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विधान परिषद में गूंजा 17 पिछड़ी जातियों के आरक्षण का मुद्दा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने का मामला बुधवार को विधान परिषद में समाजवादी पार्टी ने उठाया. इसको लेकर सत्ता पक्ष की ओर से पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने जवाब दिया.

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Published : Feb 19, 2020, 7:56 PM IST

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17 पिछड़ी जातियों के आरक्षण का मुद्दा विधान परिषद में उठा.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने का मामला बुधवार को विधान परिषद में समाजवादी पार्टी ने कार्य स्थगन सूचना के तहत उठाया. सत्ता पक्ष की ओर से पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने जवाब दिया. जिसके बाद पीठ ने कार्य स्थगन सूचना को अस्वीकार कर दिया.

17 पिछड़ी जातियों के आरक्षण का मुद्दा विधान परिषद में उठा.

समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद में उठाया मुद्दा

समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य रामजतन राजभर ने नियम 105 के तहत पिछड़ी जातियों का मामला विधान परिषद में उठाया. सदन को सूचित किया कि प्रदेश के 17 जातियों में कश्यप, निषाद, बिंद, तुरहा, गौड, मांझी, केवट, राजभर, भर, प्रजापति ,कुम्हार ,मझवार और मछुआ आदि शामिल हैं. समाजवादी पार्टी की सरकार ने इन जातियों का सर्वेक्षण कर अनुसूचित जाति में शामिल करने का सरकारी गजट जारी कराया था, लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन जातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करना बंद कर दिया है.

कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने दिया जवाब

सूचना का जवाब सत्ता पक्ष की ओर से पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने दिया. उन्होंने समाजवादी पार्टी पर इन जातियों के साथ राजनीति करने का आरोप लगाया. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन 17 जातियों को सम्मान देने का काम किया है, इनके लिए सामाजिक आर्थिक कल्याण की योजनाएं भी शुरू की गई हैं. कोर्ट में मामला लंबित होने की वजह से सरकार आगे कदम नहीं बढ़ा पा रही है.

भाजपा जानबूझकर इस मामले में राजनीति कर रही हैं. 17 पिछड़ी जातियों को उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा है. इसमें अड़ंगा लगाया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि 17 जातियों में पांच मुख्य जातियां हैं और बाकी उनकी उपजातियां हैं. इन जातियों को पहले भी अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में हटा दिया गया.

डॉ. राजपाल कश्यप, विधान परिषद सदस्य

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने का मामला बुधवार को विधान परिषद में समाजवादी पार्टी ने कार्य स्थगन सूचना के तहत उठाया. सत्ता पक्ष की ओर से पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने जवाब दिया. जिसके बाद पीठ ने कार्य स्थगन सूचना को अस्वीकार कर दिया.

17 पिछड़ी जातियों के आरक्षण का मुद्दा विधान परिषद में उठा.

समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद में उठाया मुद्दा

समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य रामजतन राजभर ने नियम 105 के तहत पिछड़ी जातियों का मामला विधान परिषद में उठाया. सदन को सूचित किया कि प्रदेश के 17 जातियों में कश्यप, निषाद, बिंद, तुरहा, गौड, मांझी, केवट, राजभर, भर, प्रजापति ,कुम्हार ,मझवार और मछुआ आदि शामिल हैं. समाजवादी पार्टी की सरकार ने इन जातियों का सर्वेक्षण कर अनुसूचित जाति में शामिल करने का सरकारी गजट जारी कराया था, लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन जातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करना बंद कर दिया है.

कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने दिया जवाब

सूचना का जवाब सत्ता पक्ष की ओर से पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने दिया. उन्होंने समाजवादी पार्टी पर इन जातियों के साथ राजनीति करने का आरोप लगाया. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन 17 जातियों को सम्मान देने का काम किया है, इनके लिए सामाजिक आर्थिक कल्याण की योजनाएं भी शुरू की गई हैं. कोर्ट में मामला लंबित होने की वजह से सरकार आगे कदम नहीं बढ़ा पा रही है.

भाजपा जानबूझकर इस मामले में राजनीति कर रही हैं. 17 पिछड़ी जातियों को उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा है. इसमें अड़ंगा लगाया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि 17 जातियों में पांच मुख्य जातियां हैं और बाकी उनकी उपजातियां हैं. इन जातियों को पहले भी अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में हटा दिया गया.

डॉ. राजपाल कश्यप, विधान परिषद सदस्य

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