लखनऊ: राजधानी के सिंचाई विभाग में भू-जल संकट से निपटने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता अशोक कुमार सिंह समेत प्रदेश के बड़ी संख्या में ग्राउंड वाटर एक्सपर्ट शामिल हुए. कार्यक्रम के दौरान प्रदेश की जनता से भूजल का दोहन ना करने की अपील की गई.
भूजल के दोहन पर एक्सपर्ट ने रखी अपनी राय
सिंचाई विभाग में आयोजित इस कार्यशाला में एक्सपर्ट ने अपनी राय रखी. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ग्राउंड वाटर के एक्सपर्ट आर एस सिन्हा ने बताया कि कल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से एक संदेश दिया कि 'कैच द रेन' इसे समझने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पानी का दोहन कृषि के अलावा इंडस्ट्री क्षेत्र में हो रहा है, निश्चित रूप से इससे पेयजल का खतरा मंडरा रहा है.
'जल दोहन के लिए नहीं है कोई कानून'
आर एस सिन्हा ने आगे कहा कि जल के दोहन के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में लगातार पानी का दोहन हो रहा है. इसे रोकने के उद्देश्य से ही कार्यशाला आयोजित की गई है. पानी प्रबंधन के मुद्दे पर सभी लोगों की राय जानकार इसे सरकार के पास भेजा जाए. इस पर भी चर्चा की जा रही है कि दोहन को कैसे कम किया जाए और रिचार्ज कैसे किया जाए.
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'लखनऊ में स्थिति सबसे खराब'
सिन्हा ने कहा कि लखनऊ में दोहन की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है और सरकार की इस नीति को बदलना होगा. सरकार को इस पर बड़ा निर्णय लेना होगा और पब्लिक को भी जागरूक करना होगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से वायु प्रदूषण के आंकड़े जारी किए जाते हैं उसी तरह से जल प्रदूषण के भी आंकड़े जारी किए जाएं, जिससे लोग जागरूक हो सकें. उन्होंने बताया कि समरसेबल लगाकर सबसे ज्यादा पानी का दोहन लखनऊ में किया जा रहा है. यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में जल संकट का सामना राजधानी की जनता को करना पड़ सकता है.
भूजल के दोहन को लेकर जल निगम और सिंचाई विभाग लगातार लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं. इससे प्रदेश की जनता को जल के संरक्षण के लिए जागरूक किया जा सके और जल संकट से बचा जा सके.