लखनऊ: जल निगम में पंजीकृत ठेकेदारों से काम हटाकर बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को काम दिए जाने के विरोध में शनिवार को कई ठेकेदारों ने जल शक्ति मंत्री के आवास के बाहर धरना देते हुए नाराजगी जताई. ठेकेदारों का आरोप है कि विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार करते हुए जल निगम के रेट से काफी अधिक रेट पर मल्टीनेशनल कंपनियों को विभाग काम दिए गए हैं, जो ठीक नहीं है और इससे पंजीकृत ठेकेदारों के सामने भी रोजी रोटी का संकट आ गया है.
सरकार से बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के काम हटाकर पंजीकृत ठेकेदारों को दिए जाने की मांग भी की गई. कहा गया कि छत्तीसगढ़ राज्य में मल्टीनेशनल कंपनियों को आवंटित टेंडर प्रक्रिया निरस्त की गई और पंजीकृत ठेकेदारों को काम दिया गया है. उसी आधार पर यहां पर भी पंजीकृत ठेकेदारों को काम दिया जाए और बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों से काम हटाया जाए.
जल निगम के ठेकेदार पंकज तिवारी ने कहा कि हम पिछले 10 वर्षों से जल निगम में काम कर रहे हैं. पंजीकृत ठेकेदार हैं. इस समय सरकार के स्तर पर बड़ी-बड़ी फर्मों को काम दे दिया गया है. हम लोगों को साइडलाइन कर दिया गया है. हम लोग चाहते हैं कि हमें भी काम दिया जाए. जिन बड़ी कंपनियों को काम दिया गया है. वह जल निगम के काम के रेट से काफी अधिक है. करीब 40 प्रतिशत अधिक के रेट पर काम दिए गए हैं, जो भ्रष्टाचार प्रतीत होता है. विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार करते हुए बड़ी कंपनियों को काम दिया है. इससे काफी संख्या में ठेकेदार बेरोजगार हो गए हैं. हमारी सरकार से मांग है कि छत्तीसगढ़ की तरह उत्तर प्रदेश में भी पंजीकृत ठेकेदारों के माध्यम से ही जल जीवन मिशन का काम कराया जाए. इन बड़ी कंपनियों की टेंडर प्रक्रिया भी निरस्त की जाए.
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मंत्री के आवास के बाहर मंत्री से मिलने पहुंचे 12 से अधिक ठेकेदार मंत्री से नहीं मिल पाए. करीब 2 घंटे से अधिक समय तक ठेकेदार मंत्री के आवास के बाहर धरना देते हुए नजर आए. मुख्य रूप से जो ठेकेदार उपस्थित रहे उनमें अनुभव पांडे, चंद्र प्रकाश जायसवाल, देवेश शुक्ला, पंकज तिवारी मुख्य रूप से रहे.