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सांसद ने ऐसा क्या कहा कि इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति ने स्थगित किया सामूहिक आत्मदाह का प्लान

इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति ने फिलहाल सामूहिक आत्मदाह का इरादा अगले 11 दिनों के लिए छोड़ दिया है. समिति के अध्यक्ष मदन मोहन मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है. जानिए इटौजा के लोगों ने सामूहिक आत्मदाह की घोषणा क्यों की थी और अब प्लान स्थगित क्यों किया है.

Itaunja Railway Station
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Published : Jun 18, 2022, 1:46 PM IST

Updated : Jun 18, 2022, 2:11 PM IST

इटौंजा (लखनऊ) : इटौंजा रेलवे हॉल्ट को स्टेशन बनाने की मांग कर रहे स्थानीय लोगों का संघर्ष पिछले चार साल से जारी है. 16 जून को इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति ने सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी भी दी थी. मगर शनिवार को स्थानीय सांसद और विधायक से बातचीत के बाद स्टेशन बचाओ समिति ने आत्मदाह का प्लान 29 जून तक के लिए स्थगित कर दिया. इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति के अध्यक्ष मदन मोहन मिश्रा ने इस फैसले की पुष्टि की.

मदन मोहन मिश्रा ने बताया कि इटौंजा रेलवे हॉल्ट को स्टेशन बनाने की मांग को लेकर किए गए सामूहिक आत्मदाह के फैसले को जानकर स्थानीय सांसद कौशल किशोर और क्षेत्रीय विधायक योगेश शुक्ला ने बातचीत की पहल की. दोनों जनप्रतिनिधियों ने इस मसले पर अधिकारियों से बातचीत करने का आश्वासन दिया है. सांसद और विधायक ने कहा कि मांगों के हिसाब से प्रोजेक्ट काफी बड़ा है, इसलिए उन्होंने इसे पूरा करने के लिए समिति से 29 जून तक का समय मांगा है. जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद रेलवे स्टेशन बचाओ समिति ने सामूहिक आत्मदाह 29 जून तक स्थगित करने का फैसला किया है.

सामूहिक आत्मदाह का प्लान स्थगित करने की जानकारी देते समिति के अध्यक्ष.

मदन मोहन मिश्रा ने बताया कि 2018 से पहले तक इटौंजा रेलवे स्टेशन हुआ करता था. जब बड़ी लाइन की शुरूआत की गई तो रेलवे ने इसे हॉल्ट में तब्दील कर दिया. इसके बाद से ही स्थानीय लोग दोबारा स्टेशन का दर्जा देने और इससे संबंधित सुविधा देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. मगर रेलवे की ओर से मांग पर सुनवाई नहीं होने के कारण समिति ने 100 लोगों के साथ सामूहिक आत्मदाह का ऐलान किया था. फिलहाल सांसद और विधायक के आश्वासन के कारण 29 जून तक के लिए आत्मदाह का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है, अगर इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होगी तो इसकी जिम्मेदारी सभी अधिकारियों की होगी. शनिवार को पुलिस अफसरों से बातचीत के दौरान समाजसेवी दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महाराज, दिनेश कश्यप, दिनेश मिश्रा, अंजू शुक्ला, अनूप शुक्ला, चंद्रशेखर तिवारी, बालक राम, जय मेजर सिंह, युवराज सिंह, सुरेंद्र सिंह यादव, शिव बहादुर सिंह, अक्षय मिश्रा मौजूद रहे.

Itaunja Railway Station
2018 से पहले तक इटौंजा रेलवे स्टेशन था, जिसे बदलकर हॉल्ट बना दिया गया.



बता दें कि वर्ष 2018 में इटौंजा हॉल्ट को रेलवे स्टेशन बनाने की मांग को लेकर समिति और क्षेत्रीय लोगों ने आमरण अनशन भी किया था. तब तत्कालीन डीआरएम विजय कौशिक, क्षेत्रीय विधायक को ज्ञापन के माध्यम से इन सारी समस्याओं से अवगत कराया था. करीब चार साल पहले अपर मंडल के तत्कालीन रेल प्रबंधक (पूर्वोत्तर रेलवे) गौरव गोबिल ने 1 वर्ष के अंदर टेंडर डालकर निर्माण कार्य प्रारंभ करने का आश्वासन दिया था. इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति का कहना है कि चार साल बीत गए मगर इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस कारण आंदोलन को एक बार फिर तेज किया गया है.

पढ़ें : अग्निपथ का विरोध: अब तक 260 गिरफ्तार, पुलिस की 23 तक छुट्टी कैंसिल

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इटौंजा (लखनऊ) : इटौंजा रेलवे हॉल्ट को स्टेशन बनाने की मांग कर रहे स्थानीय लोगों का संघर्ष पिछले चार साल से जारी है. 16 जून को इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति ने सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी भी दी थी. मगर शनिवार को स्थानीय सांसद और विधायक से बातचीत के बाद स्टेशन बचाओ समिति ने आत्मदाह का प्लान 29 जून तक के लिए स्थगित कर दिया. इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति के अध्यक्ष मदन मोहन मिश्रा ने इस फैसले की पुष्टि की.

मदन मोहन मिश्रा ने बताया कि इटौंजा रेलवे हॉल्ट को स्टेशन बनाने की मांग को लेकर किए गए सामूहिक आत्मदाह के फैसले को जानकर स्थानीय सांसद कौशल किशोर और क्षेत्रीय विधायक योगेश शुक्ला ने बातचीत की पहल की. दोनों जनप्रतिनिधियों ने इस मसले पर अधिकारियों से बातचीत करने का आश्वासन दिया है. सांसद और विधायक ने कहा कि मांगों के हिसाब से प्रोजेक्ट काफी बड़ा है, इसलिए उन्होंने इसे पूरा करने के लिए समिति से 29 जून तक का समय मांगा है. जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद रेलवे स्टेशन बचाओ समिति ने सामूहिक आत्मदाह 29 जून तक स्थगित करने का फैसला किया है.

सामूहिक आत्मदाह का प्लान स्थगित करने की जानकारी देते समिति के अध्यक्ष.

मदन मोहन मिश्रा ने बताया कि 2018 से पहले तक इटौंजा रेलवे स्टेशन हुआ करता था. जब बड़ी लाइन की शुरूआत की गई तो रेलवे ने इसे हॉल्ट में तब्दील कर दिया. इसके बाद से ही स्थानीय लोग दोबारा स्टेशन का दर्जा देने और इससे संबंधित सुविधा देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. मगर रेलवे की ओर से मांग पर सुनवाई नहीं होने के कारण समिति ने 100 लोगों के साथ सामूहिक आत्मदाह का ऐलान किया था. फिलहाल सांसद और विधायक के आश्वासन के कारण 29 जून तक के लिए आत्मदाह का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है, अगर इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होगी तो इसकी जिम्मेदारी सभी अधिकारियों की होगी. शनिवार को पुलिस अफसरों से बातचीत के दौरान समाजसेवी दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महाराज, दिनेश कश्यप, दिनेश मिश्रा, अंजू शुक्ला, अनूप शुक्ला, चंद्रशेखर तिवारी, बालक राम, जय मेजर सिंह, युवराज सिंह, सुरेंद्र सिंह यादव, शिव बहादुर सिंह, अक्षय मिश्रा मौजूद रहे.

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2018 से पहले तक इटौंजा रेलवे स्टेशन था, जिसे बदलकर हॉल्ट बना दिया गया.



बता दें कि वर्ष 2018 में इटौंजा हॉल्ट को रेलवे स्टेशन बनाने की मांग को लेकर समिति और क्षेत्रीय लोगों ने आमरण अनशन भी किया था. तब तत्कालीन डीआरएम विजय कौशिक, क्षेत्रीय विधायक को ज्ञापन के माध्यम से इन सारी समस्याओं से अवगत कराया था. करीब चार साल पहले अपर मंडल के तत्कालीन रेल प्रबंधक (पूर्वोत्तर रेलवे) गौरव गोबिल ने 1 वर्ष के अंदर टेंडर डालकर निर्माण कार्य प्रारंभ करने का आश्वासन दिया था. इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति का कहना है कि चार साल बीत गए मगर इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस कारण आंदोलन को एक बार फिर तेज किया गया है.

पढ़ें : अग्निपथ का विरोध: अब तक 260 गिरफ्तार, पुलिस की 23 तक छुट्टी कैंसिल

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Last Updated : Jun 18, 2022, 2:11 PM IST
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