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लखनऊ: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द का बड़ा एलान, नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर मुसलमानों की सबसे बड़ी संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देनी की बात कही है.

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जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी
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Published : Dec 12, 2019, 2:19 AM IST

लखनऊ: सोमवार को लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया. विधेयक के पारित होने पर मुसलमानों की सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने इसको दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी.

विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ
मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को अपना बयान जारी करते हुए कहा कि लोकसभा से मंजूरी के बाद हम चाहते थे कि विधेयक को राज्यसभा में पारित न किया जाए. इसके लिए हमने न केवल विभिन्न दलों के नेताओं के साथ संपर्क किया. लेकिन दुख की बात है कि खुद को सेकुलर कहने वाली पार्टियों ने गैर जिम्मेदाराना रवैया का सुबूत दिया और यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया.

इसे भी पढ़ें - राज्यसभा से भी पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, अमित शाह ने कहा- मुस्लिमों को बहकावे में आने की जरूरत नहीं

उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद -14 और 15 का उलंघन करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश में किसी भी नागरिक के साथ धर्म और जाति-पाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा और प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें - राज्यसभा से भी पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, CM योगी ने PM मोदी और अमित शाह को दी बधाई

कानूनी खामियों से भरा है विधेयक
अरशद मदनी ने आगे कहा कि यह बिल कानूनी खामियों से भरा है और संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों का विरोध करता है. मुद्दा यह है कि नियमों में संशोधन करते समय संविधान की भावना या इसके बुनियादी ढांचे के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती, जबकि इस विधेयक ने धार्मिक पूर्वाग्रह और भेदभाव को अपनाते हुए संविधान के मूल ढांचे को ध्वस्त करने का जानबूझकर प्रयास किया गया है.

इसे भी पढ़ें - नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर सरहदी जिले बाड़मेर में लोगों ने मनाई दीपावली

लखनऊ: सोमवार को लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया. विधेयक के पारित होने पर मुसलमानों की सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने इसको दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी.

विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ
मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को अपना बयान जारी करते हुए कहा कि लोकसभा से मंजूरी के बाद हम चाहते थे कि विधेयक को राज्यसभा में पारित न किया जाए. इसके लिए हमने न केवल विभिन्न दलों के नेताओं के साथ संपर्क किया. लेकिन दुख की बात है कि खुद को सेकुलर कहने वाली पार्टियों ने गैर जिम्मेदाराना रवैया का सुबूत दिया और यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया.

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उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद -14 और 15 का उलंघन करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश में किसी भी नागरिक के साथ धर्म और जाति-पाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा और प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार किया जाएगा.

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कानूनी खामियों से भरा है विधेयक
अरशद मदनी ने आगे कहा कि यह बिल कानूनी खामियों से भरा है और संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों का विरोध करता है. मुद्दा यह है कि नियमों में संशोधन करते समय संविधान की भावना या इसके बुनियादी ढांचे के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती, जबकि इस विधेयक ने धार्मिक पूर्वाग्रह और भेदभाव को अपनाते हुए संविधान के मूल ढांचे को ध्वस्त करने का जानबूझकर प्रयास किया गया है.

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Intro:

नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है- अरशद मदनी

जमीअत उलेमा-ए-हिंद इस संविधान विरोधी विधेयक को अदालत में चुनौती देगी- अरशद मदनी


सोमवार को लोकसभा के बाद आज राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर मुसलमानों की सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने इसको दुर्भाग्यपूण करार देते हुए इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है। जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी ।

Body:मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को अपना बयान जारी करते हुए कहा कि लोकसभा से मंजूरी के बाद, हमारी पूरी कोशिश थी कि विधेयक को राज्यसभा में पारित न किया जाए, इसके लिए हमने न केवल विभिन्न दलों के नेताओं के साथ संपर्क किया, बल्कि उन्हें आश्वस्त भी किया कि इस खतरनाक बिल के निहितार्थ क्या हैं, लेकिन दुख की बात है कि खुद को सेकूलर कहने वाली पार्टियों ने ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैया का सुबूत दिया और यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उलंघन करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश में किसी भी नागरिक के साथ धर्म और जातपात के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा और प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार किया जाएगा। मौलाना मदनी ने कहा कि इस बिल का पूरा मसौदा धार्मिक भेदभाव और पूर्वाग्रह के आधार पर तैयार किया गया है, और इस में कहा गया है कि उत्पीड़ित अल्पसंख्यक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत आएंगे तो उन्हें केवल शरण नही बल्कि नागरिकता भी प्रदान की जाएगी जब कि मुस्लिम नागरिकों को इससे अलग रखा गया है जिससे यह साफ स्पष्ट हो जाता है कि इस बिल के माध्यम से धार्मिक आधार पर देश के नागरिकों के बीच एक रेखा खींचने का प्रयास किया गया है। वहीं इस बिल से देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा हो सकता है क्योंकि यह बिल लोगों को बिना दस्तावेज के नागरिकता का मार्ग प्रशस्त कर रहा है उनमें से कुछ लोग भारत विरोधी तत्वों के एजेंट बन सकते हैं और देश के विनाश का स्रोत बन सकते हैं।

अरशद मदनी ने आगे कहा कि यह बिल कानूनी खामियों से भरा है और संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों का विरोध करता है। मुद्दा यह है कि नियमों में संशोधन करते समय, संविधान की भावना या इसके बुनियादी ढांचे के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। जबकि इस विधेयक ने धार्मिक पूर्वाग्रह और भेदभाव को अपनाते हुए संविधान के मूल ढांचे को ध्वस्त करने का जानबूझकर प्रयास किया है, संविधान के अनुच्छेद 13 में कहा गया है कि यदि कोई अधिनियम मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अर्थात्, यदि संविधान में कोई संशोधन होता है या कोई नया क़ानून बनता है और यह मौलिक अधिकारों के विरोध में है, तो इसे मान्यता नहीं दी जाएगी। नागरिकता संशोधन विधेयक नागरिकों के मौलिक अधिकारों को भी हनन करता है। बिल के निहितार्थ को देखा जाना बाकी है, लेकिन जब एनआरसी पूरे देश में लागू होगी तो यह उन लाखों मुस्लिम के लिए श्राप साबित होगा जो किसी कारण से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकेंगे

उन्होंने कहा कि यह तर्क बिल्कुल गलत है कि नागरिकता विधेयक का NRC से कोई लेना-देना नहीं है। यह बिल इसलिए लाया गया है ताकि मुसलमानों के लिए एनआरसी प्रक्रिया को कठिन बना दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह बिल खतरनाक है क्योंकि यह देश में सदियों से चली आ रही धार्मिक और सांस्कृतिक एकता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। यह हिंदू मुस्लिम समस्या नहीं है, यह मानवाधिकारों और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का मामला है। यह एक बहुत ही खतरनाक बिल है। जिसके पीछे शुद्ध राजनीतिक लक्ष्य है। यह बहुमत के सांप्रदायिक संरेखण के लिए मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश कर रहा है। देश में चरमपंथी ताकतें लंबे समय से देश में सदियों से चल रही हमारी एकता को खत्म करना चाहती हैं। ”मौलाना मदनी ने कहा जमीअत उलेमा हिन्द इस बिल को अदालत में चुनौती देगी क्योंकि विधायिका ने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया है। इसलिए अब न्यायपालिका इस पर बेहतर निर्णय ले सकती है। इस संबंध में वकीलों से सलाह ली गई है और एक याचिका का मसौदा तैयार किया जा रहा है।Conclusion:
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