही बदलाव लाया जा सकता है. उनकी किताबों में इसका जिक्र आपको साफ तौर पर मिलेगा.

'पद्मभूषण स्वर्गीय डॉ. कल्बे सादिक को लोगों ने फखे मिल्लत, अलमदारे इत्तेहाद और न जाने कितने खिताब दिये. डॉ. कल्बे सादिक को फखे मिल्लत कहना इंसाफ नहीं है. वे फखे हिन्दुस्तान हैं. डॉ. कल्बे सादिक को सच्ची श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में फूल और गुलदस्ता देने के बजाए कलम और नोटबुक देकर दी जा सकती है.

इसे भी पढ़ेः केरल के राज्यपाल आरिफ खान बोले- जिन्ना के दादा मुसलमान नहीं थे, भारत ऋषि-मुनियों का देश

मुख्य अतिथि आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कुरान में इल्म हासिल करने का जरिया कलम बताया गया है तो जिस चीज को याद करना है उसे रटने के बजाए लिख लें. उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में अगर डॉ. कल्बे सादिक की बात मानी जाती तो मुल्क में अमन-चैन बना रहता.

इसी तरह 1986 में तीन तलाक जो शरीयत थी, 2017 में उसे बिदअत बता खुद बदलने को तैयार हो गये. डॉ. सादिक इल्म पर बहुत जोर देते थे. उन्हें पढ़िये, सुनिये और समझ कर उसका फायदा उठाइये तो हमारी जिंदगी न सिर्फ आसान होगी बल्कि राहें हमवार होंगी.

सर सैय्यद अहमद खां बड़े आलिम थे, लेकिन हम उनसे फायदा न उठा सके. आज तक उनकी तहरीर और तकरीरें नहीं छपीं. सर सैय्यद की तहरीर और तकरीर को छाप कर लोगों को मुहैया कराएं ताकि लोगों को पता चले कि सर सैय्यद क्या थे ?

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर प्रोफेसर शारिब रुदौलवी ने की. इस दौरान शिक्षा के साथ विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए मुस्लिम समाज के लोगों को सम्मानित किया गया.

- चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एरा यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डॉ. फरजाना मेहंदी (Dr. Farzana Mehndi) को पुरस्कार दिया गया.

- आधुनिक के साथ अच्छी शिक्षा के लिए शिया पीजी कॉलेज को डॉक्टर कल्बे सादिक अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस इन फील्ड ऑफ मॉडर्न एजुकेशन से सम्मानित किया गया.

- इनके साथ ही, महिला सशक्तीकरण के लिए तकदीस फातिमा, समाजसेवा के लिए अमरोहा के आलम लतीफ और साहित्यिक सेवाओं के लिए फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी को सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम में यूनिटी कॉलेज के छात्रों के गीता-कुरान, बाइबिल और गुरुग्रंथ साहिब के पाठ की. सभी ने खुलकर सराहना की. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. शारिब रुदौलवी ने कहा कि जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं, हमेशा जिन्दा रहते हैं.

डॉ. सादिक ने जो काम दूसरों के लिए किए, वह सबको पता है. उन्होंने कई संस्थाएं बनाईं, जिनसे आज हजारों की संख्या में लोग फायदा उठा रहे हैं. यूनिटी कॉलेज, आईटीआई, जैनुलआब्दीन हॉस्पिटल और एरा हॉस्पिटल में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है. कार्यक्रम को मौलाना यासूब अब्बास, मौलाना डॉ. कल्बे सिब्तैन नूरी सहित अन्य ने भी सम्बोधित किया. इस कार्यक्रम का संचालन अतहर काजमी ने किया. इससे पूर्व कार्यक्रम का आगाज यूनिटी कॉलेज के छात्र फारिस अब्बास ने तिलावते कलामे पाक, मजीदा रिजवी ने बाइबिल और अनमता फातिमा ने गीता के श्लोक पढ़ कर किया.

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