ETV Bharat / state

Dinesh Sharma's suicide : पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, कहा- यकीन नहीं होता यूं छूट जाएगा 40 साल पुराना दोस्ताना - पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह

पूर्व आईपीएस दिनेश शर्मा की आत्महत्या उनके चाहने वालों को रुलाने के साथ हैरान कर रही है. जिंदादिली की मिसालें देने वाला शख्स खुद जिंदगी से कैसे हार गया, यकीन नहीं होता. दिनेश शर्मा के करीबियों में शामिल पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह की दोस्ती 40 साल पुरानी है. उन्होंने अपने जिंदादिल दोस्त दिनेश शर्मा की यादें ईटीवी भारत से साझा कीं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 6, 2023, 2:52 PM IST

लखनऊ : जब मेरी पहली पोस्टिंग वाराणसी में एसपी ग्रामीण के तौर पर हुई तब दिनेश कुमार शर्मा एसपी सिटी के पद पर पहले से ही वहां तैनात थे. वे एक जिंदादिल इंसान और सख्त अधिकारी थे. वे तो मुझे हर रोज एक नई ऊर्जा के साथ जीना और स्वास्थ का ख्याल रखने का जोश भरते थे. ऐसा व्यक्ति बीमारी से हार मान गया, भरोसा नहीं हो रहा. पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने पूर्व आईपीएस दिनेश शर्मा की आत्महत्या के बाद उनके साथ बिताए अपने अनुभव साझा करते वक्त भावुक हो गए. उन्होंने बताया कि उनकी दोस्ती 40 साल पुरानी है. हम अपने सुख-दुख, कार्यक्षेत्र की रणनीतियां साझा करते थे. दिनेश की बातें उत्साह और ऊर्जा भरने वाली होती थीं. कई बार संकट के क्षण आए, लेकिन दिनेश बिना घबराए चुनौतियों से जुझे और सफल हुए.

पूर्व डीजीपी ने बताया कि तीन माह पहले ही तो उनसे बात हुई थी. उनकी बातों में वही ताजगी और खनक थी. कहीं ऐसा नहीं लगा कि दिनेश जिंदगी से निराश है. बातचीत के दौरान दिनेश ने मुझसे पूछा कि क्या तुमने भारत सरकार की हेल्थ स्कीम में खुद को सूचीबद्ध कराया है. इस दौरान उन्होंने मुझे रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों के लिए भारत सरकार की योजनाओं के लाभ भी बताए. बातचीत के दौरान एक पल भी एहसास नहीं हुआ कि दिनेश खुद अपनी बीमारी से परेशान है. दिनेश ने तो मुझे जिंदादिली से जीने के टिप्स भी दिए. इसके बाद मंगलवार को मिली इस खबर से मैं स्तब्ध हूं. एक क्षण मुझे लगा ही नहीं कि हमारा दोस्त हमारे बीच नहीं रहा. हालांकि हकीकत यही है कि एक जिंदादिल दोस्त हम खो चुके हैं. हालांकि दिनेश की दी हुई नसीहते

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं कि वर्ष 1983 में मेरी पहली पोस्टिंग वाराणसी में एसपी ग्रामीण के तौर पर हुई थी. वहां पहले से दिनेश कुमार शर्मा बतौर एसपी सिटी तैनात थे. हम दोनों के बंगले अगल बगल थे. ऐसे में रोजाना मुलाकात होना, कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराधियों पर कार्रवाई करने समेत कई मुद्दों पर रोजाना चर्चा होती थी. इसी बीच उनकी पोस्टिंग मैनपुरी हो गई और वे वहां के पुलिस कप्तान बनाए गए थे. इसके बाद कई जिलों की कप्तानी के बाद वे बरेली और गोरखपुर जोन के आईजी रहे. आखिरी पोस्टिंग उनकी डीजी आवास के तौर पर थी. जिसके बाद वे रिटायर हो गए. दिनेश को यूपी रिटायर्ड आईपीएस अफसर संगठन का जनरल सेकेट्री भी बनाया गया था. जिस बाबत हर तीन माह में उनकी मुलाकात होती रहती थी. पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि इस मोड़ पर यूं बिछड़ना कभी सोचा नहीं था.

यह भी पढ़ें : प्रावधान के बावजूद यूपी में एमवीआई की तैनाती नहीं, नॉन टेक्निकल अधिकारी कर रहे वाहनों की चेकिंग

लखनऊ : जब मेरी पहली पोस्टिंग वाराणसी में एसपी ग्रामीण के तौर पर हुई तब दिनेश कुमार शर्मा एसपी सिटी के पद पर पहले से ही वहां तैनात थे. वे एक जिंदादिल इंसान और सख्त अधिकारी थे. वे तो मुझे हर रोज एक नई ऊर्जा के साथ जीना और स्वास्थ का ख्याल रखने का जोश भरते थे. ऐसा व्यक्ति बीमारी से हार मान गया, भरोसा नहीं हो रहा. पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने पूर्व आईपीएस दिनेश शर्मा की आत्महत्या के बाद उनके साथ बिताए अपने अनुभव साझा करते वक्त भावुक हो गए. उन्होंने बताया कि उनकी दोस्ती 40 साल पुरानी है. हम अपने सुख-दुख, कार्यक्षेत्र की रणनीतियां साझा करते थे. दिनेश की बातें उत्साह और ऊर्जा भरने वाली होती थीं. कई बार संकट के क्षण आए, लेकिन दिनेश बिना घबराए चुनौतियों से जुझे और सफल हुए.

पूर्व डीजीपी ने बताया कि तीन माह पहले ही तो उनसे बात हुई थी. उनकी बातों में वही ताजगी और खनक थी. कहीं ऐसा नहीं लगा कि दिनेश जिंदगी से निराश है. बातचीत के दौरान दिनेश ने मुझसे पूछा कि क्या तुमने भारत सरकार की हेल्थ स्कीम में खुद को सूचीबद्ध कराया है. इस दौरान उन्होंने मुझे रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों के लिए भारत सरकार की योजनाओं के लाभ भी बताए. बातचीत के दौरान एक पल भी एहसास नहीं हुआ कि दिनेश खुद अपनी बीमारी से परेशान है. दिनेश ने तो मुझे जिंदादिली से जीने के टिप्स भी दिए. इसके बाद मंगलवार को मिली इस खबर से मैं स्तब्ध हूं. एक क्षण मुझे लगा ही नहीं कि हमारा दोस्त हमारे बीच नहीं रहा. हालांकि हकीकत यही है कि एक जिंदादिल दोस्त हम खो चुके हैं. हालांकि दिनेश की दी हुई नसीहते

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं कि वर्ष 1983 में मेरी पहली पोस्टिंग वाराणसी में एसपी ग्रामीण के तौर पर हुई थी. वहां पहले से दिनेश कुमार शर्मा बतौर एसपी सिटी तैनात थे. हम दोनों के बंगले अगल बगल थे. ऐसे में रोजाना मुलाकात होना, कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराधियों पर कार्रवाई करने समेत कई मुद्दों पर रोजाना चर्चा होती थी. इसी बीच उनकी पोस्टिंग मैनपुरी हो गई और वे वहां के पुलिस कप्तान बनाए गए थे. इसके बाद कई जिलों की कप्तानी के बाद वे बरेली और गोरखपुर जोन के आईजी रहे. आखिरी पोस्टिंग उनकी डीजी आवास के तौर पर थी. जिसके बाद वे रिटायर हो गए. दिनेश को यूपी रिटायर्ड आईपीएस अफसर संगठन का जनरल सेकेट्री भी बनाया गया था. जिस बाबत हर तीन माह में उनकी मुलाकात होती रहती थी. पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह कहते हैं कि इस मोड़ पर यूं बिछड़ना कभी सोचा नहीं था.

यह भी पढ़ें : प्रावधान के बावजूद यूपी में एमवीआई की तैनाती नहीं, नॉन टेक्निकल अधिकारी कर रहे वाहनों की चेकिंग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.