लखनऊ: पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, यह बात सिर्फ कहने के लिए नहीं होती बल्कि कुछ लोग इसे गंभीरता से लेते हैं और अपने जज्बे से कर दिखाते हैं. इसी कथन को 55 साल के सीनियर आईपीएस अधिकारी ने चरितार्थ किया है. आईपीएस ने बीबीएयू लखनऊ से एमएससी साइबर सिक्योरिटी में टॉप किया और अब 13 फरवरी को उन्हें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू गोल्ड मेडल से सम्मानित करेंगी. खास बात यह है कि उनके साथ सम्मानित होने वाले अन्य 9 छात्र उनके बच्चों की उम्र के हैं.
MSC में किया टॉपः 13 फरवरी को लखनऊ के भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में जब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 10 छात्रों को टॉप करने पर गोल्ड मेडल दे रही होंगी, इस दौरान वहां उस पंक्ति में नौजवान छात्रों के बीच एक 55 साल एक आईपीएस अधिकारी संजय एम तरडे भी खड़े होंगे. साइबर सिक्योरिटी विषय में उन्होंने भी टॉप किया है. एक अहम जिम्मेदारी निभाने के साथ साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और आज के वक्त में सबसे बड़ी चुनौती साइबर सिक्योरिटी से निपटने के लिए उसी विषय में MSC की पढ़ाई की है और सबसे अधिक नंबर लाकर गोल्ड मेडल के हकदार बने.
आईपीएस अधिकारी संजय एम तरडे मौजूदा समय में डीजी ट्रेनिंग के पद पर तैनात हैं और यूपी पुलिस में भर्ती होने वाले सिपाही-दारोगा को ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. तरडे ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि वो फोर्स में भर्ती होने वाली नई पीढ़ी को साइबर सिक्योरिटी के लिए तैयार करने के लिए ये जरूरी था कि वो खुद पूरी तरह प्रशिक्षित हो जाएं, इसीलिए उन्होंने एडमिशन लिया और लगन से पढ़ाई का नतीजा रहा कि टॉप कर लिया.
पढ़ाई के लिए कैसे निकला समय?
संजय तरडे ने बताया कि जब उनके जहन में साइबर सिक्योरिटी से MSC करने का विचार आया, तो फोर्स के प्रति उनकी जिम्मेदारी समय निकालने में मुश्किलें पैदा करने वाली थी. हालांकि उन्होंने जब यह ठान लिया कि येन केन प्रक्रेण उन्हें ये डिग्री कोर्स करना है तो समय ने साथ दिया और कोविड काल के दौरान सभी क्लासेस ऑनलाइन हो गई. ऐसे में अब उन्हें क्लास करने में कोई समस्या नहीं आई और दो साल लगातार बिना एक भी क्लास छोड़े पढ़ाई की और साइबर सिक्योरिटी के हर पहलुओं को बारीकी से समझा.
IPS ने क्यों जारी रखी पढ़ाई?
मूल रूप से अहमदनगर महाराष्ट्र के रहने वाले संजय एम तरडे ने साल 1987 में आईआईटी दिल्ली से बीटेक मैकिनिक इंजिनियरिग की और उसके बाद फाइनेंसियल मैनेजमेंट से पीएचडी. इसी दौरान उनका आईपीएस में चयन हो गया, जिसके बाद नौकरी के बीच उनकी पढ़ाई का दौर कुछ समय के लिए थम गया. आईपीएस तरडे बताते हैं कि नौकरी के दौरान वो चाहते थे कि जैसे जैसे समय बीत रहा, टेक्नोलॉजी बदलती जा रही है और इस टेक्नोलॉजी के साथ कदम ताल करने के लिए जरूरी है कि शिक्षा ग्रहण करने का दौर रुके नहीं. इसीलिए आईपीएस सेवा शुरू करने के 25 साल बाद उन्होंने प्रोफेशनल स्टडी का दौर फिर शुरू किया और सबसे पहले उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से पीजी डिप्लोमा साइबर लॉ किया, ताकि वो जान सके कि जिस साइबर सिक्योरिटी की चुनौती से पूरी दुनिया जूझ रही है उसमें कानून के क्या दांव पेंच है.
दो लोगों की वजह से टॉप कर सके DG ट्रेनिंगः तरडे बताते हैं कि MSC साइबर सिक्योरिटी में वो टॉप कर सके और राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल मिलने के पीछे दो लोगों का अहम योगदान है. बीबीएयू के प्रोफेसर आरिफ खान और पुलिस मुख्यालय में मौजूद साइबर फोरेंसिक लैब. एक ने पढ़ने में मदद की और दूसरे ने समझने में. तरडे ने बताया कि साइबर सिक्योरिटी की चुनौती से निपटने के लिए प्रैक्टिकल ज्ञान होना अत्यधिक आवश्यक है. इसी के चलते सरकार ने साइबर पुलिस को मजबूती देने के लिए एक अत्याधुनिक फोरेंसिक लैब और वर्चुअल क्लास की व्यवस्था की है, जहां कोई भी आकर प्रैक्टिकल जानकारी ले सकता है. यही नहीं हम फोर्स के लोगों को इसी वर्चुअल क्लास के जरिए पढ़ा भी सकते हैं.
2 हजार नए दरोगा को साइबर सिक्योरिटी के लिए करेंगे तैयारः डीजी ट्रेनिंग तरडे ने बताया कि आज के वक्त में शासन साइबर सिक्योरिटी के लिए गंभीर है. ऐसे में यूपी पुलिस के हर कर्मी को साइबर सिक्योरिटी की जानकारी दी जा रही है. वो कहते हैं कि MSC करने के दौरान उन्होंने साइबर सिक्योरिटी की महत्वत्ता जान ली है. ऐसे में अब वह अपनी शिक्षा को आगे की पीढ़ी को ट्रांसफर करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि बीते दिनों यूपी पुलिस में 9 हजार सब इंस्पेक्टर भर्ती हुए है और अगले कुछ महीनों में उनकी ट्रेनिंग होगी. डीजी ने इन अभ्यर्थियों में 2 हजार ऐसे चयनित अभ्यर्थियों को छांट लिया है, जिन्होंने बीसीए, एमसीए, बीटेक किया है. उनके ज्ञान का फायदा फोर्स को मिले इसके लिए उन्हें साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग दी जाएगी, जो कुछ इन वर्षों में सीखा उसे इन दो हजार सब इंस्पेक्टर के साथ साझा कराने, जिससे यूपी पुलिस साइबर क्राइम से निपटने के लिए तैयार हो सके.
एक रुपये में पढ़ाने को है तैयारः आईपीएस अधिकारी संजय एम तरडे ने बताया कि शिक्षा लेने और देने के लिए समय सीमा नहीं होती है. ये जितना चाहे और जब तक चाहे दे और ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि वो अब चाहते हैं कि आनेवाली पीढ़ी को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक कर सके और इससे निपटने के लिए लोगों को ट्रेन कर सकें. इसके लिए छात्रों को पढ़ाने के लिए तैयार हैं. वो कहते है कि उनकी मंशा है कि जिस यूनिवर्सिटी से उन्होंने MSC टॉप किया है. वहीं, वो अध्यापक के तौर पर जुड़े और महज एक रुपये में वो पढ़ाने को तैयार हैं.
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