लखनऊ: सोमवार को लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया. विधेयक के पारित होने पर मुसलमानों की सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने इसको दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी.
विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ
मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को अपना बयान जारी करते हुए कहा कि लोकसभा से मंजूरी के बाद हम चाहते थे कि विधेयक को राज्यसभा में पारित न किया जाए. इसके लिए हमने न केवल विभिन्न दलों के नेताओं के साथ संपर्क किया. लेकिन दुख की बात है कि खुद को सेकुलर कहने वाली पार्टियों ने गैर जिम्मेदाराना रवैया का सुबूत दिया और यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया.
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उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद -14 और 15 का उलंघन करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश में किसी भी नागरिक के साथ धर्म और जाति-पाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा और प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार किया जाएगा.
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कानूनी खामियों से भरा है विधेयक
अरशद मदनी ने आगे कहा कि यह बिल कानूनी खामियों से भरा है और संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों का विरोध करता है. मुद्दा यह है कि नियमों में संशोधन करते समय संविधान की भावना या इसके बुनियादी ढांचे के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती, जबकि इस विधेयक ने धार्मिक पूर्वाग्रह और भेदभाव को अपनाते हुए संविधान के मूल ढांचे को ध्वस्त करने का जानबूझकर प्रयास किया गया है.
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