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Kauthig Festival के लिए दूर दराज से लखनऊ आए व्यापारियों ने कहा, नहीं हो रही बिक्री, कम आ रहे ग्राहक

लखनऊ में उत्तराखंड के पौराणिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक उत्तरायणी कौथिग महोत्सव 2023 (Kauthig Festival 2023) का आगाज हो चुका है. महोत्सव 14 जनवरी से 23 जनवरी तक लगेगा.

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Published : Jan 22, 2023, 10:28 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तमाम महोत्सव आयोजित होते हैं. भारत महोत्सव और यूपी महोत्सव की तरह लखनऊ में इन दिनों उत्तरायणी कौथिग महोत्सव चल रहा है, लेकिन यहां आए व्यापारी खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि लोगों को तो घूमने फिरने में यहां काफी मजा आ रहे हैं लेकिन खरीददारी नहीं हो रही है. लोग भी काफी कम आ रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि शायद लोगों को इस महोत्सव के बारें में जानकारी नहीं है.

पौराणिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक उत्तरायणी कौथिग महोत्सव 2023 का आगाज हो चुका है. यह महोत्सव 14 जनवरी से 23 जनवरी तक लगेगा. जिसमें पहाड़ों की संस्कृति एवं सभ्यता रंगारंग कार्यक्रम के द्वारा देखने को मिल रही है. उत्तराखंडी लोकजीवन अलग ही सुर-ताल लिए हुए है, जिसकी छाप यहां के लोकगीत-नृत्यों में भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है. उत्तराखंडी लोकगीत-नृत्य महज मनोरंजन का ही जरिया नहीं हैं, बल्कि वह लोकजीवन के अच्छे-बुरे अनुभवों से सीख लेने की प्रेरणा भी देते हैं. हालांकि, समय के साथ बहुत से लोकगीत-नृत्य विलुप्त हो गए, लेकिन बचे हुए लोकगीत-नृत्यों की भी अपनी विशिष्ट पहचान है.

उत्तराखंड में लगभग दर्जनभर लोक विधाएं आज भी अस्तित्व में हैं, जिनमें चैती गीत यानी चौंफला, चांचड़ी और झुमैलो जैसे समूह में किए जाने वाले गीत-नृत्य आते हैं. इन तीनों ही गीतों में महिला-पुरुष की टोली एक ही घेरे में नृत्य करती है. हालांकि, तीनों की नृत्य शैली भिन्न है, लेकिन तीनों में ही श्रृंगार एवं भाव की प्रधानता होती है. इस दौरान ईटीवी भारत ने उत्तरायणी कौथिग मौसम में अलग-अलग जगह से आए व्यापारियों से बातचीत किया व्यापारियों का कहना है कि मेले में बहुत अच्छी इनकम नहीं हो रही है, बहुत कम लोग यहां आ रहे हैं जबकि भारत महोत्सव यूपी महोत्सव में भी दुकानें लगाते हैं और वहां पर काफी फायदा होता है. फिलहाल यहां पर लोग कमा रहे हैं इसलिए यहां पर बिक्री भी नहीं हो रही है.

कन्नौज से इत्र लेकर आए मोहम्मद इल्लम खान ने बताया कि पहली बार वे उत्तरायणी महोत्सव में आए हुए हैं और यहां पर बिल्कुल भी लोग नहीं आ रहे हैं. और जो लोग आते हैं, वह खरीदारी नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शायद इस उत्तरायणी कौथिग महोत्सव के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है तभी तो यहां पर पब्लिक नहीं आ रही है. उन्होंने बताया कि उनके पास 100 रुपए से इत्र की शुरुआत है कन्नौज का इत्र काफी ज्यादा विश्व प्रसिद्ध होता है. दिन में दो या तीन लोग ही खरीद रहे हैं.

कश्मीर से हिलाल अहमद उत्तरायणी कौथिग महोत्सव में आए हैं. उन्होंने बताया कि भारत महोत्सव हो या यूपी महोत्सव हो हर बार वह आते हैं. पहली बार उत्तरायणी महोत्सव में उन्होंने दुकान लगाई है. भारत महोत्सव और यूपी महोत्सव में काफी लोग घूमने फिरने के लिए आते हैं काफी बिक्री होती है लोगों को हमारा सामान पसंद आता है लेकिन यहां पर पब्लिक काम आ रही है. उन्होंने कहा कि उनकी दुकान में कश्मीरी शॉल, कश्मीरी स्वेटर और कश्मीरी सूट है. जो लोगों को काफी पसंद आते हैं लेकिन यहां पर लोग कमा रहे हैं इसलिए बिक्री भी कम हो रही है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तमाम महोत्सव आयोजित होते हैं. भारत महोत्सव और यूपी महोत्सव की तरह लखनऊ में इन दिनों उत्तरायणी कौथिग महोत्सव चल रहा है, लेकिन यहां आए व्यापारी खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि लोगों को तो घूमने फिरने में यहां काफी मजा आ रहे हैं लेकिन खरीददारी नहीं हो रही है. लोग भी काफी कम आ रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि शायद लोगों को इस महोत्सव के बारें में जानकारी नहीं है.

पौराणिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक उत्तरायणी कौथिग महोत्सव 2023 का आगाज हो चुका है. यह महोत्सव 14 जनवरी से 23 जनवरी तक लगेगा. जिसमें पहाड़ों की संस्कृति एवं सभ्यता रंगारंग कार्यक्रम के द्वारा देखने को मिल रही है. उत्तराखंडी लोकजीवन अलग ही सुर-ताल लिए हुए है, जिसकी छाप यहां के लोकगीत-नृत्यों में भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है. उत्तराखंडी लोकगीत-नृत्य महज मनोरंजन का ही जरिया नहीं हैं, बल्कि वह लोकजीवन के अच्छे-बुरे अनुभवों से सीख लेने की प्रेरणा भी देते हैं. हालांकि, समय के साथ बहुत से लोकगीत-नृत्य विलुप्त हो गए, लेकिन बचे हुए लोकगीत-नृत्यों की भी अपनी विशिष्ट पहचान है.

उत्तराखंड में लगभग दर्जनभर लोक विधाएं आज भी अस्तित्व में हैं, जिनमें चैती गीत यानी चौंफला, चांचड़ी और झुमैलो जैसे समूह में किए जाने वाले गीत-नृत्य आते हैं. इन तीनों ही गीतों में महिला-पुरुष की टोली एक ही घेरे में नृत्य करती है. हालांकि, तीनों की नृत्य शैली भिन्न है, लेकिन तीनों में ही श्रृंगार एवं भाव की प्रधानता होती है. इस दौरान ईटीवी भारत ने उत्तरायणी कौथिग मौसम में अलग-अलग जगह से आए व्यापारियों से बातचीत किया व्यापारियों का कहना है कि मेले में बहुत अच्छी इनकम नहीं हो रही है, बहुत कम लोग यहां आ रहे हैं जबकि भारत महोत्सव यूपी महोत्सव में भी दुकानें लगाते हैं और वहां पर काफी फायदा होता है. फिलहाल यहां पर लोग कमा रहे हैं इसलिए यहां पर बिक्री भी नहीं हो रही है.

कन्नौज से इत्र लेकर आए मोहम्मद इल्लम खान ने बताया कि पहली बार वे उत्तरायणी महोत्सव में आए हुए हैं और यहां पर बिल्कुल भी लोग नहीं आ रहे हैं. और जो लोग आते हैं, वह खरीदारी नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शायद इस उत्तरायणी कौथिग महोत्सव के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है तभी तो यहां पर पब्लिक नहीं आ रही है. उन्होंने बताया कि उनके पास 100 रुपए से इत्र की शुरुआत है कन्नौज का इत्र काफी ज्यादा विश्व प्रसिद्ध होता है. दिन में दो या तीन लोग ही खरीद रहे हैं.

कश्मीर से हिलाल अहमद उत्तरायणी कौथिग महोत्सव में आए हैं. उन्होंने बताया कि भारत महोत्सव हो या यूपी महोत्सव हो हर बार वह आते हैं. पहली बार उत्तरायणी महोत्सव में उन्होंने दुकान लगाई है. भारत महोत्सव और यूपी महोत्सव में काफी लोग घूमने फिरने के लिए आते हैं काफी बिक्री होती है लोगों को हमारा सामान पसंद आता है लेकिन यहां पर पब्लिक काम आ रही है. उन्होंने कहा कि उनकी दुकान में कश्मीरी शॉल, कश्मीरी स्वेटर और कश्मीरी सूट है. जो लोगों को काफी पसंद आते हैं लेकिन यहां पर लोग कमा रहे हैं इसलिए बिक्री भी कम हो रही है.

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